पाकिस्तान: स्पेशल कोर्ट ने पूर्व सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह मामले में सुनाई सजा-ए-मौत
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार किसी पूर्व सेनाध्यक्ष को मौत की सजा सुनाई गई है। पाकिस्तान की पेशावर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के अगुवाई वालीीतीन सदस्यों वाली बेंच ने पूर्व सेनाध्यक्ष परवेज मुशर्रफ को देशद्रोह के मामले में मौत की सजा का ऐलान कर दिया है। चीफ जस्टिस वकार अहमद सेठ की तरफ से इस सजा का ऐलान किया गया है। मुशर्रफ इस समय दुबई में हैं और उन्हें तीन नवंबर 2007 को देश में आपातकाल लगाने के एवज में सजा सुनाई गई है।
मार्च 2014 में ठहराए गए दोषी
दिसंबर 2013 से इस मामले की सुनवाई चल रही थी। उसी समय उन पर देशद्रोह का केस दर्ज हुआ था। 31 मार्च 2014 को मुशर्रफ मामले में दोषी ठहराए गए थे। इसी वर्ष सितंबर में स्पेशल कोर्ट के सामने अभियोजन पक्ष की तरफ से सभी सुबूत पेश किए गए थे। लेकिन कुछ कानूनी बाध्यताओं के चलते केस का ट्रायल शुरू होने में देर हो गई और मार्च 2016 में मुशर्रफ देश छोड़कर चले गए। जिस स्पेशल कोर्ट की तरफ से मुशर्रफ को मौत की सजा सुनाई गई उसमें पेशावर हाई कोर्ट के जस्टिस वकार अहमद सेठ, सिंध हाई कोर्ट के जस्टिस नजर अकबर और लाहौर हाई कोर्ट के जस्टिस शाहिद करीम शामिल थे। सरकार के के वकील एडवोकेट अली जिया बाजवा ने कहा था कि उनकी तरफ से कोर्ट में आज तीन याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। इन याचिकाओं में से ही एक याचिका में पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज समेत सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अब्दुल हमीद डोगर और पूर्व कानून मंत्री जाहिद हामिद को संदिग्ध बनाने की मांग की गई थी।
सरकार की नीयत पर उठे सवाल
वकील बाजवा का कहना था कि उन लोगों को भी मुशर्रफ के मददगारों और उनके साथियों को भी संदिग्ध बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह काफी महत्वपूर्ण है कि सभी संदिग्धों का ट्रायल एक ही समय पर हो। जस्टिस करीम ने इस पर कहा, ' साढ़े तीन साल बाद इस तरह के अनुरोध करने से साफ है कि सरकार का इरादा ठीक नहीं है। आज इस केस की अंतिम सुनवाई है और अब तीन नई याचिकाएं आ गई हैं। जस्टिस अकबर ने सवाल किया कि सरकार जिन लोगों को इस केस में शामिल करना चाहती है उनके खिलाफ क्या वकील के पास कोई सुबूत है।