मस्जिदों में पांच बार की नमाज जरूरी, पाकिस्तान में मौलवियों ने किया नाफरमानी का ऐलान
Five daily prayers necessary, say Pak clerics flouting coronavirus lockdown normsमस्जिदों में पांच बार की नमाज जरूरी, पाकिस्तान में मौलवियों ने किया नाफरमानी का ऐलान
लाहौर। दुनिया के अधिकांश देश कोरोना वारस कोविड 19 की जबरदस्त चपेट में आ चुके हैं। हर तरफ सड़के, मोहल्ले, शहर, राज्य देश पूरी तरह वीरान दिख रहे हैं। मंदिर, चर्च, गुरुद्वारें और दुनिया के बड़े इस्लामिक देशों में मस्जिदें बंद पड़ी हैं। ऐसा शायद पहले कभी न हुआ हो कि ईस्टर पर हुई प्रार्थना सभा में चर्च खाली पड़ा हो या भारत में नवरात्र के दिनों में मंदिरों में सन्नाटा छाया रहा हो। ये सभी कुछ लोगों के के सहयोग से केवल इसलिए संभव हुआ क्योंकि हर किसी ने इंसान की जिंदगी को अनमोल माना और सबसे बड़ा धर्म भी यही माना कि सबसे पहले इंसानी जिंदगी को बचाया जाए। लेकिन सारे नियमों को ताख पर रख कर इंसानी जिंदगी को हमेशा खिलवाड़ समझने वाले पाकिस्तान इन नियमों को न मानने वालों में शीर्ष पर है।
पाकिस्तान में मौलवियों ने लॉकडाउन के नियमों को मानने से किया इंकार
बता दें पूरी दुनिया इस वायरस पर कैसे जीत हासिल की जाए इसका रास्ता तलाशने में जुटी है वहीं पाकिस्तान में मौलवियों ने कोरोनोवायरस बीमारी कोविद-19 के प्रसार को रोकने के लिए सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने लॉकडाउन के नियमों का पालन करने से इंकार करते हुए हर दिन की जाने वालीं पांच टाइम की नमाज और शुक्रवार की नमाज मस्जिदों में आयोजित की जाएगी। सभी प्रांतों के अधिकारियों ने मस्जिदों में आधिकारिक तौर पर मण्डली प्रतिबंधित कर दी हैं। लेकिन सरकारी आदेशों के उल्लंघन के कई उदाहरण सामने आए हैं। हालांकि, उलेमाओं और मौलवियों ने कहा कि नमाज के दौरान कोरोना से बचने के लिए वे एहतियाती उपायों का पालन करेंगे।
उलेमाओं ने इसके पीछे दिया ये तर्क
ऐसा इसलिए क्योंकि यहां के उलेमाओं का मानना है कि देश में जारी लॉकडाउन मस्जिदों पर लागू नहीं होता है। इसलिए उन्होंने हमेशा की तरह मस्जिदों में नमाज पढ़ने का एलान कर दिया है। ये एलान किसी एक उलेमा ने नहीं किया है बल्कि वहां के सभी उलेमा में इस फैसले में शामिल हैं। पाकिस्तान के अखबार डॉन के मुताबिक इसको लेकर बाकायदा कराची प्रेस क्लब में इन उलेमाओं ने पत्रकारों को अपने फैसले की जानकारी भी दी। आपको बता दें कि सोमवार को सरकार की नाक के नीचे इस्लामाबाद में ही मुफ्तियों मौलवियों और उलेमाओं की बैठक हुई थी जिसमें 50 से अधिक लोगों ने भाग लिया था इसमें प्रतिबंधित संगठनों ने भी शिरकत की थी।
सरकार ने अड़ंगा लगाया तो ये ठीक नहीं होगा।
बता दें इस बैठक एक राय से फैसला भी किया गया और सरकार से मांग भी की गई थी। मांग थी कि सरकार मस्जिदों में नमाज पढ़ने को लेकर पाबंदी को खत्म करे और फैसला था कि मस्जिदों में तत्काल प्रभाव ने नमाज पढ़ना शुरू किया जाएगा। इसमें यदि सरकार ने अड़ंगा लगाया तो ये ठीक नहीं होगा। इसमें ये भी कहा गया था कि मस्जिदों पर लॉकडाउन लागू नहीं होता है।
