Pakistan: चीन के कहने पर गिलगित को 5वां प्रांत बनाने की कोशिशें, इमरान के 39 साल के NSA का प्रोजेक्ट!
इस्लामाबाद। पाकिस्तान इस समय गिलगित बाल्टिस्तान को देश के पांचवें प्रांत के तौर पर घोषित करने के प्रयासों में लगा हुआ है। पाकिस्तान आर्मी के मुखिया जनरल कमर जावेद बाजवा गैर-कानूनी तौर पर नॉर्दन एरियाज को देश के हिस्से के तौर पर पाक प्रांत बनाने में जुट गए हैं। जनरल बाजवा इस समय देश के राजनेताओं और दूसरे लोगों के साथ इस मसले पर मीटिंग करने में लगे हुए हैं। पिछले हफ्ते पाकिस्तान का यह 'मास्टर प्लान' सामने आया है। वहीं जो लोग इस मामले से वाकिफ हैं उनका कहना है कि सिर्फ सेना गिलगित को देश का पांचवा प्रांत बनाने की कोशिशें कर रही है, ऐसा नहीं है।
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इमरान के विशेष सहायक
माना जा रहा है इस पूरी चाल के पीछे प्रधानमंत्री इमरान खान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोइद युसूफ का दिमाग शामिल हैं। 39 साल के युसूफ, पीएम इमरान को नेशनल सिक्योरिटी डिविजन और रणनीतिक योजनाओं के लिए विशेष सहायक हैं। कहा है कि उनकी वजह से ही गिलगित को स्वायत्त प्रांत का दर्जा दिए जाने की तैयारी चल रही है। पाक मामलों पर नजर रखने वाले लोगों की मानें तो युवा एनएसए इस पूरे प्रोजेक्ट की एक अहम कड़ी हैं। सूत्रों की मानें तो यह चाल चीन के बहकावे में आकर पाकिस्तान की तरफ से चली गई है। चीन इस समय चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के जरिए अरबों डॉलर देश में निवेश कर रहा है। उसका मकसद इस हिस्से से एक वैकल्पिक रास्ता तलाशना है। मलेका स्ट्रेट पर पहले ही उसकी एंट्री पर रोक लग गई है। यह जगह हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच हैं।
LoC को IB में बदलने का आइडिया
पिछले कुछ समय से पाकिस्तान मिलिट्री ने गिलगित में अपनी मौजूदगी बढ़ा दी है। पाक मिलिट्री यहां पर इस समय सीपीईसी की रक्षा में लगी हुई है। पाक मिलिट्री मानती है कि अगर गिलगित में सीपीईसी को स्थानीय लोगों का विरोध झेलना पड़ा तो फिर पर्यावरण बिगड़ सकता है। साथ ही यहां का सामाजिक और सांस्कृतिक ताना-बाना भी बिगड़ जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो फिर यह प्रोजेक्ट खतरे में पड़ सकता है। गिलगित-बाल्टिस्तान की विवादित यथास्थिति के साथ मोईद का लंबा साथ है। वह हमेशा से भारत के साथ लगी नियंत्रण रेखा (एलओसी) को भी अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर (आईबी) में बदल दिया जाएगा। साल 2009 में एनएसए मोईद पढ़ाई कर रहे थे। उस समय ही उन्होंने पाक की सरकार के साथ अपने संबंध बढ़ाने शुरू कर दिए थे। इसके अलावा वह अमेरिका से भी रिश्ते बढ़ा रहे थे।
साल 2018 में आ चुके हैं भारत
मोईद यूसुफ उस समय से ही एलओसी को अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर को बदलने की वकालत करते हैं। साथ ही वह हमेशा कहते थे कि दोनों पक्षों का जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण होना चाहिए। मोईद ने उन संभावनाओं को भी तलाशा था जिसके तहत एलओसी को आईबी में बदला जा सके। साल 2018 में वह भारत आए थे। उस समय वह सरकार से जुड़ चुके थे। वह अमेरिका में यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस (USIP) के साथ काम कर रहे थे और इस दौरान उन्हें पाक आर्मी और आईएसआई के साथ काम करने का मौका मिला। युसूफ ने अपनी एक इमेज बनाई जिसमें उन्होंने भारत-पाक की शांति की वकालत की और इसी समय USIP में कश्मीर पर एक प्रस्ताव भी पेश कर दिया।
साल 2009 में हुआ था पहला बदलाव
दिसंबर 2019 में इमरान ने उन्हें अपना एनएसए चुना। युसूफ पर कई प्रकार के गंभीर आरोप लग रहे थे। लेकिन इसके बाद भी उन्हें नियुक्त किया गया। दक्षिण एशियाई मामलों की जानकारी डॉक्टर क्रिस्टीन फेयर ने आरोप लगाया के USIP के साथ रहते हुए मोईद कई संवेदनशील जानकारियों को पाक की एजेंसियों को मुहैया करा रहे हैं। बताया जा रहा है कि इमरान की टीम में आने के बाद मोईद ने जनरल बाजवा के सामने अपने प्रोजेक्ट को पेश किया जो गिलगित से जुड़ा था। पाकिस्तान ने साल 2009 में पहली बार गिलगित-बाल्टिस्तान की स्थिति में बदलाव करना शुरू किया था। उस समय पाक सरकार की तरफ से गिलगित-बाल्टिस्तान एम्पावरमेंट एंड सेल्फ गर्वनेंस ऑर्डर को लाया गया था।