भ्रष्टाचार में नपे पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी के बीच है यह कनेक्शन
इस्लामाबाद। भ्रष्टाचार के मामले में पाकिस्तान की कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को जेल की सजा सुनाई है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का नाम जब-जब लिया जाएगा, नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई राजनीति भी हमेशा याद आएगी। अब इसे भारत का दुर्भाग्य कहें या पाकिस्तान की सेना का सौभाग्य कि जब-जब भारत में आतंकी वारदातें हुईं या फिर कश्मीर में आतंकवाद ने सिर उठाना शुरू किया, नवाज हमेशा इस्लामाबाद के केंद्र में थे। नवाज पाकिस्तान के सबसे अमीर राजनेता तो हैं ही साथ ही वह सबसे अमीर प्रधानमंत्री भी रहे हैं। एक और दिलचस्प बात है जो उन्हें भारत से जोड़ती है और वह यह है कि नवाज, देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अपना बर्थडे शेयर करते हैं।
नवाज ने तोड़ा वाजपेयी से किया वादा
भारत और पाकिस्तान के बीच पिछले कर्इ दशकों से सुलह और शांति की कोशिशें जारी हैं। इन कोशिशों का ही सबसे बड़ा हिस्सा थी वर्ष 1999 में लाहौर बस यात्रा थी जिसकी शुरुआत उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने की थी। पाकिस्तान और भारत के संबंधों में इस वर्ष से एक नया मोड़ आना शुरू हो गया हालांकि कारगिल युद्ध इस नए मोड़ में स्पीड ब्रेकर की तरह साबित हुआ।पाकिस्तान के साथ शांति की पहल करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और नवाज शरीफ का जन्मदिन एक ही दिन होता है। नवाज ने वाजपेयी से जो वादा किया वह उसे कभी भी अपने राजनीति करियर में पूरा नहीं कर सके। नवाज शरीफ का जन्म 25 दिसंबर 1949 को लाहौर में हुआ तो अटल बिहारी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था।
इंडस्ट्रीयलिस्ट से नेता बने नवाज
नवाज ने लाहौर की पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज से शिक्षा पूरी की।नवाज शरीफ ने राजनीति में आने से पहले बतौर इंडस्ट्रीयलिस्ट अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने वर्ष 1977 में इत्तेफाक इंडस्ट्रीज, उनका फैमिली बिजनेस था, उसके साथ ही स्टील, शुगर और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज की शुरुआत की थी।पीएम नवाज शरीफ पाकिस्तान के चौथे सबसे अमीर नागरिक हैं। उनके पास करीब 700 मिलियन डॉलर की संपत्ति है। नवाज, पीएम बनने से पहले वर्ष 1981 में पाक के वित्त मंत्री बने थे। इसके बाद वर्ष 1985 में वह पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री बने।
फिर बने पाक के पीएम
नवाज को वर्ष 1990 में पहली बार पाक का पीएम चुना गया। लेकिन वर्ष 1993 में उस समय के पाक राष्ट्रपति गुलाम इशहाक खान ने उन पर भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का आरोप लगाया और उनकी सरकार को निलंबित कर दिया।पीएम नवाज पर आरोप लगा था कि जब वह पहली बार पाक के पीएम बने तो उनका फैमिली बिजनेस कई गुना तक बढ़ गया। उसको मिल रहे फायदे ने कई लोगों को हैरान कर दिया था।1993 में पाक सुप्रीम कोर्ट ने उनके निलंबन को गलत और असंवैधानिक ठहराया। नवाज ने इस्तीफा दिया और फिर 1997 में हुए चुनावों में उन्हें फिर से पीएम चुना गया।
मुशर्रफ की साजिश का शिकार
कारगिल युद्ध में मिली हार के बाद की वजह से हताश उस समय के आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने जनवरी 2000 में तख्तापलट के जरिए नवाज को सत्ता से बेदखल कर दिया था।नवाज पर तख्तापलट के बाद मर्डर, हाइजैकिंग और आतंकवाद फैलाने का आरोप लगा कर उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी गई थी। उन्हें हत्या की साजिश के आरोप में दोहरे उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।दिसंबर 2000 में सऊदी अरब के शाही परिवार ने एक डील के तहत उन्हें जेल से रिहा करवाया। इसके बाद नवाज अपने पूरे परिवार के साथ 10 वर्षों के लिए निर्वासित जिंदगी बिताने के लिए सऊदी अरब में रहने को मजबूर हो गए।
पिता की मौत पर भी नहीं आ पाए पाकिस्तान
साल 2004 में उनके पिता मियां मुहम्मद शरीफ का इंतकाल हो गया और शरीफ ने पाक लौटने की अनुमति मांगी ताकि अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें। लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली और वह अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके।2007 में उनके निर्वासन के सात वर्ष पूरे हो गए थे और तभी सुप्रीम कोर्ट ने उनका निर्वासन खत्म कर दिया। इसी वर्ष जब उन्होंने पाक लौटने की कोशिश की तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया।नवंबर 2007 में शरीफ सऊदी अरब से लाहौर लौटे और फिर से राजनीति में सक्रिय हुए।