रियाद में पाकिस्तान की बेइज्जती के बाद अब डोनाल्ड ट्रंप आर्थिक मदद में करेंगे कटौती
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पेश किया है पाकिस्तान को आर्थिक मदद देने वाली राशि को कर्ज में बदलने का प्रस्ताव दिया। पाकिस्तान को मिल रही आर्थिक मदद में भी बड़ी कटौती के ऐलान की संभावना।
वॉशिंगटन। सऊदी अरब की राजधानी रियाद में पाकिस्तान को झटका देने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अब पाकिस्तान को एक और बड़ा झटका देने की तैयारी में हैं। राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि पाकिस्तान को मिलिट्री हार्डवेयर खरीदने के लिए जो रकम अमेरिका से मदद के तौर पर जो रकम मिल रही है उसे कर्ज में बदल दिया जाए। ट्रंप ने अमेरिकी कांग्रेस में जो बजट पेश किया है उसमें यह प्रस्ताव दिया गया है।
आज आएगा अमेरिका में बजट
ट्रंप प्रशासन ने इस बात का फैसला हालांकि अमेरिकी विदेश विभाग पर छोड़ दिया है। अमेरिका में राष्ट्रपति की ओर से व्हाइट हाउस से अमेरिकी कांग्रेस में उनके बजट प्रस्ताव की कॉपियां भेजी जाती हैं। अमेरिकी कांग्रेस में आज एनुअल बजट की कॉपियां भेजी जाएंगी। ट्रंप प्रशासन की ओर से प्रस्ताव दिया गया है कि फॉरेन मिलिट्री फंडिंग या एफएमएफ प्रोग्राम को कर्ज में बदल दिया जाए। इस प्रोग्राम में पाकिस्तान समेत कई देश शामिल हैं। व्हाइट हाउस में बजट प्रबंधन ऑफिस के डायरेक्टर मिक मुलवाने की ओर से इस बात की जानकारी दी गई है। मुलवाने ने कहा है कि हो सकता है कि बजट के बाद पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक मदद कर्ज में बदल जाए। मुलवाने के इस बयान के बाद इस तरफ इशारा मिल गया है कि व्हाइट हाउस अब पाकिस्तान को मिलिट्री हार्डवेयर के लिए मिलने वाली आर्थिक मदद को कर्ज में बदल जाएगी। पढ़ें-ट्रंप ने किया पाकिस्तान को नजरअंदाज तो नवाज शरीफ पर उठी उंगलियां
पाकिस्तान को चुकाना होगा मदद का 'कर्ज'
मुलवाने का कहना है कि अमेरिका, पाकिस्तान की मदद जारी रखे हैं। उनका मानना है कि यह मदद पहले वाले प्रशासन के मदद के स्तर पर नहीं है। उन्होंने इसके साथ ही जानकारी दी कि अमेरिका, फॉरेन मिलिट्री प्रोग्राम के लिए मिल रही मदद को सीधे कर्ज में बदलकर इस प्रोग्राम में बदलाव कर सकता है। मुलवाने का कहना है कि किसी को सीधे-सीधे 100 मिलियन डॉलर की सब्सिडी देने से बेहतर है कि उसे छोटी-छोटी रकम में कर्ज दे दिया जाए जिससे कि वह और ज्यादा सामान खरीद सकें। उनके मुताबिक अमेरिका ने इजरायल और इजिप्ट के लिए इसे नहीं बदला है। फिलहाल यह अमेरिकी विदेश विभाग पर निर्भर करेगा कि वह इस विकल्प के चुनता है या नहीं। फॉरेन मिलिट्री प्रोग्राम जानकारी विदेश विभाग की ओर से बाद में जारी की जाएगी।