पाकिस्तान- लाहौर की कोर्ट ने वाघा ब्लास्ट के मामले में आतंकियों को सुनाई 300 साल की सजा, पांच बार होगी फांसी
लाहौर। पाकिस्तान की एक एंटी-टेररिज्म कोर्ट ने बुधवार को तीन आतंकियों को मौत की सजा सुनाई है। लाहौर स्थित कोर्ट की ने साल 2014 में वाघा बॉर्डर पर हुए ब्लास्ट के सिलसिले में यह सजा दी है जिसमें 60 लोगों की मौत हो गई थी। दिलचस्प बात है कि इन लोगों को 300 साल कैद की सजा भी सुनाई गई है। बताया जा रहर है कि तीनों आतंकी जमात-उल-अहरार से जुड़े थे। वाघा गांव पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के लाहौर में है और यह भारत-पाक बॉर्डर पर स्थित अटारी से सटा हुआ है।
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15 से 20 किलोग्राम एक्सप्लोसिव्स का प्रयोग
दो नवंबर 2014 को एक सुसाइड ब्लास्ट में पाकिस्तान की तरफ जो लोग मारे गए थे उसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। हमले की जिम्मेदारी जनदुल्लाह और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से अलग हुए जमात-उल-अहरार ने ली थी। कोर्ट एक एक ऑफिसर के हवाले से पीटीआई ने जानकारी दी है, 'लाहौर में एंटी-टेररिज्म कोर्ट ने बुधवार को वाघा बॉर्डर अटैक मामले में फैसले की घोषणा की है। कोर्ट ने तीन संदिग्धों-हसीबुल्लाह, सईद जन घना और हुसैनुल्लाह को पांच मामलों में मौत की सजा सुनाई और उन्हें 300 वर्ष कैद की भी सजा सुनाई गई। साथ ही उनमें से हरेक पर दस लाख पाकिस्तानी रुपए का जुर्माना भी किया गया।' कोर्ट ने तीन और संदिग्धों को संदेह का लाभ देकर रिहा कर दिया। सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष के 100 से अधिक गवाहों ने आरोपियों के खिलाफ गवाही दी जो पांच वर्षों से ज्यादा समय तक चला। संदिग्धों को कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट में लाया गया था। पाकिस्तान की मीडिया के मुताबिक ब्लास्ट में करीब 15 से 20 किलोग्राम एक्सप्लोसिव्स का प्रयोग हुआ था। इस एक्सप्लोसिव को हमलावरों ने अपने अपनी सुसाइड जैकेट में छिपाकर रखा था।