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तो क्‍या पाकिस्‍तान के पीएम इमरान भी नहीं पूरा कर पाएंगे पांच साल का कार्यकाल?

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इस्‍लामाबाद। साल 2014 में जब पाकिस्‍तान के प्रधानमंत्री इमरान खान विपक्ष में थे तो उन्होंने एक तत्‍कालीन पीएम नवाज शरीफ की सरकार को हिलाने के लिए आजादी मार्च निकाला था। पांच साल बाद इमरान सत्‍ता में हैं तो विपक्ष उनके खिलाफ आजादी मार्च निकालने में लगा है। इमरान को पिछले वर्ष देश की सत्‍ता मिली थी, अब उनकी कुर्सी मुश्किल में पड़ती जा रही है। शुक्रवार दो नवंबर को इस मार्च की अगुवाई कर रहे जमीयत उलेमा-ए-इस्‍लाम के मुखिया मौलाना फजुलर रहमान ने इमरान सरकार को 24 घंटे का अल्‍टीमेटम दिया था। सोमवार को यह समयावधि खत्‍म हो गई है। सेना की तरफ से वॉर्निंग दी गई है कि कोई भी अगर सरकार को बेदखल करने की कोशिश करेगा तो ठीक नहीं होगा। लेकिन यह बात सही है कि इमरान की कुर्सी खतरे में आ चुकी है।

शापित है पाक पीएम की कुर्सी

शापित है पाक पीएम की कुर्सी

अब इसे पाकिस्‍तान की राजनीति का दुर्भाग्‍य कहें या नियति कि सात दशक की आजादी के बावजूद आज तक इस देश में जो भी पीएम चुना गया वह कभी भी पांच वर्ष तक शासन नहीं कर पाया। नवाज शरीफ से उम्‍मीदें थीं कि वह देश के ऐसे पीएम बनेंगे जो पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। लेकिन साल 2017 में भ्रष्‍टाचार के आरोप में उन्‍हें भी हटना पड़ा। हालांकि उनकी पार्टी पाकिस्‍तान मुस्लिम लीग -नवाज (पीएमएल-एन) ने पांच वर्ष का कार्यकाल जरूर पूरा किया था। इमरान की सत्‍ता जा सकती है इस बात का पहला इशारा तब मिला जब पाक आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने बिजनेस लीडर्स के साथ मीटिंग्‍स की। इस तरह की तीन मीटिंग्‍स हुई हैं और सभी कराची में मिलिट्री ऑफिसेज में हुईं। कराची, पाक की आर्थिक राजधानी है। कराची के अलावा हेडक्‍वार्टर रावलपिंडी में भी बाजवा ने टॉप बिजनेस लीडर्स से मुलाकात की गई।

जम्‍मू कश्‍मीर पर इमरान ने मुंह की खाई

जम्‍मू कश्‍मीर पर इमरान ने मुंह की खाई

पाकिस्‍तान को अक्‍सर ही कई असधारण मौके का सामना करना पड़ा है। इसके 72 वर्षों के इतिहास में कई बार तख्‍तापलट हुआ है। पाकिस्‍तान की सेना ने देश पर सन् 1947 से ही शासन किया है। बंटवारे के बाद से ही देश कई बार तख्‍तापलट से गुजर चुका है। इमरान खान हालांकि कई बार यह बात कह चुके हैं कि उनकी सरकार और सेना के बीच एक अच्‍छी वर्किंग रिलेशनशिप है। मगर हाल ही में जब 58 साल के बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाया गया तो कई लोगों को कई तरह की शंकाएं होने लगीं।पहले से ही अर्थव्‍यवस्‍था की बुरी मार झेल रहा पाकिस्‍तान, जम्‍मू कश्‍मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद और ज्‍यादा लाचार हो गया है। प्रधानमंत्री इमरान खान अब तक समझ नहीं पा रहे हैं कि क्‍या किया जाए। वह खुद मान चुके हैं कि इस मुद्दे पर जिस तरह का इंटरनेशनल सपोर्ट मिलना चाहिए, वैसा नहीं मिल सका।

पाक आर्मी चीफ देश के हालातों से दुखी

पाक आर्मी चीफ देश के हालातों से दुखी

सूत्रों की मानें तो जनरल बाजवा देश के हालातों को लेकर खासे परेशान हैं। जब इमरान ने सत्‍ता संभाली थी तो उस समय उन्‍होंने कहा था कि किसी भी तरह के नियम मे बदलाव और आर्मी चीफ कार्यकाल बढ़ाने, एक ऑर्गनाइजेशन के तौर पर सेना को कमजोर करना होगा। लेकिन कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इमरान खान पूरी तरह से जनरल बाजवा पर निर्भर है और ऐसे में उनके पास बाजवा के अलावा कोई और विकल्‍प नहीं था। पाकिस्‍तान मिलिट्री ताकत के मामले में दुनिया में छठवें नंबर पर है। पाकिस्‍तान आर्मी चीफ को देश का ताकतवर शख्‍स माना जाता है और सेना देश के परमाणु हथियारों को नियंत्रित करती है।

कमजोर साबित होती पाक मिलिट्री

कमजोर साबित होती पाक मिलिट्री

भारत के पांच अगस्‍त को जम्‍मू कश्‍मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले का असर इस्‍लामाबाद से ज्‍यादा रावलपिंडी में देखा गया। इमरान खान ने पिछले वर्ष जब सत्‍ता संभाली थी तो उन्‍होंने कहा था कि सरकार के कामकाज में मिलिट्री का कोई दखल नहीं होगा। लेकिन इमरान ने खुद अपना वादा तोड़ना पड़ा। बताया जा रहा है कि सेना, इमरान से जरा भी खुश नहीं है। जनरल बाजवा इस वर्ष नवंबर में रिटायर होने वाले थे लेकिन अब वह तीन साल और सेना को नियंत्रित करेंगे। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने बालाकोट एयर स्‍ट्राइक की और पाकिस्‍तान को करारा जवाब दिया। जो पाक आर्मी, पाकिस्‍तान की सत्‍ता का केंद्र मानी जाती थी, वह भारत की बदली हुई नीति की वजह से दुनिया में कमजोर पड़ती जा रही है।

हर मोर्चे पर फेल हुए इमरान

हर मोर्चे पर फेल हुए इमरान

पाकिस्‍तान मिलिट्री न सिर्फ विदेश नीति बल्कि घरेलू मामलों में भी हस्‍तक्षेप करती है। पाक के आतंरिक हालातों के बारे में सबको मालूम है। वहीं, पीएम इमरान खान न सिर्फ विदेश नीति के मामले में भी पूरी तरह से असफल साबित हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदहारण है जनरल बाजवा का जुलाई में पीएम इमरान खान के साथ अमेरिका के दौरे पर जाना। पाकिस्‍तान इस समय बड़े आर्थिक संकट में हैं और माली हालत बहुत खराब हो चुकी है। अरबों डॉलर के कर्ज में डूबे पाकिस्‍तान की नजरें अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष से मिलने वाले बेल‍आउट पैकेज पर टिकी हैं। लेकिन सूत्रों की मानें तो अब हालात ऐसे हैं कि यह पैकेज भी कोई मदद नहीं कर पाएगा। देश की जनता पहले ही इमरान के खिलाफ है और अब आजादी मार्च ने उस जनता को एक मंच पर आने का मौका दे दिया है।

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English summary
Azadi March in Pakistan: reasons why Imran Khan may not be able to complete his term as a PM.
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