मजबूत और स्थिर नहीं, कमजोर और अस्थिर अफगानिस्तान देखना चाहता है पाकिस्तान!
वॉशिंगटन। अमेरिका की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान को 'स्थिर' और 'ताकतवर' अफगानिस्तान के बजाय एक 'अस्थिर' और 'कमजोर' अफगानिस्तान पसंद आएगा। यह रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की ओर से तैयार की गई है और रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि भारत, काबुल के साथ रक्षा सहयोग को और बढ़ाने का इच्छुक नहीं है। इस रिपोर्ट को 'अफगानिस्तान: बैकग्राउंड एंड यूएस पॉलिसी इन ब्रीफ,' का नाम दिया गया है। रिपोर्ट को कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की ओर से तैयार किया गया है। रिपोर्ट ऐसे समय में रिलीज की गई है जब ट्रंप प्रशासन तालिबान के साथ शांति वार्ता के लिए पाकिस्तान की मदद चाहता है।
17 वर्ष से जारी युद्ध को खत्म करने की कोशिशें
अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमय खालिजाद ने गुरुवार को पाकिस्तान के विदेश सचिव के साथ इस्लामाबाद में मीटिंग की थी। इस मीटिंग दोनों के बीच हुई वार्ता में सबसे ज्यादा ध्यान काबुल पर दिया गया। खालिजाद तालिबान और अफगान सरकार के बीच सीधी वार्ता की कोशिशों में लगे हुए हैं। खालिजाद के इस्लामाबाद पहुंचने का मकसद भी पाक को तालिबान को वार्ता की टेबल पर लाने के लिए राजी करना है ताकि पिछले 17 वर्षों से जारी युद्ध को खत्म किया जा सके।
पाक नहीं चाहता अफगानिस्तान में शांति
अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाक एक ताकतवर अफगानिस्तान को नहीं देखना चाहता है जहां पर पश्तून के प्रभुत्व वाली सरकार का नियंत्रण हो। वहीं इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कुछ पाक नेता मानते हैं कि अफगानिस्तान में अस्थिरता की वजह से पाक के चरमपंथी संगठन फिर से इकट्ठा हो सकते हैं। पाक अपने देश में बढ़ते आतंकी गतिविधियों से काफी त्रस्त हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान के रिश्ते पाक में बढ़ती अफगान शरणार्थियों की संख्या की वजह से काफी प्रभावित हुए हैं। इसके अलावा कई मौकों पर पाक-अफगान बॉर्डर पर होने वाली हिंसा भी दोनों के रिश्तों में कड़वाहट की वजह बन गई है।
भारत के प्रभाव को भी कम करने की कोशिशें
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान को एक ऐसे देश के तौर पर देखता है जो भारत को रणनीतिक तौर पर संभावनाएं प्रदान करता है। लेकिन वह यह भी मानता है कि अफगानिस्तान के नेतृत्व के साथ बेहतर रिश्ते अफगानिस्तान में भारत के प्रभाव को कमजोर कर सकते हैं। वहीं रिपोर्ट में भातर का जिक्र भी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद की वजह से अफगानिस्तान में उसके हित कम हैं।
भारत का योगदान सबसे ज्यादा
इसकी वजह से भारत और सेंट्रल एशिया के बीच एक मजबूत, व्यवसायिक और राजनीतिक रिश्तों में अड़चने आती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत, अफगानिस्तान के पुर्ननिर्माण में सबसे बड़ा क्षेत्रीय अशंदाता रहा है। लेकिन नई दिल्ली, काबुल के साथ गहरे रक्षा संबंधों के पक्ष में नजर नहीं आता है। वहीं भारत के साथ मजबूत संबंधों को लेकर अफगानिस्तान के अंदर ही मतभेद हैं।