पाकिस्तान में भारतीय राजनयिकों को नो गैस कनेक्शन और उनका इंटरनेट भी किया गया ब्लॉक
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में तैनात भारतीय राजनयिकों को पिछले कुछ दिनों से काफी परेशान किया जा रहा है। अब भारत ने इस मुद्दे को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के सामने उठाया है। न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी दी है। राजनयिकों के घर आने वाले मेहमानों को भी खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ माह से राजनयिकों को तंग करने का सिलसिला जारी है। इन्हें नए गैस कनेक्शन नहीं दिए जा रहे है, उनके घरों की बिजली अक्सर काट दी जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं कई सीनियर डिप्लोमैट्स को मिलने वाली इंटरनेट सर्विसेज को भी ब्लॉक कर दिया जाता है।
पिछले माह भारत ने दर्ज कराया था विरोध
सूत्रों की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है कि 10 दिसंबर को जब एक घुसपैठिए ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय राजनयिक के घर में दाखिल होने की कोशिशें की तो सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो गए। कई बार जब कोई मेहमान इनके घर आता है तो उसे अजीब तरह के सवालों का सामना करना पड़ता है। पिछले माह भारत की ओर से पाकिस्तान के पास इस मामले को लेकर कड़ा विरोध दर्ज कराया गया था। उस समय पाकिस्तान ने दो भारतीय सिख राजनयिकों को गुरुद्वारा नानकाना साहिब में दाखिल होने की मंजूरी नहीं दी जा रही थी।
पाकिस्तान ने किया था समस्या सुलझाने का वादा
इससे पहले इस वर्ष 30 मार्च को भी भारत और पाकिस्तान ने आपस राजनयिकों के साथ होने वाले बर्ताव और उनके आधिकारिक निवास से जुड़े मसलों को सुलझाने पर रजामंदी जाहिर की थी। दोनों देश साल 1992 में राजनयिकों के लिए आए कोड ऑफ कनडक्ट के तहत मसले को सुलझाने पर राजी हुए थे। उस समय भारत और पाकिस्तान की ओर से कुछ प्रेस रिलीज भी जारी की गई थीं। इसके बाद इस वर्ष जुलाई में संसद में बोलते हुए विदेश राज्यमंत्री वीके सिंह ने बताया था कि भारत सरकार ने समय-समय पर इस्लामाबाद में स्थित उच्चायोग में तैनात राजनयिकों के शोषण की इन घटनाओं, आक्रामक जासूसी और उन्हें डराने वाली घटना को पाकिस्तान के सामने उठाया है।
क्या कहता है साल 1992 का कोड ऑफ कनडक्ट
वीके सिंह ने बताया था कि पाकिस्तान से इन मसलों को सुलझाने की बात कही गई थी। साथ ही राजनयिकों और काउंसलर अधिकारियों की सुरक्षा पर भी ध्यान देने को कहा गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1992 में आया कोड ऑफ कनडक्ट कहता है कि आधिकारिक निवास पर राजनयिक और उनके परिवार की सुरक्षा का सम्मान किया जाएगा और इसे सुरक्षित किया जाएगा। इसके साथ मौखिक या फिर शारीरिक तौर पर किसी भी तरह की जासूसी या डराने के काम को भी स्वीकार नहीं किया जाएगा।