'जिगरी' चीन के अलावा इन दो देशों ने FATF में पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट होने से बचाया है
इस्लामाबाद। आज फ्रांस की राजधानी पेरिस से पाकिस्तान को लेकर एक बड़े फैसले का ऐलान होने वाला है। टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की तरफ से आधिकारिक ऐलान किया जाएगा कि पाकिस्तान को फरवरी 2020 तक डार्क ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा या फिर ग्रे लिस्ट में ही रहने दिया जाएगा। पाकिस्तान इस बार भी आत्मविश्वास से लबरेज है और उसे पता है कि जब तक उसका जिगरी दोस्त चीन यहां पर है, तब तक कोई भी उसका बाल नहीं बांका नहीं कर सकता है। यूनाइटेड नेशंस (यूएन) में प्रतिबंधित कई आतंकी संगठनों और ओसामा बिन लादेन का पनाहगार पाकिस्तान इस बार भी ब्लैकलिस्ट होने से बच जाएगा। विशेषज्ञों की मानें तो जब तक चीन है पाक ग्रे लिस्ट में ही रहेगा और ब्लैकलिस्ट नहीं हो सकेगा।
पिछले वर्ष से ग्रे लिस्ट में
पिछले वर्ष जून में पाकिस्तान, एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में आया था। टेरर फाइनेंसिंग पर लगाम लगाने में असफल रहने की वजह से पाक को ग्रे लिस्ट में डाला गया था। पांच दिनों से पेरिस में संगठन की मीटिंग जारी है और आज शाम को इस बात का पता चल जाएगा कि पाक ब्लैकलिस्ट होता है या फिर उसे डार्क ग्रे लिस्ट में रखा जाएगा। अगर पाक को ब्लैकलिस्ट किया जाता तो वह ईरान और नॉर्थ कोरिया की ही तरह संस्था में प्रतिबंधित हो जाता। आर्थिक संकट और रुपए की किल्लत का सामना करता पाकिस्तान इसी तरह से अगर ग्रे लिस्ट में रहा तो फिर प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और वर्ल्ड बैंक से देश के लिए फंड जुटाना खासी दिक्कत का काम हो जाएगा।
चीन, मलेशिया और टर्की बने हैं पाक के मददगार
विल्सन सेंटर थिंकटैंक में एशिया प्रोग्राम के डायरेक्टर माइकल कुगेलमन की मानें तरे पाकिस्तान के लिए एफएटीएफ को इस बात पर संतुष्ट करना कि उसने टेरर फंडिंग को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, एक बड़ी चुनौती है। पाकिस्तान हमेशा भारत पर आरोप लगाता रहता है कि वह इसे ब्लैकलिस्ट कराने के लिए लॉबिंग कर रहा है। अब एफएटीएफ में उसका सारा भरोसा चीन, टर्की और मलेशिया पर टिका है। किसी भी देश के लिए ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए तीन वोटों की जरूरत होती है।
इसलिए बीजिंग गए थे इमरान और बाजवा
दो टॉप सरकारी अधिकारी और एक सुरक्षा अधिकारी की ओर से न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया गया है कि पाक के सैन्य और असैन्य लीडरशिप की ओर से चीन की सरकार से इस बात की गारंटी ले ली गई है कि पाक को ब्लैकलिस्ट नहीं किया जाएगा। हाल ही में इमरान खान के अलावा, पाक आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा बीजिंग पहुंचे थे। आपको बता दें कि चीन के पास ही इस समय एफएटीएफ की प्रधानी है। पाक के फाइनेंस चीफ अब्दुल हफीज शेख ने पिछले दिनों एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'भगवान जानता है कि हम इस ग्रे लिस्ट से जल्द से जल्द बाहर आएंगे। मुझे लगता है कि आपको भी यकीन करना चाहिए कि इसके लिए एक विस्तृत योजना से काम हो रहा है।'
फरवरी तक ही सुरक्षित है पाकिस्तान!
पाकिस्तान इस बार अगर ब्लैकलिस्ट होने से बच गया तो फिर यह अस्थायी होगा। फरवरी में एफएटीएफ की मीटिंग फिर से होगी और इस मीटिंग में पाक पर बड़ा फैसला लिया जा सकता है। वर्तमान मीटिंग से पहले एफएटीएफ के एशिया पैसेफिक ग्रुप (एपीजी) की मीटिंग में पाकिस्तान की तरफ से टेरर फाइनेंसिंग को रोकने के लिए किए गए उपायों पर नाखुशी जताई गई थी। एपीजी की रिपोर्ट में कहा गया थाकि 40 प्रस्तावों में से पाक ने सिर्फ एक को ही विस्तृत तौर पर अपनाया है, नौ को बड़े स्तर पर अपनाया, 26 ऐसे हैं जिन्हें आंशिक तौर पर अपनाया तो चार मानकों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया है। ये चार मानक ही पाक को ग्रे लिस्ट से निकालने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी थे।