करतारपुर साहिब जाने के लिए दूसरे चरण में लगेगा वीजा, पहले चरण में भी ठहरने के लिए लेना होगा परमिट
इस्लामाबाद। बुधवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने करतारपुर कॉरिडोर का शिलान्यास किया है। इस कॉरिडोर के खुलने के साथ ही भारतीयों के लिए पाकिस्तान में वीजा फ्री एंट्री का रास्ता भी खुल जाएगा। चार किलोमीटर के रास्ते को तय करने के लिए भारतीयों को वीजा की जरूरत नहीं होगी। करतारपुर कॉरिडोर भारत के पंजाब राज्य में स्थित डेरा बाबा नानक से अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर स्थित करतारपुर तक जाएगा जो पाकिस्तान के पंजाब में स्थित है। करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब है। यहां पर सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अपनी जिंदगी के 18 वर्ष बिताए थे और सन् 1539 में यहीं पर उनका निधन हुआ था। यह भी पढ़ें-20 साल बाद: नवाज शरीफ ने कही थी अटल के लिए जो बात, इमरान ने सिद्धू के लिए दोहराई
पहले चरण में नो वीजा
भारत और पाकिस्तान के बॉर्डर को दुनिया के कुछ खतरनाक बॉर्ड्स में गिना जाता है। साल 1947 में दोनों देशों का बंटवारा हुआ था और उस समय से ही भारत-पाकिस्तान को एक बॉर्डर के जरिए अलग-अलग देश करार दिया जाता है। उस समय से ही दोनों देशों के नागरिकों को आने-जाने के लिए वीजा की जरूरत होती है। यह पहला मौका होगा जब भारत से लोगों को पाकिस्तान वीजा फ्री एंट्री मिलेगी। इस कॉरिडोर प्रोजेक्ट के जरिए दोनों देशों के बीच नई सड़कें और नए पुल का निर्माण हो सकेगा। सड़क और पुल के जरिए दोनों देशों को आपस में जोड़ा जाएगा। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की मानें तो भारत-पाक के रिश्तों में यह एक नई शुरुआत है।
वाजपेयी का था आइडिया
करतारपुर कॉरिडोर का असली आइडिया साल 1999 में आया था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से लाहौर यात्रा के दौरान इस पर चर्चा की गई थी। गुरुद्वारे की कुल दूरी डेरा बाबा नानक से छह किलोमीटर है। भारत में बसे सिख समुदाय के लोग इस गुरुद्वारे को सिर्फ दूरबीन से ही देखते हैं और अब वह गुरुद्वारे में जाकर पूजा कर सकेंगे। इस कॉरिडोर को अगले वर्ष नवंबर में खोला जाएगा। द हिंदु की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान सरकार के प्लान के तहत सर्वे का काम पूरा हो चुका है। दिसंबर में जमीन अधिग्रहण का काम पूरा हो जाएगा। वहीं अगले वर्ष एक नवंबर तक सड़क और दूसरी सुविधाओं का निर्माण पूरा कर लिया जाएगा।
दूसरे चरण में लगेगा वीजा
निर्माण कार्य के तहत एक बोर्डिंग टर्मिनल तैयार होगा जहां से शटल बसें श्रद्धालुओं को करतारपुर गुरुद्वारे तक लेकर जाएंगी। बसें 800 मीटर लंबे पुल से गुजरेंगी जो रावी नदी पर बनेगा। इसके अलावा श्रद्धालुओं के लिए रहने का अस्थायी प्रबंध किया जाएगा और टेंट में श्रद्धालु रुकेंगे। द हिंदू के मुताबिक इन टेंट्स में रहने के लिए श्रद्धालुओं को स्पेशल परमिट की जरूरत होगी लेकिन वीजा की जरूरत नहीं होगी। कॉरिडोर के दूसरे चरण में होटलों और दुकानों का निर्माण होगा और यहां से ही श्रद्धालुओं को वीजा दिया जाएगा।
बायोमीट्रिक चेक्स अपनाएगा पाकिस्तान
पाकिस्तानी अधिकारियों की मानें तो सुरक्षा व्यवस्था सबसे अहम मुद्दा है। अधिकारियों ने बताया कि तीर्थयात्रियों के लिए बायोमीट्रिक चेक्स होंगे जहां पर दर्शन के लिए एक तय समय श्रद्धालुओं को दिया जाएगा। अधिकारी यह भी कहते हैं कि समय इस बात पर निर्भर करेगा के दोनों पक्षों तीर्थयात्रियों के स्थानांतरण के लिए क्या मॉडल अपनाते हैं। वर्तमान समय में भारत ने वाघा बॉर्डर पर पासपोर्ट चेक का नियम बनाया हुआ है। वहीं कश्मीर में बस से एलओसी पार करने पर खास मंजूरी की जरूरत होती है।