सिंधु नदी पर स्थायी हल के लिए लाहौर में होगी मीटिंग, भारत भी करेगा शिरकत
मार्च में लाहौर में होनी है सिंधु नदी पर बने स्थायी आयोग की मीटिंग और भारत भी लेगा हिस्सा। भारत-पाक के अधिकारी सिंधु नदी संधि पर करेंगे बातचीत। पाक ने संधि में किसी भी बदलाव को न मानने की बात कही।
लाहौर। मार्च के माह में स्थायी सिंधु आयोग की एक मीटिंग होने वाली है और यह मीटिंग मार्च में होगी। पाक ने भारत को सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के स्थायी समाधान के लिए आमंत्रण भेजा है। भारत की ओर से अधिकारी इस मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए लाहौर जाएंगे।
पठानकोट हमले के बाद बना कमीशन
स्थायी सिंधु कमीशन एक द्विपक्षीय कमीशन है जिसमें भारत और पाकिस्तान के अधिकारी शामिल हैं। इस आयोग को संधि को लागू करने और इसके लक्ष्यों को हासिल करने के लिए बनाया गया है। यह आयोग जनवरी 2016 में पठानकोट आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बाद बनाया गया था। पाकिस्तान की ओर से साफ कर दिया गया है कि वह संधि में किसी भी तरह के बदलाव को नहीं मानेगा। भारत ने कहा था कि वह पाक के साथ सिंधु नदी संधि मसले पर पाकिस्तान के साथ बातचीत को तैयार है। सिंधु नदी पर किशनंगगा और राल्ते परियोजनाओं की वजह से इस संधि को लेकर दोनों देशों के बीच मतभेद गहरा गए हैं। पाक का तर्क था कि भारत अपने दोनों विवादित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए समय ले रहा है। पाक ने इस बात पर भी जोर डाला कि दोनों परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और अब इसमें कोई बदलाव नहीं होना चाहिए। पाकिस्तान दोनों परियोजनाओं को लेकर अपना विरोध जता चुका है। किशनगंगा परियोजना 330 मेगावॉट और राल्ते 850 मेगावॉट से जुड़े हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्लांट्स से जुड़ी परियोजनाएं हैं। पाक का कहना है कि भारत ने दोनों परियोजनाओं के साथ संधि को तोड़ा है।
पीएम मोदी ने दी थी धमकी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाक को धमकी दी थी कि वह पाक की ओर से बहने वाले पानी को रोक देंगे। इसके बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया था। विश्व बैंक की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि दोनों देश अपने मतभेदों को खुद सुलझाएं। विश्व बैंक की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि भारत की ओर से एक तटस्ट विशेषज्ञ की नियुक्ति के अनुरोध और पाक की ओर से पंचाट की बात को सिर्फ कुछ समय के लिए रोका गया था ताकि दोनों देश भारत की ओर से बन रहे प्लांट्स से जुड़े मुद्दों को खुद ही सुलझा लें। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता 19 सितंबर 1960 को हुआ था। इस समझौते के तहत रावी, व्यास और सतलज नदी का पानी भारत को मिला तो सिंधु, झेलम और चेनाब का 80 प्रतिशत पानी पाकिस्तान को मिला। जिस समय संधि साइन पंडित जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रधानमंत्री थे और अयूब खान पाकिस्तान के राष्ट्रपति थे।