आमदनी अठन्नी खर्चा रुपया, पाकिस्तान के पास सिर्फ दो माह के आयात का पैसा, कैसे चुनौती से निबटेंग नए पीएम इमरान
25 जुलाई के बाद से पाकिस्तान का माहौल बदला हुआ है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के चीफ (पीटीआई) के चीफ इमरान खान देश के नए पीएम होंगे। हालांकि अभी तक उनके शपथ ग्रहण पर सस्पेंस बना हुआ है। पीएम बनने से पहले ही कई बड़ी चुनौतियां इमरान का इंतजार कर रही हैं।
इस्लामाबाद। 25 जुलाई के बाद से पाकिस्तान का माहौल बदला हुआ है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के चीफ (पीटीआई) के चीफ इमरान खान देश के नए पीएम होंगे। हालांकि अभी तक उनके शपथ ग्रहण पर सस्पेंस बना हुआ है। पीएम बनने से पहले ही कई बड़ी चुनौतियां इमरान का इंतजार कर रही हैं। खराब और खस्ता माली हालत से जूझते पाकिस्तान पर अरबों-खरबों डॉलर का कर्ज इमरान की पहली और सबसे बड़ी चुनौती होगी। यह एक ऐसी चुनौती है जो राजनीति के पिच पर इमरान को कई बड़े हिट्स मारने से रोक देगी। ये भी पढ़ें-पाकिस्तान चुनाव: विपक्ष के इस ऐलान ने बढ़ाया इमरान खान का सिरदर्द
चाहिए 12 बिलियन डॉलर का बेलआउट
एक अनुमान के मुताबिक पाकिस्तान को कम से कम 12 बिलियन डॉलर का बेलआउट चाहिए। इस बेलआउट के लिए उसकी नजरें इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) पर टिकी हुई हैं। पाकिस्तान ने पिछले बार साल 2013 में आईएमएफ से बेलआउट लिया था और उस समय पाकिस्तान को 6.6 बिलियन डॉलर मिले थे। तब पाकिस्तान में संकट वर्तमान समय जितना बड़ा था और पाक को आसानी से आईएमएफ से कर्ज मिल गया था। लेकिन इस बार रास्ते बहुत मुश्किल हैं। इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि पाकिस्तान को कर्ज मिलेगा ही। पाकिस्तान पहले भी आईएमएफ से कई बार कर्ज ले चुका है और हर बार उसे उधार चुकाने में काफी मशक्कत करनी पड़ी है। वहीं अमेरिका पहले ही आईएमएफ को चेतावनी दे चुका है और ऐसे में बतौर पीएम इमरान खान की मुसीबते काफी बढ़ गई हैं।
अमेरिका ने बढ़ाई मुश्किलें
अमेरिका ने आईएमएफ को साफ कर दिया है कि पाकिस्तान के बेलआउट के लिए वह जो भी कदम उठाएगा उस पर उसकी पूरी नजरें रहेंगी। कहीं न कहीं अमेरिका, आईएमएफ से पाकिस्तान को मिलने वाले बेलआउट के रास्ते में मुश्किलें पैदा कर सकता है। पाकिस्तान को इस समय मदद की सख्त जरूरत है और लगता नहीं कि उसे यह मदद इतनी आसानी से मिल सकेगी। पाकिस्तान का आयात हद से ज्यादा बढ़ गया है और वह भी तब जब कच्चे तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं निर्यात की बात करें तो यह बहुत कम है। पूर्व सरकार की ओर से बताया गया था कि विदेशी मुद्रा भंडार 10.3 बिलियन डॉलर तक नीचे गिर गया है। यानी ये सिर्फ इतना है कि पाकिस्तान सिर्फ दो माह तक ही चीजें आयात कर सकता है।
इमरान ने ही बताए थे उपाय
जिस समय चुनाव होने वाले थे इमरान खान ने खराब माली हालत का जिक्र किया था। उन्होंने एक ट्वीट में देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए निजीकरण की वकालत की थी। इसके अलावा उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जरूरी उपायों किए जाएं और साथ ही आयात पर नियंत्रण लगाया जाए। हालांकि विशेषज्ञ इन उपायों को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं। पाकिस्तान के अखबार डॉन की मानें तो पाकिस्तान, चीन और सऊदी अरब से कर्ज पर कर्ज लेता जा रहा है। इसकी वजह से अब वित्तीय मदद फ्री नहीं रह गई है और साथ ही मदद पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा दिए गए हैं। साफ है कि इमरान को इस नई चुनौती से निबटने के लिए कई अहम कदम उठाने ही होंगे।