सरकार के फैसले से बौखलाए उलेमाओं ने किया ये ऐलान
गौरतलब है कि पाकिस्तान में 272 नए संक्रमणों के बाद पाकिस्तान में कोरोनोवायरस पॉजिटिव मामलों की संख्या 6,000 हो गई, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान ने महामारी से लड़ने के लिए इस महीने के अंत तक लॉकडाउन को बढ़ाया हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि व्यावसायिक गतिविधियां शुरू करने के लिए कुछ प्रमुख उद्योग खोले जाएंगे। मंगलवार को ही एनसीसी की बैठक में जब लॉकडाउन को बढ़ाने पर फैसला लिया गया और कुछ जगहों पर इसमें ढील देने की बात कही गई तो उसमें मस्जिद का जिक्र नहीं था। इससे बौखलाए उलेमाओं ने प्रेस क्लब में मस्जिदों में नमाज पढ़ने का एलान कर दिया।
सटकर बैठे उलेमाओं ने ऐहतियात बरतने का किया वादा
प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित करने के दौरान वहां राउत ए हिलाल के चेयरमेन, मुफ्ती तकी उसमानी और मुफ्ती मुनीबुर्रहमान के अलावा जमियत उलेमा ए इस्लाम के चीफ मौलाना फजलुर्रहमान भी शामिल थे। इस प्रेस कांफ्रेंस में यहां तक कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान देश में बैंक रोज की तरह काम कर हैं जबकि वो कोई जरूरी उपाय भी नहीं कर रहे हैं।उलेमाओं ने दावा और वादा दोनों ही किया कि मस्जिद में नमाज पढ़ने के लिए काफी जगह है इसलिए वहां पर सख्ती से एक दूसरे से दूरी बनाए रखने, सेनिटाइजर का इस्तेमाल करने का सख्ती से पालन किया जाएगा। लेकिन सबसे बड़ी अफसोस की बात ये है कि उलेमा जब ये बातें कर रहे थे तो वो खुद एक दूसरे से सट कर बैठे थे।
पूरे पाकिस्तान में लॉकडाउन की ऐसे उड़ाई जा रही धज्जियां
गौरतलब है कि पाकिस्तान के सभी राज्यों के अधिकारियों ने मस्जिदों में आधिकारिक तौर पर प्रतिबंधित कर दिया है, जिसमें शुक्रवार की नमाज पर प्रतिबंध लगाया गया था लेकिन सरकारी आदेशों के उल्लंघन के कई उदाहरण के कई मामले सामने आए। इतना ही नहीं लॉकडाउन के आदेशों को लागू करने की कोशिश कर रही पुलिस के साथ टकराव की सूचना मिली है।डॉन अखबार में तीन फोटो ऐसी छपी हैं जो पाकिस्तान में जारी लॉकडाउन की कहानी को बयां करने के लिए काफी हैं। इनमें से एक फोटो लाहौर के बादाम बाग सब्जी मंडी की है जहां जबरदस्त भीड़ है और लोग सब्जी और फल खरीर रहे हैं। दूसरी फोटो क्वेटा की है जहां सरकार की तरफ से गरीबों को राशन की सप्लाई की गई है। तीसरी फोटो हैदराबाद में हबीब बैंक के बाहर मौजूद महिलाओं की भीड़ की है।
पांच नवाज को आवश्यक बताया
पाकिस्तान के अखबार डॉन के अनुसार, एक प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान और संघीय शरीयत अदालत के पूर्व न्यायाधीश मुफ्ती तकी उस्मानी ने पांच दैनिक नमाज को आवश्यक बताया। वहीं प्रमुख धार्मिक विद्वान और अध्यक्ष रूयत-ए-हिलाल समिति मुफ्ती मुनीबुर रहमान ने कहा कि तालाबंदी "मस्जिदों पर लागू नहीं" थी। उन्होंने कहा कि रमज़ान में शुक्रवार की नमाज और तरावीह के लिए व्यवस्था की जाएगी।