पाकिस्तान: खैबर में लड़कियों की सिक्योरिटी के लिए सरकारी स्कूल में बांटे जा रहे बुर्के
इस्लामाबाद। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), देश की सत्ताधारी पार्टी जिसके मुखिया बतौर प्रधानमंत्री नया पाकिस्तान की बात करते हैं। लेकिन उनकी ही सरकार के एक प्रांत में लड़कियों को स्कूल में इसलिए बुर्के बांटे जाते हैं ताकि माहौल को उनके लिए सुरक्षित बनाया जा सके। पाक के खैबर पख्तूनख्वां प्रांत के कुछ स्कूलों में लड़कियों को बुर्के बांटे जा रहे हैं। खैबर की रूस्तम घाटी के चीना गांव में लड़कियों के मॉडल स्कूल में बुर्के बांटे की पहली घटना सामने आई है।
खर्च कर दिए 100,000 रुपए
चीना गांव में अथॉरिटीज को पीटीआई से मिले फंड की मदद से पूर्व डिस्ट्रीक्ट काउंसिल मेंबर मुजफ्फर शाह की तरफ से लड़कियों के स्कूल में बुर्के बंटवाएं गए हैं। खैबर प्रांत में पीटीआई की ही सरकार है। पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। शाह ने अखबार को बताया, 'मैंने फैसला किया था कि मैं लड़कियों के लिए पूरा एक चादरनुमा कपड़ा खरीदूंगा लेकिन स्थानीय नेताओं के साथ सलाह-मशविरा करके मैंने बुर्के खरीद।' उन्होंने बताया कि सभी बुर्कों की कीमत100,000 रुपए के आसपास है। इन्हें लड़कियों को फ्री में दिया गया है। चीना में गर्वमेंट गर्ल्स मीडिल स्कूल में बुर्के फ्री में बांटे गए हैं।
जारी हुआ सरकारी नोटिफिकेशन
गांव के काउंसिलर ने हाल ही में खैबर के चीफ मिनिस्टर के सलाहकार जियाउल्ला बंगश, जो प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से जुड़े हैं, उनकी ओर से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि लड़कियों को पर्दे में स्कूल आना होगा। इसके बाद शाह ने स्कूल में बुर्के बंटवाएं हैं। शाह ने भी इसी तरह का बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हाल ही में जारी नोटिफिकेशन के बाद उन्होंने बुर्के बांटने का फैसला लिया है। यह फैसला सिर्फ इसलिए लिया गया है ताकि इलाके में स्कूल जाने वाली लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाया जा सके।
स्कूलों में बुर्का अनिवार्य
खैबर प्रांत की सरकार ने सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए बुर्का अनिवार्य कर दिया है। इस आदेश को हरीपुर जिले में सबसे पहले जारी किया गया था। यहां पर सभी ऑफिसर, प्रधानाचार्यों और पब्लिक स्कूल की सभी टीचर्स को यह सुनिश्चित करने को कहा है कि लड़कियों को चादर या फिर गाउन पहनकर आना होगा। हालांकि आदेश के कुछ घंटों के बाद ही इसे सिर्फ सरकारी स्कूलों के लिए ही सीमित कर दिया गया। मुख्यमंत्री महमूद खान ने इस आदेश को वापस लेने के लिए कहा था। उनका कहना था कि सरकार से सलाह के बिना ही इसे जारी कर दिया गया था।