Chandrayaan-2 पर भारत की हंसी उड़ाने वाले पाकिस्तान की स्पेस में जानिए क्या है औकात?
इस्लामाबाद। चंद्रयान-2 मिशन पर लैंडर विक्रम का संपर्क टूटने के बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को भारत की हंसी उड़ाने का मौका भी मिल गया। पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की कैबिनेट में साइंस एंड टेक्नोलॉजी मिनिस्टर फवाद चौधरी ने बताया कि भारत ने किस तरह से अपने करोड़ों रुपए बर्बाद कर दिए। पाकिस्तान के मंत्री जो भारत का मजाक उड़ा रहे हैं, वह यह भूल गए हैं कि उनका स्पेस प्रोग्राम आज कहां पर है, इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं होगी। आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान की स्पेस एजेंसी सुपारको की शुरुआत इसरो से आठ वर्ष पहले ही हो चुकी थी लेकिन आज वह भारत के स्पेस प्रोग्राम के आगे कहीं नहीं टिकता है।
भारत से पहले पाक ने शुरू की स्पेस एजेंसी
कभी एक ही देश भारत और पाकिस्तान आज दो अलग-अलग किनारों पर खड़े हैं, एक विज्ञान और आर्थिक मोर्चे पर तरक्की कैसे हो इसकी योजना बनाता है तो एक यह सोचता है कि अपनी सरजमीं पर मौजूद आतंकवाद की फैक्ट्री पर काबू कैसे किया जाए। पाकिस्तान ने भारत से आठ साल पहले अपना अतंरिक्ष प्रोग्राम शुरू किया था। 16 सितंबर 1961 को पाकिस्तान की एजेंसी स्पेस एंड अपर एटमॉसफेयर रिसर्च कमीशन यानी सुपारको की शुरुआत हुई। पाक के मशहूर भौतिक विज्ञानी अब्दुस सलाम ने उस समय के राष्ट्रपति अयूब खान को बड़ी मुश्किल से राष्ट्रीय स्पेस एजेंसी की शुरुआत के लिए मनाया था। यह स्पेस एजेंसी इस महाद्वीप में सबसे पहली स्पेस एजेंसी थी जिसका हेडक्वार्टर कराची में था। भारत ने अपनी स्पेस एजेंसी इसरो की शुरुआत सन् 1969 में की थी।
रॉकेट लॉन्चिंग वाला तीसरा देश बना पाक
सुपारको के शुरुआती वर्ष काफी उम्मीदों से भरे थे। चार टॉप साइंटिस्ट्स को अमेरिकी एजेंसी नासा में स्पेस टेक्नोलॉजी की पढ़ाई के लिए भी भेजा गया। कहते हैं कि सलाम का कद विज्ञान की दुनिया में बढ़ रहा था और वर्ष 1979 में भौतिक विज्ञान का नोबेल पुरस्कार भी दिया गया। वर्ष 1962 में सुपारको ने अपना पहला रॉकेट रहबर 1 को लॉन्च किया। कराची से लॉन्च हुए इस रॉकेट की लॉन्चिंग में नासा ने भी मदद की थी। वर्ष 1963 में भारत ने अपना पहला रॉकेट लॉन्च किया था। पाक रॉकेट लॉन्चिंग के बाद एशिया का तीसरा ऐसा देश बना जिसने यह उपलब्धि हासिल की थी। पाक से पहले इजरायल और जापान ने यह उपलब्धि हासिल की थी। आज सुपारको की हालत यह है कि यह इसरो से पहले लॉन्च होने के बाद भी कई दशक पीछे चल रहा है।
परमाणु कार्यक्रम पर लगा ध्यान
जहां एक तरफ इसरो एक के बाद एक कई वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम कर रही है तो सुपारको को ऐसा करने में कम से कम दो दशकों का समय लगेगा। सुपारको ने खुद इसके लिए वर्ष 2040 का लक्ष्य तय किया है। तब तक भारत शुक्र ग्रुह पर पहुंच चुका होगा और मंगल का एक और चक्कर लगा चुका होगा। वर्ष 1970 में जहां भारत ने पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च कर दिया था तो वहीं पाक सरकार का ध्यान और मकसद परमाणु बम बनाने में लग गया। पाक ने वर्ष 1990 में अपना पहला सैटेलाइट बदर 1 लॉन्च किया था और वह भी चीन की मदद से। वर्ष 1980 और 1990 में पाक के स्पेस प्रोग्राम के लिए वाकई बुरे दिन शुरू हुए। उस वर्ष पहले तो राष्ट्रपति जिया-उल-हक ने कई बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए मिलने वाली रकम में कटौती कर ली और फिर कई मिलिट्री जनरल को संस्था में वैज्ञानिकों की जगह पर अहम पद दे डाले गए।