अमेरिका में पाकिस्तान की मिलिट्री और इसके पीएम इमरान खान की पोल खोल रही है यह लड़की
न्यूयॉर्क। शुक्रवार को न्यूयॉर्क में यूनाइटेड नेशंस जनरल एसेंबली (उंगा) में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत पर एक-एक करके आरोप लगाते जा रहे थे तो हेडक्वार्टर के बाहर उनके एक-एक झूठ से पर्दा हटाया जा रहा था। पाकिस्तान की मानवाधिकार कार्यकर्ता गुलालई इस्माइल इमरान के भाषण के दौरान हेडक्वार्टर के बाहर थीं और पाकिस्तान सेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही थीं। पिछले माह पाकिस्तान सरकार के अधिकारियों से बचकर अमेरिका पहुंची मानवाधिकार कार्यकर्ता इस्माइल ने अमेरिकी सरकार से राजनीतिक शरण देने मांगी है।
तानाशाह है पाकिस्तान की मिलिट्री
गुलालई ने बताया कि कैसे पाकिस्तान में सेना अल्पसंख्यकों पर अत्याचार कर रही है। गुलालई उसी मुजाहिर, पश्तून, बलोच, सिंधी और दूसरे समुदाय के लोगों के साथ थीं जो अपने ऊपर हुए अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थीं। उन्होंने विरोध प्रदर्शन के दौरान कहा, 'मासूम पश्तून को आतंकवाद के खात्मे के नाम पर मार दिया गया। हजारों लोग पाक सेना सेंटर्स और टार्चर सेल्स में बंद हैं।' गुलालई ने कहा कि हमारी मांग है कि पाकिस्तान मिलिट्री की तरफ से हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन को तुरंत खत्म किया जाए। उन लोगों को रिका किया जाए जिन्हें बंद रखा गया है। उन्होंने कहा कि खैबर पख्तूनख्वां में पाकिस्तानी मिलिट्री की तरफ से तानाशाही चल रही है। गुलालई पर पाकिस्तान ने देशद्रोह का आरोप लगाया था और इसके बाद उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। अब उन्हें पाकिस्तान में अपने माता-पिता की चिंता सता रही है। उन्हानें कहा माता-पिता के साथ ही उन्हें उस अंडरग्राउंड नेटवर्क को लेकर भी काफी चिंता है जिसकी मदद से उन्हें पाकिस्तान से निकलने में मदद मिली।
न्यूयॉर्क में हैं इस समय गुलालई
पिछले दिनों न्यूयॉर्क टाइम्स में उनका एक इंटरव्यू आया था। फिलहाल गुलालई इस समय अपनी बहन के साथ न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में रह रही है। उन्होंने हालांकि यह नहीं बताया है कि आखिर वह पाकिस्तान से निकलने में कैसे कामयाब हो पाईं। गुलालई ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, 'मैं आपको और नहीं बता सकती। मेरे वहां से निकलने की कहानी कई लोगों की जिंदगी को जोखिम में डाल देगी।' डॉन के अनुसार, नवंबर 2018 में इस्लामाबाद हाईकोर्ट को बताया गया था कि आईएसआई ने विदेश में गुलालाई इस्माइल की देश विरोधी गतिविधियों के लिए उनका नाम एक्जिट कंट्रोल लिस्ट (ईसीएल) में डालने की सिफारिश की थी। इस्माइल ने ईसीएल में अपना नाम आने के बाद सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। एक याचिका के बाद, इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने उनका नाम लिस्ट से हटाने का आदेश दिया था।