चरम पर पहुंची पाकिस्तान की कंगाली, भूख से बेहाल लोग दुकानों से लूट रहे हैं आटा-चावल
नई दिल्ली। आतंकवाद के मसले पर दुनिया से अलग-थलग पड़ रहे पाकिस्तानी में कंगाली चरम पर है। आतंकवाद को बढ़ावा देकर पाकिस्तान ने न केवल भारत के साथ संबंधों को खटास में डाला बल्कि अपनी अर्थव्यवस्था को भी डमाडोल कर दिया। हालात ये हैं कि कंगाल पाकिस्तान अपनी जनता के लिए दो वक्त की रोटी का जुगाड़ नहीं कर पा रहा है। लोग भूख से बिलख रहे हैं और बेहाल होकर दुकानों से आटा और चावल लूट रहे हैं।
कंगाल हुआ पाकिस्तान
आर्थिक बदहाली और महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान में अब आटा, दाल और मसालों की भी किल्लत हो गई है। लोग आटा-चावल के लिए दुकानों में लूटपाट करने को मजबूर हैं। पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची मैं ऐसी ही वारदात सामने आई, जहां कुछ लोगों ने एक किराने की दुकान से आटा, दाल जैसे चीजें लूट ली और दुकानदार से माफी मांगते हुए कहा कि उन्होंने आज तक ऐसी हरकत न हीं की, लेकिन आज मजबूरी में उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। मजबूरी की वजह से उन्होंने दुकान में आटा-चावल की लूट है, जिसके लिए उन लोगों ने दुकानदार से माफी मांगी।
कराची में खाने के लिए लूट रहीं हैं दुकानें
पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कराची में ऐसा कोई इलाका नहीं बचा जहां लूट की वारदात को अंजाम नहीं दिया जा रहा है। लोग किराना दुकानों को लूट रहे हैं। पाकिस्तानी मीडिया ने कराची के शरीफाबाद इलाके में किराने का दुकान चलाने वाले एक दुकानदार के हवाले से खबर लिखा कि जैसे ही उसने अपनी दुकान सुबह-सुबह खोली, मोटारसाइकिल सवार दो दोनों ने उसकी दुकान से 10-10 किलो आटे की दो थैलियां, दालें, तेल और घी की दस थैलियां और 5 किलो मसालों के पैकेट लूट लिए। लुटेरों ने इन सबके लिए उससे माफी भी मांगी। हालांकि दुकानदार ने मामले की जानकारी पुलिस को दी और शिकायत दर्ज करवाई।
बदहाल हुआ पाकिस्तान, युवा डिप्रेशन में
पाकिस्तान
की
बदहाली
का
असर
अब
वहां
से
युवाओं
पर
दिखने
लगा
है।
बेरोगजारी
के
डर
से
अब
वो
डिप्रेशन
के
शिकार
होने
लगे
हैं।
आर्थिक
व
सामाजिक
तनावों
से
जूझते
पाकिस्तान
में
अनिश्चितता,
बेरोजगारी,
गरीबी
और
अवसरों
की
बहुत
कम
उपलब्धता
की
वजह
से
पाकिस्तान
के
युवा
बहुत
तेजी
से
मानसिक
रोगी
बनते
जा
रहे
हैं।
एक्सप्रेस
ट्रिब्यून
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक
पाकिस्तान
के
सबसे
बड़े
प्रांत
पंजाब
की
राजधानी
लाहौर
के
सरकारी
और
निजी
क्षेत्र
के
विश्वविद्यालयों
में
विद्यार्थियों
को
बेचैनी,
अवसाद
और
अन्य
मनोवैज्ञानिक
समस्याओं
का
शिकार
पाए
गए।