वाजपेई के साथ बर्थडे शेयर करने वाले पाकिस्तान के पीएम नवाज शरीफ
लाहौर। कितनी अजीब बात है कि भारत और पाकिस्तान दोनों कभी एक ही देश का हिस्सा लेकिन आज अलग अलग और पिछले कर्इ दशकों से दोनों देशों के बीच सुलह और शांति की कोशिशें जारी हैं।
इन कोशिशों का ही सबसे बड़ा हिस्सा थी वर्ष 1999 में लाहौर बस यात्रा थी जिसकी शुरुआत उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने की थी।
पाकिस्तान और भारत के संबंधों में इस वर्ष से एक नया मोड़ आना शुरू हो गया हालांकि कारगिल युद्ध इस नए मोड़ में स्पीड ब्रेकर की तरह साबित हुआ।
उसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंधों में उतार-चढ़ाव लगा हुआ है। यह भी एक संयोग ही है कि उस समय भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ही थे और आज जब भारत के पीएम नरेंद्र मोदी अचानक लाहौर पहुंच रहे हैं तो भी पीएम नवाज शरीफ ही हैं।
जहां एक यह बात समान है तो वहीं एक और बात भी है जो दोनों देशों को आपस में जोड़ रही है। वह है पाकिस्तान के साथ शांति की पहल करने वाले पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई और नवाज शरीफ का जन्मदिन एक ही दिन होता है। आइए आपको बताते हैं पीएम नवाज शरीफ से जुड़ी कुछ खास बातें।
25 दिसंबर 1949 को हुआ जन्म
नवाज शरीफ का जन्म 25 दिसंबर 1949 को लाहौर में ही हुआ था। इसके बाद उन्होंने लाहौर की पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज से शिक्षा पूरी की।
राजनीति से पहले थे इंडस्ट्रीयलिस्ट
नवाज शरीफ ने राजनीति में आने से पहले बतौर इंडस्ट्रीयलिस्ट अपने करियर की शुरुआत की। उन्होंने वर्ष 1977 में इत्तेफाक इंडस्ट्रीज, उनका फैमिली बिजनेस था, उसके साथ ही स्टील, शुगर और टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज की शुरुआत की थी।
पाक में चौथे सबसे अमीर नागरिक
पीएम नवाज शरीफ पाकिस्तान के चौथे सबसे अमीर नागरिक हैं। उनके पास करीब 700 मिलियन डॉलर की संपत्ति है।
80 के दशक से राजनीति में मशहूर
नवाज, पीएम बनने से पहले वर्ष 1981 में पाक के वित्त मंत्री बने थे। इसके बाद वर्ष 1985 में वह पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री बने।
जब बने पाक के पीएम
नवाज को वर्ष 1990 में पहली बार पाक का पीएम चुना गया। लेकिन वर्ष 1993 में उस समय के पाक राष्ट्रपति गुलाम इशहाक खान ने उन पर भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का आरोप लगाया और उनकी सरकार को निलंबित कर दिया।
पीएम बने तो बढ़ गया बिजनेस
पीएम नवाज पर आरोप लगा था कि जब वह पहली बार पाक के पीएम बने तो उनका फैमिली बिजनेस कई गुना तक बढ़ गया। उसको मिल रहे फायदे ने कई लोगों को हैरान कर दिया था।
फिर आया एक टिवस्ट
1993 में पाक सुप्रीम कोर्ट ने उनके निलंबन को गलत और असंवैधानिक ठहराया। नवाज ने इस्तीफा दिया और फिर 1997 में हुए चुनावों में उन्हें फिर से पीएम चुना गया।
मुशर्रफ की साजिश का शिकार
कारगिल युद्ध में मिली हार के बाद की वजह से हताश उस समय के आर्मी चीफ जनरल परवेज मुशर्रफ ने जनवरी 2000 में तख्तापलट के जरिए नवाज को सत्ता से बेदखल कर दिया था।
मर्डर का आरोप
नवाज पर तख्तापलट के बाद मर्डर, हाइजैकिंग और आतंकवाद फैलाने का आरोप लगा कर उन्हें उम्र कैद की सजा सुना दी गई थी। उन्हें हत्या की साजिश के आरोप में दोहरे उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी।
सऊदी शाही परिवार ने की मदद
दिसंबर 2000 में सऊदी अरब के शाही परिवार ने एक डील के तहत उन्हें जेल से रिहा करवाया। इसके बाद नवाज अपने पूरे परिवार के साथ 10 वर्षों के लिए निर्वासित जिंदगी बिताने के लिए सऊदी अरब में रहने को मजबूर हो गए।
पिता के अंतिम संस्कार की भी इजाजत नहीं
2004 में उनके पिता मियां मुहम्मद शरीफ का इंतकाल हो गया और शरीफ ने पाक लौटने की अनुमति मांगी ताकि अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें। लेकिन उन्हें मंजूरी नहीं मिली और वह अपने पिता के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके।
सुप्रीम कोर्ट ने खत्म किया निर्वासन
2007 में उनके निर्वासन के सात वर्ष पूरे हो गए थे और तभी सुप्रीम कोर्ट ने उनका निर्वासन खत्म कर दिया। इसी वर्ष जब उन्होंने पाक लौटने की कोशिश की तो उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया।
सऊदी अरब से लौटे लाहौर
नवंबर 2007 में शरीफ सऊदी अरब से लाहौर लौटे और फिर से राजनीति में सक्रिय हुए।
चुनावों में मिली जीत
2008 में चुनावों में नवाज की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन ने बेनजीर भुट्टो की पार्टी को हराया और जीत दर्ज की।
सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया योग्य
वर्ष 2009 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर उन्हें चुनावों के लिए योग्य करार दिया।
वर्ष 2013 में फिर बने पीएम
इसके बाद पाक में वर्ष 2013 में फिर से चुनाव हुए और इसमें जीत हासिल कर फिर से नवाज शरीफ पाक के पीएम बनें।