FATF ने आतंकी संगठनों पर कमजोर एक्शन के बाद पाक को फटकारा, अगले हफ्ते पेरिस से आ सकती है बुरी खबर
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इस्लामाबाद। पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के एशिया पैसेफिक ग्रुप (एपीजी) ने अपनी रिपोर्ट में तगड़ा झटका दिया है। ग्रुप की तरफ से पाक को 26/11 के मास्टरमाइंड हाफिज सईद और दूसरे आतंकी संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई न करने के लिए फटकार लगाई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाक ने मुंबई आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड के खिलाफ यूएनएससीआर1267 के तहत जरूरी कदम नहीं उठाए गए हैं। रिपोर्ट की मानें तो न सिर्फ हाफिज सईद बल्कि इससे जुड़े उन तमाम व्यक्तियों जो लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा (जेयूडी) और एफआईएफ से जुड़े हैं और दूसरे आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
पाकिस्तान ने नहीं की कोई कार्रवाई
एपीजी की रिपोर्ट को म्युचुअल इवैल्यूएशन रिपोर्ट ऑफ पाकिस्तान नाम दिया गया है। रिपोर्ट शनिवार को जारी हुई है और इसमें कहा गया है पाकिस्तान 40 में से 32 पैरामीटर पर नाकाम रहा। पाकिस्तान को आईएसआई, अलकायदा, जमात-उद-दावा, जैश-ए-मोहम्मद सहित अन्य आतंकी संगठनों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के मामले की पहचान कर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 228 पेज की इस रिपोर्ट के आने के बाद अगले हफ्ते पेरिस में होने वाली मीटिंग में पाक के ब्लैकलिस्ट होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। एपीजी की रिपोर्ट से पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकालकर ब्लैक लिस्ट में डालने का खतरा बढ़ गया है।
अब ब्लैकलिस्ट होगा पाकिस्तान
पाकिस्तान को इससे पहले जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाला गया था और उसे 27 प्वाइंट्स प्लान को एक्टिवेट करने के लिए 15 महीने की डेडलाइन दी गई थी। यह सीमा सितंबर में समाप्त हो चुकी है। इस संबंध में एफएटीएफ पेरिस में 13 से 18 अक्टूबर के बीच होने वाली बैठक में अंतिम समीक्षा कर सकती है। ब्लैक लिस्ट होने के चलते अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और यूरोपीय संघ पाकिस्तान की वित्तीय साख को और नीचे रख गिरा सकते हैं। ऐसे में वित्तीय संकट में जूझ रहे पाकिस्तान की स्थिति और खराब हो सकती है। एफएटीएफ ने पाक को लगातार ग्रे लिस्ट में रखा है। इस कैटेगरी के देश को कर्ज देने में बड़ा जोखिम समझा जाता है। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय कर्जदाताओं ने पाक को आर्थिक मदद और कर्ज देने में कटौती की है। इससे पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार कमजोर हुई।