सऊदी अरब के ग्वादर पोर्ट में निवेश से पाकिस्तान और चीन में बढ़ेगा तनाव, भारत पर भी है खतरा!
इस्लामाबाद। हाल ही में पाकिस्तान की ओर से ऐलान किया गया है कि बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर बंदरगाह में सऊदी अरब की ओर से एक ऑयल रिफाइनरी के लिए निवेश किया जाएगा। पाकिस्तान के इस ऐलान के बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाली राजनीति में बड़ा परिवर्तन आने की संभावना है। जो बात सबसे अहम है वह है सऊदी अरब की वजह से पाकिस्तान और चीन के बीच दूरियां आ सकती हैं। आपको बता दें कि ग्वादर पोर्ट चीन की ओर से पाकिस्तान में जारी अरबों डॉलर के प्रोजेक्ट चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर यानी सीपीईसी के तहत ही आता है। साफ है कि बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर में चीन कभी भी किसी और का हस्तक्षेप स्वीकार करने में थोड़ा हिचकेगा। ये भी पढ़ें-अपनी जिंदगी के आखिरी दिन गिन रहा है आतंकी मसूद अजहर!
चाबहार के लिए भी खतरा बनेगा सऊदी अरब
जाने माने पत्रकार जेम्स डोरसे ने अपने मिड ईस्ट सॉकर ब्लॉग में लिखा है कि पाकिस्तान, चीन की ओर से दिए गए कर्ज की वजह से बड़े आर्थिक संकट का सामना करने को मजबूर है। उसे किसी भी तरह से रकम की जरूरत है। जेम्स का दावा है कि सऊदी अरब की ग्वादर पोर्ट में आने वाली ऑयल रिफाइनरी, ईरान में स्थित भारत की मदद से तैयार चाबहार पोर्ट के लिए तो खतरा है ही साथ ही साथ ऑयल रिफाइनरी की वजह से ईरान और सऊदी अरब के बीच भी युद्ध जैसे हालात होंगे। उनकी मानें तो चीन भी इन हालातों में शामिल रहेगा। एक अनुमान के मुताबिक सऊदी अरब इस क्षेत्र में 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश कर सकता है। इस डील में सऊदी अरब से आने वाले तेल के लिए पाकिस्तान के पास देर से पेमेंट करने का विकल्प होगा। इस वजह से पहले तो ईरान के करीब ऑयल रिजर्व का निर्माण होगा। इसके बाद कैश क्रंच का सामना करते पाकिस्तान को पेमेंट में मदद मिल सकेगी।
सीपीईसी के कई प्रोजेक्ट्स के लिए नहीं है जरूरी रकम
इस आर्टिकल में यह भी लिखा है कि अगर पाकिस्तान की सरकार ने अपने खर्चों पर नियंत्रण नहीं किया तो फिर से अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से 12 बिलियन डॉलर का बेलआउट लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। पाकिस्तान की ओर से सिंतबर में खर्चों को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। इन कदमों के जरिए सीपीईसी के पश्चिमी रास्ते को जोड़ने वाली सड़कों के निर्माण के लिए पैसा जुटाया गया। ये रास्ते बलूचिस्तान को चीन के शिनजियांग प्रांत से जोड़ते हैं। ये वही रोड प्रोजेक्ट्स ही हैं जिनकी मंजूरी में चीन की ओर से देरी हो रही थी। इसके अलावा पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद ने 8.2 बिलियन डॉलर वाले प्रोजेक्ट से दो बिलियन डॉलर की रकम कट कर दी है। इस प्रोजेक्ट का मकसद पाकिस्तान के रेल नेटवर्क का विस्तार करना था और यह सीपीईसी का अहम प्रोजेक्ट है।
सच साबित हुई चीन की आशंका
इस आर्टिकल में राशिद के हवाले से लिखा गया है कि पाकिस्तान एक गरीब देश है जो कर्ज का बड़ा बोझ बर्दाश्त नहीं कर सकता है। राशिद के मुताबिक सीपीईसी पाकिस्तान के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह है लेकिन इसके बाद भी उन्होंने अपनी आंखें और कान खुले रखे हैं। हालांकि पहले पाकिस्तान के अधिकारियों की ओर से इनकार किया गया था कि सऊदी अरब, सीपीईसी का हिस्सा नहीं बनेगा। चीन हमेशा से ही पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच होने वाली इस डील को लेकर भयभीत था। जहां एक ओर ग्वादर पोर्ट में सऊदी अरब का निवेश पाकिस्तान की आर्थिक चिंताओं को दूर करेगा तो वहीं यह कदम अरब सागर में चाबहार को बड़ी ताकत बनने से भी रोकेगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान का चाबहार पोर्ट अरब खाड़ी देशों के लिए सीधा खतरा होगा।