Pakistan: नवाज शरीफ बोले- बिना हथियारों और बिना भोजन के कारगिल में लड़े थे पाक सैनिक
लंदन। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ जो इस समय लंदन में हैं, उन्होंने एक बार फिर कारगिल की बात छेड़ दी है। सन् 1999 में हुए कारगिल संघर्ष के समय नवाज ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री थे। नवाज ने इस बार जंग के लिए तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ को जिम्मेदार ठहराया है। मुशर्रफ ने बाद में तख्तापलट किया और वह देश के तानाशह बन गए। रविवार को नवाज शरीफ ने ये बातें एक रैली में कहीं हैं।
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जीतने का कोई मौका नहीं था
ये रैली तीसरी ऐसी रैली थी जो विपक्षी दलों की तरफ से प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के खिलाफ आयोजित की गई थी। 11 विपक्षी दलों की तरफ से आयोजित इस रैली को एक बार फिर नवाज ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित किया था। कारगिल की जंग में बुरी तरह से शिकस्त का सामना करना पड़ा था। शरीफ ने कहा, 'पाकिस्तान की सेना ने कारगिल में बर्फ से ढके पहाड़ों में लड़ाई लड़ी थी, जहां जीत का कोई मौका नहीं था। यहां हमारे जवान निहत्थे थे। वह पल मेरे लिए काफी अफसोसजनक था, जब मुझे मालूम हुआ कि हमारे जवानों को बिना भोजन के चोटियों पर भेज दिया गया। यहां तक कि उनके पास हथियार भी नहीं थे। उन्हें अपने जिंदगी से हाथ धोना पड़ा। लेकिन देश और समुदाय को इससे क्या मिला?'
मुशर्रफ ने उठाया सेना का फायदा
शरीफ ने आगे कहा, 'कुछ ऐसे लोग हैं जो देश और समुदाय को तोड़ रहे हैं। पाकिस्तान सेना की आड़ में अपराध करते हैं। जो जनरल करगिल युद्ध के पीछे थे, उन्होंने अपने कार्यों को छिपाने और सजा से बचने के लिए मार्शल लॉ घोषित कर दिया। परवेज मुशर्रफ और उनके साथियों ने सेना को व्यक्तिगत फायदे के लिए प्रयोग किया और उन्हें अपमानित किया। शरीफ ने मुशर्रफ को बेनजीर भुट्टो की हत्या और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के लिए जिम्मेदार ठहराया।' नवाज की मानें तो पीएम इमरान खान और नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (नैब) के पास मुशर्रफ के खिलाफ मुकदमा चलाने की हिम्मत नहीं थी। नवाज शरीफ ने एक बार फिर पाकिस्तान के मौजूदा हालात के लिए एक बार फिर आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और आईएसआई चीफ फैज हमीद को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, 'इस बात का सबूत है कि परवेज मुशर्रफ के बैंक खातों में करोड़ों रुपए हैं, लेकिन इमरान खान और एनएबी को इस पर जांच करने की हिम्मत नहीं है। कठपुतली स्थापित करने का सेना का निर्णय नहीं था। हमारे सवालों का जवाब सेना के द्वारा नहीं बल्कि जनरल क़मर बाजवा, जनरल फैज़ हामिद द्वारा दिया जाना चाहिए।'