आर्टिकल 370 पर 'जिगरी' चीन से मदद मांगने पहुंचे पाकिस्तान के मंत्री को सुनाई गई खरी-खरी, बीजिंग ने खुद को किया किनारे
बीजिंग। बड़ी उम्मीद के साथ पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी जिगरी दोस्त चीन के दरवाजे पर आर्टिकल 370 और कश्मीर पर मदद मांगने बीजिंग पहुंचे थे। मगर ऐसा लगता है कि चीन ने भी पाकिस्तान की न सुनने का मन बना लिया है। शुक्रवार को चीन ने कुरैशी को साफ-साफ कह दिया है कि वह भारत और पाकिस्तान को एक 'दोस्ताना पड़ोसी' के तौर पर देखता है। चीन की ओर से आए बयान के बाद कुरैशी ने ट्वीट करके कहा था कि चीन ने पाकिस्तान को मसले पर समर्थन दिया है। जबकि चीन की ओर से कहा गया है कि कश्मीर मसले का हल यूएन रेजोल्यूशन और शिमला समझौते के तहत होना चाहिए।
बौखलाए पाक के मंत्री चीन की शरण में
पांच अगस्त को भारत सरकार ने जम्म-कश्मीर से आर्टिकल 370 को खत्म करने और इसे संघ शासित प्रदेश बनाने का ऐलान किया था। जम्मू कश्मीर और लद्दाख को दो संघ शासित प्रदेश में तब्दील कर दिया गया है। भारत के फैसले से ही पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। उसने भारत के साथअपने राजनयिक संबंधो को खत्म कर लिया है। पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी शुक्रवार को बीजिंग पहुंचे थे। उनके इस अचानक चीन दौरे का मकसद कश्मीर मसले पर समर्थन हासिल करना था। लेकिन अब ऐसा लगता है कि चीन भी इसमें कोई सहायता करने को तैयार नहीं है।
कुरैशी को थी उम्मीद मिलेगा 'इंसाफ'
पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने चीन के विदेश मंत्री वांग वाई से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने वाई से कहा, 'मुझे विश्वास है कि चीन, कश्मीर मसले पर इंसाफ के लिए खड़ा होगा।' चीन के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर इस बात की जानकारी दी गई है। पाकिस्तान ने चीन से कहा कि वह चीनी हितों से जुड़े मुद्दे जैसे तिब्बत और ताइवान के मसले पर हमेशा उसका साथ देगा। कुरैशी ने वांग को पाकिस्तान की स्थिति के बारे में भी समझाया और कश्मीर के ताजे हालातों पर प्रतिक्रिया दी। अप्रत्यक्ष तौर पर चीन के रुख से साफ हो गया है कि इस मामले को भारत-पाकिस्तान का आतंरिक मसला मानते हुए वह इसमें हस्तक्षेप को तैयार नहीं हैं।
सामान्य नहीं शिमला समझौते का जिक्र
चीन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि वांग वाई कश्मीर की स्थिति को लेकर चिंतित है। उनका मानना है कि कश्मीर का मुद्दा एक ऐसा विवाद है जो कई वर्षों के इतिहास में शामिलहै। बयान के मुताबिक, 'इस मसले को सही प्रक्रिया से शांतिपूर्ण तरीके से यूएन चार्टर और द्विपक्षीय समझौते के तहत सुलझाना चाहिए।'माना जा रहा है कि वाई ने कुरैशी से मुलाकात के दौरान शिमला समझौते का जिक्र किया था। हालांकि चीन ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि पाकिस्तान के यूनाइटेड नेशंस सिक्योरिटी काउंसिल (यूएनएससी) पहुंचने के मसले को वह कैसे देखता है। चीन की ओर से शिमला समझौते का जिक्र अपने आप में काफी असाधारण है।
दोनों देशों से की अपील
वांग और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के बीच भी इस हफ्ते वार्ता होनी है। जयशंकर, तीन दिन के दौरे पर रविवार को चीन पहुंचेगे। चीन का मानना है कि किसी और पक्ष का हस्तक्षेप कश्मीर मसले को और जटिल बना देगा और इस कदम से बचना चाहिए। चीन ने भारत और पाकिस्तान से शांतिपूर्ण तरीके से मतभेदों को सुलझाने की अपील की है।