दुनिया भर में चीन की आलोचना के बीच ही पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल बाजवा पहुंचे बीजिंग
बीजिंग। पाकिस्तान सेना के प्रमुख जनरल कमर जावेद बावजा, चीन की यात्रा पर पहुंचे हैं। जनरल बाजवा तीन दिनों के दौरे पर हैं और वह बीजिंग में अपने चीनी समकक्ष हान वाइगुओ के साथ द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा और चीन पाकिस्तान आर्थिक कॉरीडोर (सीपीईसी) पर भी चर्चा करेंगे। पाकिस्तान में नई सरकार आने के बाद यह पहला मौका है जब जनरल चीन के दौरे पर गए हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस बात से इनकार कर चुके हैं कि सीपीईसी को लेकर चीन और पाकिस्तान के बीच किसी तरह का कोई मतभेद है। बाजवा और चीनी सेना प्रमुख ने क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की है। बाजवा का चीन दौरा ऐसे समय हो रहा है जब हाल ही में चीनी विदेश मंत्री पाकिस्तान का दौरा करके लौटे हैं। चीन बलूचिस्तान प्रांत में सीपीईसी के काम में लगे अपने सैनिकों और मजदूरों की सुरक्षा को लेकर भी काफी परेशान है। कहीं न कहीं बाजवा के साथ इस पर भी चर्चा होने की पूरी संभावना है।
मदद के लिए पाकिस्तान की नजरें अब चीन पर
चीन, पाकिस्तान के पश्चिमी क्षेत्र में सीपीईसी के प्रोजेक्ट्स का विस्तार करेगा। इमरान खान जब तक पीएम नहीं बने थे तब तक उन्होंने पूर्व पीएम नवाज शरीफ की सरकार की सीपीईसी पर नरम रवैये का आरोप लगाते हुए काफी अलोचना की थी। उस समय इमरान कहते थे कि चीन की तरफ से जितने भी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को फंड किया जा रहा है वे सभी सिर्फ एक राज्य पंजाब हो ही दिए जा रहे हैं। पाकिस्तान सेना की मीडिया विंग इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) की ओर से कहा गया है कि चीन के आर्मी चीफ ने पाकिस्तान सेना के उन सभी प्रयासों की सराहना की है जो उसने आतंकवाद को शिकस्त देने के लिए अपनाए हैं।
सीपीईसी के लिए मुस्तैद पाकिस्तान सेना
इस समय पाकिस्तान को कैश कर सख्त जरूरत है और उसकी नजरें अपने करीबी दोस्तों चीन और सऊदी अरब पर टिकी हैं। सीपीईसी के लिए इस समय 10,000 से भी ज्यादा चीनी मजदूर पाकिस्तान में मौजूद हैं। पाकिस्तान का दावा है कि चीनी सेना प्रमुख ने पाक सेना की ओर से मजदूरों को दी गई सुरक्षा पर संतुष्टि जाहिर की है। सीपीईसी के लिए पाकिस्तान सेना की स्पेशल सिक्योरिटी डिविजन के 15,000 सैनिक जिसमें 9,000 पाकिस्तान आर्मी के जवान और 6,000 पैरा-मिलिट्री के जवान शामिल हैं, हर पल चीनी मजदूरों की सुरक्षा में लगे रहते हैं। सीपीईसी को साल 2015 में लॉन्च किया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत सड़क, रेलवे और कई एनर्जी प्रोजेक्ट्स के नेटवर्क पर काम चल रहा है। ये सभी प्रोजेक्ट्स चीन के शिनजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेंगे।
यूरोप के कई देश चीन से परेशान
जनरल बाजवा तब बीजिंग गए हैं जब यूरोप के कई देश चीन के बढ़ते असर पर चिंता जाहिर कर चुके हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का प्रोजेक्ट वन बेल्ट वन रोड (ओबीओआर) जो कि सीपीईसी का ही प्रोजेक्ट है, उसने अब यूरोप के कई देशों को चिंताएं बढ़ा दी हैं। यूरोप के कई देशों की मानें तो यूरोपियन मार्केट पर चीन ने अपने कब्जे के लिए दरअसल एक छिपे हुए एजेंडे को ही आगे बढ़ाया है।यूरोपियन देशों की मानें तो चीन की कर्ज जाल में फंसाने की नीति यूरोप के बाजारों को प्रभावित करने वाली है। इन देशों का कहना है कि चीन, सेंट्रल एशिया से यूरोप को बाहर करने की साजिश कर रहा है। ओबीओआर के तहत कई इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरीडोर हैं जो करीब 60 देशों से होकर गुजरते हैं। इन देशों में एशिया और यूरोप के कई देश शामिल हैं। चीन ने इन प्रोजेक्ट्स के दौरान सामाजिक, मानवाधिकार और पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को दूर करने में असफल रहा है। यूरोप के कई विशेषज्ञों का मानना है कि ओबीओआर का मकसद चीन के प्रभुत्व को दुनिया पर कायम करना है।