भारत को आंख दिखाने वाले पाक पीएम इमरान, बांध बनवाने के लिए लोगों से मांग रहे हैं चंदा
नई दिल्ली। भारत पर छोटा नजरिया और अहंकारी होने का आरोप लगाने वाले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पर 'छोटा मुंह, बड़ी बात' वाली कहावत एकदम सही चरितार्थ होती है। पूर्व क्रिकेटर इमरान खान ने राजनीति में आने से पहले पाकिस्तान में एक कैंसर हॉस्पिटल बनवाया था। चैरिटी से पैसा इकट्ठा करने के लिए उन्होंने बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन के सामने हाथ पसारे थे। बिगबी ने बड़ा दिल दिखाया और वह इमरान खान के कार्यक्रम में गए भी थे। ये किस्सा इमरान खान के राजनीति में आने से पहले का, लेकिन इमरान खान की चैरिटी की आदत अभी गई नहीं है। बस फर्क सिर्फ इतना है कि अब उन्हें अमिताभ बच्चन की मदद नहीं मिल रही है। खबर है कि भारत के खिलाफ अभद्रता भरे शब्दों का प्रयोग करने वाले इमरान खान की सरकार पाई-पाई के लिए मोहताज है और उसके पास बांध बनाने तक के पैसे नहीं हैं। बांध बनाने के लिए करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपए की जरूरत है, जबकि खस्ताहाल पाकिस्तान सरकार के पास सिर्फ 143 करोड़ रुपए ही हैं। ऐसे में सरकार ने चैरिटी की मदद से बांध बनाने के लिए पैसा इकट्ठा करने का मन बनाया है। जितना पैसा पाकिस्तान सरकार के पास है, उसके करीब दोगुनी रकम जुट भी गई है, लेकिन डेढ़ लाख करोड़ की चैरिटी क्या पाकिस्तान को मिल सकेगी?
चीफ जस्टिस का फरमान, चंदा अभियान की आलोचना की तो कार्रवाई
बांध बनाने के लिए पैसा जुटाने की मुहिम में खुद पाकिस्तान के चीफ जस्टिस साकिब निसार अब तक 360 करोड़ रुपए जुटा चुके हैं। चंदा जुटाने के अभियान की आलोचना करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का फरमान भी जारी किया गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान विदेश में रह रहे पाकिस्तानियों से ज्यादा से ज्यादा चंदा देने की अपील कर रहे हैं।
टीवी, रेडियो पर दिए जा रहे चंदे के विज्ञापन, सेना ने दिया 100 करोड़ का चेक
बांध के लिए चंदा अभियान को पाकिस्तान की सेना भी समर्थन कर रही है। पिछले महीने आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने इस कार्य के लिए 100 करोड़ का चेक भी दिया। चंदा एकत्रित करने के लिए जगह-जगह पोस्टर लगाए गए हैं। टीवी और रेडियो पर विज्ञापन भी दिए जा रहे हैं।
सवा लाख करोड़ की लागत वाले बांध पर अब तक शुरू नहीं हुआ कार्य
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान के उत्तरी क्षेत्र में 4500 मेगावॉट क्षमता का दायमर-बाशा बांध और 800 मेगावॉट क्षमता का मोहमंद बांध बनाया जाना है। 30 हजार करोड़ रुपए की लागत वाले मोहमंद का काम 2012 से जारी है। सवा लाख करोड़ रुपए की लागत वाले दायमर-बाशा का कार्य अब तक शुरू भी नहीं हो सका है।
पाकिस्तान के जानकार मानते हैं चंदा से नहीं जुट सकती इतनी बड़ी रकम
पाकिस्तान के आर्थिक मामलों जानकार खुर्रम हुसैन का कहना है कि हर व्यक्ति के लिए चंदा देना आसान नहीं है। बांध बनने के लिए काफी बड़ी रकम की जरूरत है, जिस रफ्तार से पैसा जुटाया जा रहा है, उससे लगता है काफी समय लग जाएगा। खुर्रम ने इमरान खान सरकार को सलाह दी है, उसे चंदे के अलावा अन्य विकल्पों पर गौर करना चाहिए। जैसे बॉन्ड जारी करना या अंतरराष्ट्रीय दानदाता संगठनों से संपर्क करना चाहिए।