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कभी मुशर्रफ को सजा देने की बात करने वाले पाकिस्‍तान के पीएम इमरान अब बने उनके रक्षक

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इस्‍लामाबाद। पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान नहीं चाहते हैं कि पूर्व सेना प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह के केस में फांसी हो। मुशर्रफ पर पाक की एक विशेष अदालत 29 नवंबर को फैसला सुनाने वाली है। लेकिन इस फैसले के ठीक पहले इमरान सरकार की तरफ से इस्‍लामाबाद हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर स्‍पेशल कोर्ट को मुशर्रफ पर फैसला सुनाने से रोकने की मांग की गई है। मुशर्रफ इस समय देश के बाहर हैं और दुबई में रह रहे हैं। इमरान सरकार में गृह मंत्रलय के मुखिया ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) एजाज शाह की तरफ से कोर्ट में याचिका दायर की गई।

मुशर्रफ के करीब गृह मंत्री

मुशर्रफ के करीब गृह मंत्री

गृहमंत्री एजाज शाह, मुशर्रफ के काफी करीब हैं और उनकी तरफ से दायर इस याचिका के कई मायने हैं। साफ है कि पीएम इमरान कहीं न कहीं सेना के भयंकर दबाव में हैं। एजाज शाह, आर्मी में रहते हुए आईएसआई को लीड कर चुके हैं। उनका नाम पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्‍या में भी अक्‍सर लिया जाता रहा है। शाह को आईएसआई चीफ बनाने के लिए साल 2004 में मुशर्रफ ने तत्‍कालीन आईएसआई चीफ को ऑस्‍ट्रेलिया भेज दिया था। शाह न सिर्फ मुशर्रफ के करीब हैं बल्कि वह जानते थे कि लादेन पाकिस्‍तान में कहां छिपा है। उनके साथ ही साथ मुशर्रफ को भी इस बारे में मालूम था। साल 1999 में जब भारत-पाक के बीच कारगिल में संघर्ष शुरू हुआ था तो उस समय मुशर्रफ ही आर्मी चीफ थे।

दिसंबर 2013 से चल रहा केस

दिसंबर 2013 से चल रहा केस

सरकार ने हाई कोर्ट से कहा कहा है कि तीन सदस्यों वाली ट्रिब्‍यूनल को फैसला देने से रोका जाए। मुशर्रफ के केस में 28 नवंबर को फैसला आ सकता है और माना जा रहा है कि दोषी साबित होने पर उन्‍हें मौत की सजा सुनाई जा सकती है। याचिकाकर्ता की मानें तो मुशर्रफ देश में मौजूद नहीं हैं। ऐसे में पूरी तरह से स्‍वस्‍थ होने के बाद उनके देश लौटने का इंतजार करना चाहिए ताकि वह ट्रायल का सामना कर सकें। दिसंबर 2013 में मुशर्रफ के खिलाफ देशद्रोह के केस की शुरुआत हुई थी।

साल 2007 में मुशर्रफ ने लगाई इमरजेंसी

साल 2007 में मुशर्रफ ने लगाई इमरजेंसी

यह केस साल 2007 में हुए उस घटनाक्रम से जुड़ा है जिसमें मुशर्रफ ने राष्‍ट्रपति रहते हुए देश में आपातकाल का ऐलान कर दिया था। मुशर्रफ ने संविधान को निरस्‍त कर दिया था और पाक संविधान के आर्टिकल 6 के मुताबिक यह उच्‍च स्‍तर का देशद्रोह का मामला था। साल 2014 में मुशर्रफ को आरोपी बनाया गया था। केस धीमी गति से आगे बढ़ा और साल 2016 में इलाज के नाम पर मुशर्रफ, दुबई चले गए। इसके बाद से वह देश वापस नहीं लौटे हैं और केस रुका हुआ है।

कभी करते थे मुशर्रफ को सजा देने की बात

कभी करते थे मुशर्रफ को सजा देने की बात

इस वर्ष सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ट्रिब्यूनल को आदेश दिया गया कि वह अगर पाक लौटने में असफल रहते हैं तो भी उन्‍हें सजा दी जाए। जब इमरान खान, पीएम नहीं बने थे तो वह हमेशा मुशर्रफ को सजा देने की बात करते थे। लेकिन अब उनका बदला रुख कहीं न कहीं सबको हैरान कर रहा है।अगर 28 नवंबर को कोर्ट मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाती है तो फिर वह पाकिस्‍तान के पहले आर्मी चीफ होंगे जिन्‍हें कोर्ट की तरफ से मौत की सजा सुनाई जाएगी।

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English summary
Pakistan PM Imran Khan wants to stop a special tribunal from issuing its verdict in the high treason case against Pervez Musharraf.
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