कश्मीर में आतंकवाद, मुंबई ब्लास्ट और कारगिल युद्ध, भारत कभी माफ नहीं कर सकता पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ को
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज को आज देश पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। नवाज, तीन बार पाकिस्तान के पीएम रहे और जब-जब वह इस्लामाबाद पहुंचे, तब-तक भारत पर इसका गहरा असर पड़ा।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज को आज देश पहुंचते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा। नवाज, तीन बार पाकिस्तान के पीएम रहे और जब-जब वह इस्लामाबाद पहुंचे, तब-तक भारत पर इसका गहरा असर पड़ा। पहली बार पीएम बनते ही उन्होंने कश्मीर का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मंच पर उठाया तो अफगानिस्तान में भी दखल देना शुरू किया। भारत कभी भी नवाज को माफ नहीं कर सकता। नवाज पाकिस्तान के शायद एक ऐसे प्रधानमंत्री रहे, जिन्होंने हमेशा एक मुखौटा पहना हुआ था। वह जब भारत के पीएम या दूसरे नेता से मिलते तो शांति की वकालत करते नजर आते लेकिन आईएसआई और सेना के आगे हमेशा सुर बदल लेते। नवाज कहीं न कहीं भारत के लिए एक बड़े विलेन के तौर पर रहे हैं और जानिए कि आखिर हम ऐसा क्यों कह रहे हैं।
पहली बार बने पीएम, कश्मीर घाटी में बढ़ा आतंकवाद
पहली बार नवाज साल 1990 से 1993 तक पाकिस्तान के पीएम रहे। पहली बार नवंबर 1990 में उन्होंने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद का जिम्मा संभाला था। अगर ध्यान दिया जाए तो यह वह समय था जब कश्मीर में आतंकवाद और चरमपंथ ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। 90 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद सिर उठा चुका था, भारत की ओर से कई बार पाकिस्तान की सरकार और आईएसआई को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया लेकिन न तो पाकिस्तान सरकार ने इस पर कोई ध्यान दिया और न ही आईएसआई पर कोई सख्ती बरती गई। जब घाटी में आतंकवाद पैर पसार रहा था तो नवाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर का मुद्दा उठा रहे थे।
मुंबई में ब्लास्ट और इस्लामाबाद में पीएम नवाज
मार्च 1993 में भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई एक के बाद एक सीरियल ब्लास्ट्स से दहल गई। पहली बार विशेषज्ञों ने माना कि आईएसआई और पाकिस्तान की सेना ने कश्मीर से बाहर अब भारत के दूसरे ठिकानों पर हमले करने शुरू कर दिए हैं। इन बम धमाकों को हालांकि अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहीम ने अंजाम दिया लेकिन कहते हैं कि आईएसआई ने इसमें पूरी मदद की। मुंबई में जब ब्लास्ट्स हो रहे नवाज, पाकिस्तान में अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहे थे। दिलचस्प बात यह है कि उसी वर्ष जनवरी में बम धमाकों की खेप भारत आनी शुरू हुई थी। तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति चुने गए बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान को छह माह का समय दिया था कि वह अपने रवैये में सुधार करे नहीं तो उसे आतंकी देश घोषित कर दिया जाएगा। ब्लास्ट्स के बाद पीएम नवाज पर दबाव बहुत बढ़ गया था क्योंकि दाऊद इब्राहीम को न सिर्फ पाकिस्तान में शरण दी गई बल्कि उसे पूरी सुरक्षा भी मुहैया कराई गई।
कारगिल वॉर के समय रहे प्रधानमंत्री
मई 1999 में नवाज शरीफ जब पाक के प्रधानमंत्री थे, भारत और पाक के बीच तीसरा युद्ध यानी कारगिल वॉर शुरू हो गया। नवाज शरीफ ने अक्टूबर 1998 में परवेज मुशर्रफ को पाक आर्मी का प्रमुख नियुक्त किया था। कुछ विशेषज्ञों की मानें तो नवाज शरीफ कारगिल वॉर के ब्लूप्रिंट से पूरी तरह से वाकिफ थे लेकिन नवाज हमेशा इससे इंकार करते आए हैं। नवाज की मानें तो उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी। उन्हें इसके बारे में तब मालूम चला जब उस समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने एक अरजेंट कॉल के जरिए उनसे संपर्क किया। वह अगर मुशर्रफ की बात पर अगर यकीन किया जाए तो नवाज शरीफ ने ही कारगिल युद्ध की योजना के बारे में उनसे बात की। मुशर्रफ ने एक किताब के लेखक को जो बातें बताई उनके मुताबिक मुशर्रफ के अलावा शरीफ और तीन और जनरल को इस योजना के बारे में मालूम था। मुशर्रफ की बातों पर अगर यकीन करें तो शरीफ को 19 फरवरी 1999 की वाजपेई की लाहौर यात्रा से 20 दिन पहले ही कारगिल ऑपरेशन के बारे में सारी जानकारी दे दी गई थी।