अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर बोले इमरान खान, दक्षिण एशिया की राजनीति का एक अध्याय खत्म
इस्लामाबाद। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मृत्यु के बाद पाकिस्तान में भी गम का माहौल है। कई लोग ट्वीट कर वाजपेयी को श्रद्धांजलि दे रहे हैं तो कई नेताओं की तरफ से बयान जारी किया गया है। वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पाकिस्तान के लॉ मिनिस्टर अली जफर की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल भारत आ रहा है। इस बीच पाकिस्तान के भावी प्रधानमंत्री इमरान खान की ओर से वाजपेयी के निधन पर शोक संदेश जारी किया गया है। खान की मानें तो वाजपेयी के जाने से दक्षिण एशिया की राजनीति का एक अध्याय खत्म हो गया है और अब एक बड़ा रिक्त स्थान आ गया है। गौरतलब है कि पीएम रहते हुए वाजपेयी ने पाकिस्तान के साथ शांति के कई प्रयास किए थे लेकिन कारगिल की जंग और फिर संसद पर हमले ने उन सभी प्रयासों पर पूर्णविराम लगा दिया था। ये भी पढ़ें-जब विरोध के लिए चीनी दूतावास में भेड़ लेकर घुस गए थे वाजपेयी
इमरान ने जताया दुख
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के चीफ इमरान खान ने वाजपेयी के निधन पर अफसोस जताया है। इमरान ने वाजपेयी को उप-महाद्वीप की एक अत्यंत उत्कृष्ट राजनीतिक हस्ती करार दिया है। इमरान ने कहा, 'दुख की इस घड़ी में वह भारत के साथ हैं।' पाक के नए पीएम इमरान 18 अगस्त को शपथ लेंगे और उन्होंने पाकिस्तान के साथ वाजपेयी के शांति के प्रयासों की भी सराहना की है। इमरान ने कहा, 'वाजपेयी के जाने से साउथ एशिया की राजनीति में एक बड़ा रिक्त स्थान आ गया है।' रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की ओर से उनके निधन पर शोक संदेश भेजा गया है। राष्ट्रपति पुतिन ने अपने संदेश में कहा है, 'अटल बिहारी वाजपेयी को दुनियाभर में सम्मान हासिल है। उन्हें एक ऐसे राजनेता के तौर पर याद किया जाएगा जिन्होंने रूस और भारत के बीच दोस्ताना रिश्तों के और राणनीतिक साझेदारी में अपना व्यक्तिगत योगदान दिया था।'
पाकिस्तान में छाया था वाजपेयी का जादू
वाजपेयी का करिश्मा सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी था। साल 1999 में जब वह बस लेकर लाहौर पहुंचे थे तो वहां की जनता के बीच में वाजपेयी ने अपनी एक अलग ही छाप छोड़ी थी। वाजपेयी इस बस को लेकर जब लाहौर गए तो उनके दिल और दिमाग में पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्तों की कल्पना जन्म ले चुकी थी। वह दोनों देशों को एक साथ आगे बढ़ते देखना चाहते थे। किंग्शुक नाग की किताब अटल बिहारी वाजपेयी: एक मैन फॉर ऑल सीजंस में उनकी लाहौर बस यात्रा का जिक्र खासतौर पर है।
नवाज ने दिया वाजपेयी को धोखा
साल 1998 में जब भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति से लैस हो गए तो वाजपेयी को महसूस हुआ कि अब दोनों देशों को अपने-अपने संबंधों की बेहतरी की दिशा में काम करना चाहिए। 19 फरवरी 1999 को वाजपेयी इसी मकसद से बस लेकर लाहौर पहुंचे थे। तत्कालीन पाकिस्तानी पीएम नवाज ने गले लगाकर उनका स्वागत किया। हालांकि इसके कुछ दिनों माह बाद कारगिल की जंग शुरू हुई तो वाजपेयी ने इसे नवाज का विश्वासघात करार दिया था। ये भी पढ़ें-क्या वाजपेयी ने इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के बारे में