57 देशों वाले इस्लामिक संगठन में पाकिस्तान किनारे, भारत के खिलाफ Islamophobia के आरोप खारिज
नई दिल्ली। पाकिस्तान को ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) में मुंह की खानी पड़ी है। पाकिस्तान पिछले कुछ समय से कोशिश कर रहा था कि वह इस्लामोफोबिया के नाम पर जम्मू कश्मीर के लोगों की 'खराब हालत' के बारे में सदस्य देशों को बताया जा सके। पाकिस्तान के इस आरोप को यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) और मालदीव दोनों ने सिरे से इनकार कर दिया। दोनों ही देशों ने 19 मई को हुई मीटिंग में उन्होंने पाक को आईना दिखाया है।
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UN में भारत के खिलाफ कार्रवाई चाहता था पाक
19 मई को इंटरनेट के जरिए ओआईसी के स्थायी सदस्यों की एक मीटिंग हुइ्र थी। इस मीटिंग में पाकिस्तान के पीआर यानी परमानेंट रिप्रजेंटेटिव मुनीर खान ने हिस्सा लिया था। मुनीर चाहते थे कि संगठन में छोटा अनौपचारिक ग्रुप बन सके जो भारत में जारी 'इस्लामोफोबिया' पर देश के खिलाफ यूनाटेड नेशंस (यूएन) में संगठित कार्रवाई करे। यूएई ने पाक की इस मांग को मानने से इनकार कर दिया और कहा कि नए ग्रुप का निर्माण तभी हो सकेगा जब इसे ओआईसी सदस्य देशों के सभी विदेश मंत्रियों से मंजूरी मिलेगा। मालदीव ने भी इस मांग पर पाकिस्तान का कड़ा विरोध किया। मालदीव ने पाकिस्तान किसी देश पर आए विशेष बयान वाले आइडिया को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
मालदीव ने पाक को बताए तथ्य
मालदीव ने पाकिस्तान की मांग का विरोध सबसे पुरजोर तरीके से किया। मालदीव के राजदूत ताहिमीजा हुसैन ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां पर 200 मिलियन मुसलमान निवास करते हैं। ऐसे में इस्लामोफोबिया का आरोप लगाना तथ्यात्मक तौर पर पूरी तरह से गलत है। हुसैन ने कहा, 'मालदीव ओआईसी में होने वाले ऐसे किसी भी एक्शन का समर्थन नहीं कर सकता है जो भारत को निशाना बनाने वाला हो।' उन्होंने ओआईसी को यह भी याद दिलाया कि भारत ने ओआईसी के कई देशों जैसे सऊदी अरब, यूएई, अफगानिस्तान, फिलीस्तीन और मॉरिशस के साथ काफी अच्छे संबंध स्थापित किए हैं। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी मालदीव की तरफ से सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा जा चुका है।
पाक बोला-भारत को मिली है वीटो की ताकत
हुसैन ने कहा कि सिर्फ कुछ उत्साहित लोगों और सोशल मीडिया पर भ्रमित करने वाले कैंपेन के आधार पर यह नहीं मान लेना चाहिए कि उस देश में बसे 1.3 बिलियन लोग भी ऐसा ही सोचते होंगे। मुनीर खान ओआईसी के इस रवैये से खासे निराश हैं। सूत्रों की मानें तो उन्होंने यह तक कह डाला है 'ऐसा लगता है कि भारत को ओआईसी में वीटो की ताकत' हासिल है। ओआईसी का हेडक्वार्टर सऊदी अरब के जेद्दा में है। इस संगठन में 57 मुसलमान देश हैं और यूएन और यूरोपियन यूनियन (ईयू) में इसे स्थायी प्रतिनिधि हैं। इस वजह से इस संगठन को काफी दबाव वाला संगठन माना जाता है। ओआईसी के मुसलमान देशों की एक संगठित आवाज माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह संगठन मुसलमान समुदाय के हितों की रक्षा करता है और साथ ही शांति और सौहार्द को भी आगे बढ़ाता है।
भारत की सदस्यता का विरोध करता पाक
भारत में मुसलमानों की आबादी को देखते हुए इसे भी संगठन की सदस्यता की कोशिशें जारी हैं। अभी तक ओआईसी को पाकिस्तान के दबाव के आगे झुकने वाले संगठन के तौर पर देखा जाता था। पाकिस्तान की तरफ से हमेशा से भारत की संगठन में सदस्यता का विरोध किया जाता है। पाक की वजह से ही हमेशा ओआईसी, भारत की तरफ से सदस्यता के लिए दिए गए आवेदन को नजरअंदाज करता आ रहा है। 19 अप्रैल को ओआईसी के मानवाधिकार आयोग ने भारत से कहा है कि वह कोरोना वायरस संकट के दौरान मुसलमानों के खिलाफ होने वाले भेदभाव को ध्यान में रखे।