पाकिस्तान में क्या है चुनावी गणित और कैसे होते हैं यहां पर आम चुनाव
पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने वाले हैं। पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की गिरफ्तारी के बाद यहां के चुनावों में नया मोड़ आ गया है। साल 2013 में पाकिस्तान में चुनाव हुए थे जिसमें एक बार फिर से नवाज शरीफ की वापसी हुई थी।
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में 25 जुलाई को आम चुनाव होने वाले हैं। पिछले दिनों पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की गिरफ्तारी के बाद यहां के चुनावों में नया मोड़ आ गया है। साल 2013 में पाकिस्तान में चुनाव हुए थे जिसमें एक बार फिर से नवाज शरीफ की वापसी हुई थी। इस बार भी माना जा रहा था कि नवाज फिर से सत्ता पर काबिज हो सकते हैं लेकिन पनामा पेपर्स की वजह से उन्हें चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य ठहरा दिया गया। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 10 वर्ष की सजा सुनाई और नवाज के लिए पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय होने के सभी रास्ते बंद हो गए। पाकिस्तान में जब-जब चुनाव होते हैं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरते हैं। इस बार भी चुनावों से पहले पाकिस्तान के कोर्ट और यहां की मिलिट्री के अलावा इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई पर आरोप लग रहे हैं कि ये नतीजों को इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के पक्ष में करना चाहते हैं और नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के खिलाफ करना चाहते हैं।
पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली
पाकिस्तान की संसद को नेशनल एसेंबली कहते हैं और इसमें 342 सदस्य हैं। तीन कैटेगरीज में इनका चुनाव दो तरीकों से होता है। 272 सदस्य पहले दौर में वोटिंग के बाद एक सदस्य वाले क्षेत्र से चुने जाते हैं। 60 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होती हैं तो 10 सीटें पाकिस्तान के पारंपरिक और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए आरक्षित होती हैं। किसी भी पार्टी को बहुमत के लिए 137 सीटों की जरूरत होती है। पाकिस्तान में कम लोकप्रिय लोग जो चुनाव लड़ना चाहते हैं उनके लिए किसी भी राजनीतिक पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना बहुत ही मुश्किल होता है। यहां पर किसी भी राजनेता तक पहुंचना इनके लिए सबसे बड़ी समस्या होती है।
तीन तरह से नेशनल एसेंबली के इलेक्शन
पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली सीनेट चुनाव, राष्ट्रपति चुनाव और स्थानीय सरकारी चुनावों के बाद तैयार होती है।
सीनेट
चुनाव
सीनेट
में
104
सदस्य
होते
हैं
और
इनमें
से
14
सदस्य
हर
प्रांतीय
एसेंबली
के
द्वारा
चुने
जाते
हैं।
आठ
सदस्य
फाटा
यानी
फेडरल
एडमिनिस्ट्रेटेड
एरियाज
से
नेशनल
असेंबली
के
द्वारा
इन
इलाकों
से
सीनेट
के
लिए
चुने
जाते
हैं।
दो
सदस्य
जिसमें
से
एक
महिला
और
टेक्नोक्रेट
यानी
विज्ञान
विशेषज्ञ
होता
है,
उसे
फाटा
से
चुना
जाता
है।
वहीं
चार
महिलाएं
और
चार
टेक्नोक्रेट्स
हर
प्रांतीय
एसेंबली
से
चुने
जाते
हैं।
सीनेट
की
एक
सीट
हर
प्रांत
में
अल्संख्यकों
के
लिए
आरक्षित
होती
है।
यह
चुनाव
आयोग
की
जिम्मेदारी
होती
है
कि
वह
सीनेट
के
चुनावों
के
लिए
व्यवस्था
करे।
सीनेट
के
सदस्य
का
कार्यकाल
छह
वर्ष
का
होता
है।
लेकिन
पहले
ग्रुप
के
सीनेटर्स
का
कार्यकाल
तीन
वर्ष
का
होता
है
और
चुनाव
आयोग
की
