पाकिस्तान में मस्जिद में फार्ट मारने पर सजा ए मौत की खबर का पूरा सच
नई दिल्ली। पाकिस्तान में एक शख्स को मस्जिद में फार्ट (पाद) का दोषी पाए जाने की खबर झूठी है। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि यह खबर पाकिस्तान के अखबार इस्लामाबाद हेराल्ड ने दी है, जबकि ऐसी कोई घटना घटी ही नहीं। अब सवाल यह उठता है कि जब ऐसी कोई घटना घटी ही नहीं तो ये खबर वायरल कहां से हुई? चलिए आपको बताते हैं।
ये है खबर का पूरा सच
''मस्जिद में फार्ट मारने पर मौत की सजा''। दरअसल, यह कोई खबर नहीं थी बल्कि व्यंग्य/सटायर था, जो कि World News Daily नाम की साइट पर छपा था। इस व्यंग्य/सटायर को रिपोर्ट की शक्ल में लिखा गया था। इतना ही नहीं, सटायर में कही नहीं लिखा गया था कि यह कल्पना पर आधारित है। आमतौर पर पत्रकारिता के सिद्धांतों के तहत ऐसा नहीं किया जाता है।
कल्पना पर आधारित व्यंग्य
यदि वेबसाइट या अखबार में कोई लेखक व्यंग्य/सटायर लिखता है तो उसमें लिखा जाता है कि यह व्यंग्य या कोरी कल्पना पर आधारित है। लेकिन World News Daily ने ऐसा नहीं किया। उसने आर्टिकल पेज पर कहीं ऐसा नहीं लिखा। वेबसाइट ने लोगों को भ्रमित करने के लिए वेबपेज की सबसे नीचे वाली स्ट्रिप पर लिखा है कि हम कल्पना पर आधारित व्यंग्य करते हैं और इसकी पूरी जिम्मेदारी लेते हैं।
व्यंग्य में लिखी गईं ये काल्पनिक बातें
यहां
पर
एक
व्यक्ति
को
सिर्फ
इसलिए
मौत
की
सजा
सुनाई
गई
है,
क्योंकि
रमजान
के
माह
में
उसे
मस्जिद
में
फार्ट
(पाद)
का
दोषी
पाया
गया
था।
पाकिस्तान
के
अखबार
इस्लामाबाद
हेराल्ड
में
इस
बात
की
जानकारी
दी
गई
है।
इस
अखबार
के
मुताबिक
इस
व्यक्ति
को
छह
अलग-अलग
मस्जिदों
से
जज
ने
पूछा
कैसे
मरना
पसंद
करेंगे
आप।
33 वर्ष के मुहम्मद अल वहाबी एक गंभीर बीमारी के शिकार हैं। जिस समय जज ने उन्हें सजा सुनाई उस समय उन्होंने कहा कि रमजान मुसलमानों के लिए बहुत ही धार्मिक त्योहार है। इस पवित्र माह के दौरान वहाबी ने ऐसा करके लोगों के भरोसे को गंदा करने का काम किया है। उसकी वजह से 54 लोगों को एक ही समय पर प्रार्थना के दौरान मस्जिद से बाहर जाना पड़ गया। यह एक ईशनिंदा का काम है और इसके लिए उसे 'अल्लाह की मर्जी से सजा मिलनी चाहिए।'