18 अगस्त को पीएम इमरान खान का शपथ ग्रहण लेकिन उससे पहले आतंकवाद पर बड़ी चुनौती
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में 18 अगस्त को पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान नए प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ लेने जा रहे हैं। लेकिन इससे पहले उसे आतंकवाद के मसले पर एक बार फिर नसीहत दी गई है। पाकिस्तान को यह नसीहत फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) से जुड़े एशिया पैसेफिक ग्रुप (एपीजी) ने दी है। यह ग्रुप आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान की प्रतिबद्धताओं पर नजर रखे हुए है। समूह ने साफ कहा है कि वह आतंकवाद का वित्त पोषण बंद करे और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे अपराधों को अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करे। एफएटीएफ से जुड़ा यह प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान के दौरे पर है, जो जल्द ही फ्रांस की राजधानी पेरिस स्थित संस्था को रिपोर्ट सौंपेगी।
जून में पाकिस्तान आया ग्रे लिस्ट में
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जून में अपनी 'ग्रे लिस्ट' में शामिल किया था, जिसके बाद एशिया पैसिफिक ग्रुप (एपीजी) को यहां आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। एफएटीएफ से जुड़ी एपीजी के सदस्यों में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, म्यांमार, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, सिंगापुर तथा मालदीव सहित 41 देश हैं और सभी मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ एफएटीएफ के प्रस्तावों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। एपीजी की रिपोर्ट पर ही यह तय होगा कि पाकिस्तान को अगले साल सितंबर के बाद एफएटीएफ की इस 'ग्रे लिस्ट' में रखा जाएगा या हटा दिया जाएगा। पाकिस्तान को इस सूची से अपना नाम हटाने के लिए आतंकवाद उस 10 सूत्री कार्य योजना का अनुपालन करना होगा, जिसकी प्रतिबद्धता उसने जून में आतंकवाद के वित्त पोषण और धनशोधन खिलाफ लड़ाई को लेकर जताई थी।
किसी भी देश को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में शामिल करने से न केवल उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है, बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय साख भी प्रभावित होती है। पाकिस्तान पहले से ही आर्थिक संकट झेल रहा है और ऐसे में यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि देश के अगले प्रधानमंत्री के तौर पर 18 अगस्त को शपथ लेने जा रहे इमरान खान आखिर किस तरह देश को इस संकट से उबार पाएंगे।