पहले किया बिलियन डॉलर का निवेश अब पाकिस्तानियों की बीवियां चुरा रहा है चीन!
पाकिस्तान में इन दिनों व्यापारी एक नई मुसीबत का सामना कर रहे हैं। यहां पर हर साल सर्दी की शुरुआत में काराकोरम के जरिए पाक के व्यापारी चीनी मूल की अपनी पत्नियों को सर्दियां बिताने के लिए शिनजियांग प्रांत में स्थित उनके घर चीन विदा करते हैं।
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में इन दिनों व्यापारी एक नई मुसीबत का सामना कर रहे हैं। यहां पर हर साल सर्दी की शुरुआत में काराकोरम के जरिए पाक के व्यापारी चीनी मूल की अपनी पत्नियों को सर्दियां बिताने के लिए शिनजियांग प्रांत में स्थित उनके घर चीन विदा करते हैं। फोन के जरिए ये व्यापारी अपनी पत्नियों और अपने परिवार वालों के साथ संपर्क में रहते हैं। हर वर्ष बसंत के मौसम में ये अपनी पत्नियों और अपने परिवार के साथ फिर से एक साथ होने का इंतजार करते हैं। लेकिन पिछले वर्ष शिनजियांग गईं यहां के व्यापारियों की पत्नियों के फोन अब कनेक्ट ही नहीं हो रहे हैं। पाकिस्तान के व्यापारी चीन में गायब होती अपनी पत्नियों की वजह से खासे परेशान हैं और उनके साथ किसी भी तरह का कांटेक्ट न होने से इनकी परेशानियां बढ़ती जा रही हैं।
रि-एजुकेशन सेंटर बना बंदी गृह
इनके परिवार वालों को डर है कि चीन के उइगयूर में जहां पर मुसलमानों की आबादी है, वहां पर रि-एजुकेशन सेंटर की आड़ में महिलाओं को बंदी बनाकर रखा गया है। पाकिस्तान के एक बिजनेसमैन इकबाल ने इस पर बताया, 'मेरी पत्नी और बच्चों को पिछले वर्ष मार्च में चीनी अथॉरिटीज अपने साथ ले गई थी और अब तक मेरी उनसे बात नहीं हुई है।' पिछले वर्ष जुलाई में वह उनकी तलाश के लिए चीन भी गए थे और बॉर्डर से ही उन्हें वापस कर दिया गया था। उन्होंने बताया कि चीनी अथॉरिटीज की ओर से उन्हें जानकारी दी गई कि उनकी पत्नी को ट्रेनिंग दी जा रही है और सरकार उनके बच्चों का ध्यान रख रही है। इकबाल ने उनसे गुहार की कि वे उनकी बेटियों से एक बार बात करा दें, लेकिन अथॉरिटीज ने उनकी एक नहीं सुनी।
शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन
गिलगित बाल्टीस्तान के रहने वाले इकबाल भी उन दर्जन भर व्यापारियों में शामिल हैं, जो वीजा या अपने बिजनेस की वजह से पाकिस्तान लौटने को मजबूर हुए थे। जब से वह वापस आए हैं तब से ही वह चीन में अपने परिवार के साथ कोई भी कॉन्टेक्ट नहीं कर पाए हैं। शिनजियांग से सटी पाकिस्तान सीमा की स्थानीय परिषद के सदस्य जावेद हसन की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। इस माह की शुरुआत में इस परिषद की ओर से एक प्रस्ताव पास किया गया था जिसके तहत यहां के व्यापारियों के परिवारवालों को गैर-कानूनी तौर पर रोकने का विरोध किया गया था।
दोस्ती पर हो सकता है बुरा असर
हुसैन कहते हैं कि चीनी अथॉरिटीज को कम से कम इन्हें इनकी पत्नियों और बच्चों से मिलने की मंजूरी देनी चाहिए थी। हुसैन के मुताबिक चीन, पाकिस्तान का दोस्त है और ऐसी घटनाएं बुरा प्रभाव छोड़ती हैं। चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि दोनों पक्षों की तरफ से चीन-पाकिस्तान के लोगों के बीच मौजूद समस्यों पर बातचीत हो रही है। जबकि पाकिस्तान का कहना है कि इस मुद्दे को चीन की सरकार के साथ मिलकर सुलझाने की कोशिश की जा रही है। इकबाल का परिवार काश्गर में रहता है और यह शहर चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) का एक ट्रेड रूट है। काश्गर चीन को ग्वादर पोर्ट से जोड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में चीन और पाकिस्तान के रिश्ते सीपीईसी की वजह से और गहरे हो गए हैं। चीन ने इस प्रोजेक्ट के जरिए पाकिस्तान में बिलियन डॉलर्स का निवेश किया है।
चीन ने लगाई मुसलमानों पर कई पाबंदियां
गिलगित सीपीईसी का एक अहम पड़ाव है और यह जगह शिनजियांग को इस 44 बिलियन डॉलर वाले प्रॉजेक्ट से कनेक्ट करती है। चीन के उत्तर-पश्चिमी हिस्से मे स्थित मुसलमानों की बढ़ती आबादी चीन के लिए परेशानी बन गई है। यहां पर साल 2014 से कई तरह की आतंकी गतिविधियां संचालित हो रही हैं। यहां पर एक रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति ने नाइफ अटैक में 29 लोगों की जान ले ली थी। इस हमले के बाद से सार्वजनिक स्थलों पर इस्लाम के किसी भी तरह के प्रदर्शन को प्रतिबंधित कर दिया गया। कोई भी व्यक्ति यहां पर लंबी दाढ़ी नहीं रख सकता है और न ही कोई माता-पिता अपने बच्चों का नाम मोहम्मद रख सकते हैं। सुरक्षा नीति के तहत उइगयूर मुसलमानों को रि-एजुकेशन कैंप्स में रखा गया है। इस प्रांत के पुरुषों का कहना है कि उनकी पत्नियों को कैंपों में बंदी बनाकर रखा गया है जो असल में एक डिटेंशन सेंटर है।
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