पाकिस्तान में तैयार हो रही चीनी कॉलोनी, चीन बसाएगा अपने पांच लाख नागरिकों को
बीजिंग। चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के तहत चीन, पाकिस्तान के ग्वादर शहर में पांच लाख चीनी नागरिकों को बसाने की तैयारी कर चुका है। इंग्लिश डेली इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन, ग्वादर में एक गेटेड कॉलोनी का निर्माण करा रहा है और यह गेटेड कॉलोनी सीपीईसी का ही हिस्सा होगी। इस कॉलोनी पर करीब 150 मिलियन डॉलर का खर्च आएगा।
साल 2022 तक तैयार हो जाएगी चीन की कॉलोनी
चीन-पाकिस्तान इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन के तहत करीब 3.6 मिलियन स्क्वॉयर फुट चीन के हिस्से में आ गई है। चीन यहां पर चीनी नागरिकों के लिए घर बनाने की तैयारी कर चुका है और साल 2022 तक इसके पूरे होने की संभावना जताई गई है। यह कम्यूनिटी ग्वादर की उस फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट में काम करेगी जिसकी योजना चीन ने पहले ही तैयार कर ली है। चीन ने इस तरह की कम्युनिटीज अफ्रीका और सेंट्रल एशिया में स्थापित कर ली हैं लेकिन साउथ एशिया में उसका इस तरह का यह पहला प्रोजेक्ट है।
कुल 39 प्रोजेक्ट्स और करीब 19 बिलियन डॉलर खर्च
सीपीईसी के तहत चीन ने पाकिस्तान की पाइपलाइंस, रेलवे और यहां के हाइवे में निवेश किया हुआ है। सीपीईसी के 39 प्रस्तावित प्रोजेक्ट्स में 19 पूरे हो चुके हैं या फिर पूरे होने की दिशा में हैं। साल 2015 से चीनी, सीपीईसी प्रोजेक्ट्स पर 18.5 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा की रकम खर्च हो चुका है। सीपीईसी, चीन के बेल्ट रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का हिस्सा है जो चीन ने एशिया के बाकी देशों के साथ संपर्क बेहतर करने के मकसद से शुरू किया है। सिर्फ भूटान और भारत को छोड़कर सभी साउथ एशियन देश इसका हिस्सा हैं।
भारत ने किया है विरोध
भारत ने इस प्रोजेक्ट के जुड़ने से इसलिए इनकार कर दिया था क्योंकि सीपीईसी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर यानी पीओके से होकर गुजरता है। भारत सरकार का कहना है कि यह प्रोजेक्ट देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है। वहीं, बेल्जियम स्थित इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप (आईसीजी) की ओर से जुलाई में सीपीईसी को लेकर चेतावनी दी गई थी। आईसीजी के मुताबिक 63 बिलियन डॉलर वाले इस प्रोजेक्ट की वजह से पूरे देश में कई इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। इसकी वजह से आने वाले दिनों राजनीतिक तनाव और प्रतिद्वंदिता बढ़ सकती है अगर चीन और पाकिस्तान ने इससे जुड़ी चिंताओं को दूर नहीं किया।