UAE- इजरायल के बीच समझौते से सदमे में पाकिस्तान की इमरान सरकार, जनता बोली-लानत है ऐसी डील पर
इस्लामाबाद।
गुरुवार
को
इजरायल
और
संयुक्त
अरब
अमीरात
(यूएई)
के
बीच
एतिहासिक
शांति
समझौता
होने
की
खबर
आई।
इस
समझौते
के
साथ
ही
यूएई
ने
इजरायल
के
साथ
अपने
संबंधों
को
बहाल
कर
दिया
है।
इस
घटनाक्रम
को
क्षेत्र
के
लिए
एक
प्रभावी
कदम
माना
जा
रहा
है।
वहीं
पाकिस्तान
की
सरकार
ने
इस
समझौते
पर
अब
तक
चुप्पी
साधी
हुई
है।
पाकिस्तान
सरकार
का
कहना
है
कि
वह
पहले
स्थिति
को
ठीक
से
समझेगी
तब
ही
कोई
प्रतिक्रिया
देगी।
वहीं
सोशल
मीडिया
पर
पाक
यूजर्स
ने
इस
समझौते
पर
जमकर
रिएक्शन
दिया
है।
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इजरायल के लिए मान्य नहीं पासपोर्ट
बताया जा रहा है कि अब इस समझौते के बाद इजरायल वेस्ट बैंक पर कब्जे की अपनी योजना पर आगे नहीं बढ़ेगा। अगर आप नहीं जानते हैं तो आपको बता दें कि पाकिस्तान का पासपोर्ट इजरायल के अलावा दुनिया के सभी देशों में जाने की मंजूरी देता है। @fat_a8 नाम के एक ट्विटर हैंडल से इस डील को लानत भेजने की बात कही गई है, तो @irizmemon नाम के हैंडल ने तुर्की को पाकिस्तानियो का सच्चा दोस्त बताया है। दूसरी ओर पाकिस्तान विदेश विभाग की तरफ से अभी तक कोई बयान नहीं दिया गया है। पाकिस्तान के अखबार द न्यूज के मुताबिक गुरुवार को जब विदेश विभाग से इस मसले पर प्रतिक्रिया लेने की कोशिश की गई तो उसकी तरफ से स्पष्ट तौर पर कुछ भी नहीं किया गया है।
विदेश मंत्रालय में शांति
विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पहले ही सऊदी अरब पर दिए गए बयान को लेकर विवादों में हैं। सूत्रों के हवाले से अखबार ने बताया है कि राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व के बीच शुक्रवार को मीटिंग हुई। इस मीटिंग में इस समझौते पर विस्तार से चर्चा की गई है। पाकिस्तान की सरकार इस एग्रीमेंट के फायदे और नुकसान को विस्तार से समझना चाहती है। पाक विदेश सचिव सोहेल महमूद समझौते के बाद देर रात तक अपने ऑफिस में थे। पाक मीडिया के मुताबिक सरकार ने अरब देशों में मौजूद अपने राजदूतों से कहा है कि वह इस बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट मांगे। विदेश मंत्री कुरैशी मीडिया से बात नहीं कर रहे हैं और वह इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
मित्र देशों से संपर्क में जुटी सरकार
यूएई और इजरायल, कोरोना वायरस महामारी के बीच साथ में कई माह से काम कर रहे हैं। लेकिन यह एग्रीमेंट एक मील का पत्थर साबित हुआ है। सूत्रों का कहना है कि अब पाकिस्तान वही रुख अपनाना चाहता है जो ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) के सदस्य देशों का है। पाकिस्तान पहले भी कह चुका है कि अगर सऊदी अरब, इजरायल को एक यहूदी देश की मान्यता देता है तो फिर वह भी इसे मान्यता दे देगा। पाकिस्तान फिलहाल चुप है और अभी अपने मित्र देशों के साथ संपर्क कायम कर, उनकी राय जानने की कोशिशों में लगा हुआ है।
पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी!
यूएई और इजरायल के बीच जो समझौता हुआ है कहा जा रहा है कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी में व्हाइट हाउस में साइन होगा। फिलीस्तीन ने अपने राजदूत को यूएई से वापस बुला लिया है। यूएई अभी तक फिलीस्तीन का समर्थन करता आ रहा था लेकिन इस समझौते के ऐलान से फिलीस्तीन को बड़ा झटका लगा है। रक्षा क्षेत्र के जानकार मानते हैं कि इस डील से पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ गई हैं। डील ऐसे समय में हुई है जब पाकिस्तान के रिश्ते सऊदी अरब से पहले ही खराब चल रहे हैं। उनका कहना है कि अभी तक कश्मीर के नाम पर पाक को जो फंड मिलता था, वह भी संकट में है।