ग्रे लिस्ट में आने के बाद पाकिस्तान ने किया अपने रवैये में सुधार का वादा
पाकिस्तान को एक बार फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। फ्रांस कर राजधानी पेरिस में इस हफ्ते हुई मीटिंग में पाक को फिर से इस लिस्ट में डालने का फैसला किया गया।
इस्लामाबद। पाकिस्तान को एक बार फिर से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। फ्रांस कर राजधानी पेरिस में इस हफ्ते हुई मीटिंग में पाक को फिर से इस लिस्ट में डालने का फैसला किया गया। लिस्ट में आने के बाद पाकिस्तान ने शनिवार को वादा किया है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग को खत्म करने और आतंकियों को होने वाली आर्थिक मदद पर लगाम लगाएगा और कार्रवाई करेगा। पाकिस्तान के जो अधिकारी इस मीटिंग को अटेंड कर रहे थे उन्होंने काफी कोशिश की कि एफएटीएफ उसे इस लिस्ट में न डाले लेकिन कोई भी तरकीब काम नहीं आई।
कई देशों ने किया था समर्थन
अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम सभी ने फरवरी में हुई मीटिंग में बहस की थी कि पाकिस्तान को फिर से ग्रे लिस्ट में शामिल किया जाना चाहिए। पाकिस्तान को साल 2012 से 2015 तक इस लिस्ट में रखा गया था। एफएटीएफ की ओर से पाकिस्तान की सरकार को बताया गया है कि उसे इस लिस्ट से बाहर आने के लिए क्या करना है। पाकिस्तान का प्रतिनिधिमंडल जिसे वित्त मंत्री डॉक्टर शमशाद अख्तर लीड कर रहे थे, एफएटीएफ को अवगत कराया कि पाकिस्तान ने आतंकवादियों को मिलने वाली आर्थिक मदद रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए कदम उठाए हैं। उन्होंने अपील की कि पाकिस्तान को इसके बाद ग्रे लिस्ट में न डाला जाए।
अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा प्रभाव
पाकिस्तान का दावा है कि एफएटीएफ के सुझावों के पाकिस्तान के सिक्योरिटीज एंड काउंटरिंग फाइनेंसिंग यानी एसईसीपी की ओर से एंटी मनी लॉन्ड्रिंग एंड काउंटरिंग फाइनेंसिंग ऑफ टेररिज्म रेगुलेशन 20 जून 2018 को जारी किया गया था। इससे पहले आठ जून को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (एनएससी) ने फिर से एफएटीएफ के साथ सहयोग करने के अपने वादे को दोहराया है। पाकिस्तान इस लिस्ट में न आए इसकी कड़ी मेहनत की जा रही थी। अधिकारियों को डर है कि इस लिस्ट में आने के बाद अब पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा जो पहले से ही बुरे दौर से गुजर रही है।इस लिस्ट में आने वाला पाकिस्तान नौंवा देश है। जो और देश ग्रे लिस्ट में शामिल हैं उनमें इथोपिया, सर्बिया, श्रीलंका, सीरिया, त्रिनिदाद और टोबैगो, ट्यूनीशिया और यमन शामिल हैं।