तरफ
से
निर्धारित
होता
है।
राष्ट्रपति
चुनाव
पाकिस्तान
में
राष्ट्रपति
चुनाव
भारत
की
ही
तरह
अप्रत्यक्ष
तरीके
से
होता
है।
पाक
में
राष्ट्रपति
का
चुनाव
इलेक्ट्रोरल
प्रक्रिया
से
होता
है।
इस
इलेक्ट्रोरल
में
सीनेटर्स
के
अलावा
नेशनल
और
प्रांतीय
असेंबली
के
चुने
हुए
सदस्य
शामिल
होते
हैं।
राष्ट्रपति
का
पद
यहां
पर
भी
एक
औपचारिक
पद
होता
है
और
वह
देश
का
मुखिया
होता
है।
प्रधानमंत्री
को
संविधान
की
ओर
से
जो
शक्तियां
दी
गई
हैं,
राष्ट्रपति
ही
उन्हें
निर्धारित
करता
है।
पाकिस्तान
का
संविधान
किसी
भी
मुसलमान
को
ही
राष्ट्रपति
पद
के
लिए
किस्मत
आजमाने
का
मौका
देता
है।
इस
बात
से
कोई
फर्क
नहीं
पड़ता
है
कि
वह
महिला
है
या
पुरुष,
उसकी
उम्र
45
वर्ष
से
कम
नहीं
होनी
चाहिए।
इसके
अलावा
अगर
वह
नेशनल
एसेंबली
का
सदस्य
है
तो
राष्ट्रपति
चुनाव
के
लिए
किस्मत
आजमा
सकता
है।
पाकिस्तान
में
भी
राष्ट्रपति
का
कार्यकाल
पांच
वर्ष
का
होता
है।
स्थानीय चुनाव
स्थानीय सरकार को एडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल अथॉरिटी देने के लिए पाकिस्तान में स्थानीय सरकारों का चुनाव किया जाता है। ये चुनाव हर चार वर्ष के बाद होते हैं और बिना किसी पार्टी के आधार पर लड़े जाते हैं। स्थानीय सरकार में यूनियन काउंसिल जिसमें यूनियन एडमिनिस्ट्रेटर और डिप्टी यूनियन एडमिनिस्ट्रेटर हैं उनका चुनाव किसी बालिग फ्रैंचाइजी के आधार पर और साझा इलेक्टोरेट के आधार पर होता है। वहीं जिला परिषद में महिलाओं के लिए सीट आरक्षित होती हैं। जिला परिषद में तहसील, कस्बा तहसील आते हैं। पाकिस्तान में पहले स्थानीय चुनाव साल 1959 में हुए और ये अयूब खान की तानाशाही में हुए थे। इसके बाद साल 1979 में जनरल जिया-उल-हक की तानाशाही में दूसरे चुनाव हुए। तीसरे स्थानीय चुनाव साल 2000 में हुए जब परवेज मुशर्रफ का शासन था। इसके बाद सात दिसंबर 2013 को इतिहास में पहली बार किसी लोकतांत्रिक सरकार के शासन में स्थानीय चुनाव हुए थे।
कहां पर हैं कितनी सीटें
पाकिस्तान में 25 जुलाई को जो चुनाव होंगे वे साल 2017 में हुई जनगणना के बाद सामने आए नए सीमांकन के तहत हो रहे हैं। मार्च 2018 के नए नोटिफिकेशन के बाद इस्लामाबाद कैपिटल टैरेटॉरी यानी आईसीटी में तीन संसदीय क्षेत्र हैं, पंजाब, सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान। पंजाब में 141 सीटें हैं, सिंध में 61, खैबर में 39 और बलूचिस्तान में 16 सीटें हैं। वहीं फेडरल एडमिनिस्ट्रेटेड एरियाज (फाटा) में नेशनल एसेंबली के लिए 12 संसदीय क्षेत्र होंगे। इसी तरह से अगर प्रांतीय असेंबलीज की बात करें तो पंजाब में 297, सिंध में 130, खैबर 99 और बलूचिस्तान में 51 संसदीय क्षेत्र हैं।
कौन सी पार्टी से कौन से चेहरे
जून 2017 में पाकिस्तान के पाकिस्तान के चुनाव आयोग और नेशनल डाटाबेस एंड रजिस्ट्रेशन अथॉरिटी (नादरा) ने चुनावों को निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से कराने के लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार किया। इस नए सॉफ्टवेयर के तहत ऐसे मतदाता जो 18 वर्ष के हो चुके हैं, जब वह अथॉरिटी में सीएनआईसी के लिए अप्लाई करें तो उनका रजिस्ट्रेशन बतौर वोटर्स ऑटोमैटिक तरीके से हो जाए। पाकिस्तान के चुनावी मैदान में इस समय तीन बड़ी पार्टियों के अलावा कुछ और पार्टियां भी मौजूद हैं। जो पार्टियां चुनावी मैदान में हैं उनमें से-
पाकिस्तान
मुस्लिम
लीग-नवाज
और
इस
पार्टी
से
नवाज
शरीफ
के
भाई
शहबाज
शरीफ
प्रधानमंत्री
पद
के
लिए
मैदान
में
हैं।
शहबाज,
पंजाब
प्रांत
के
मुख्यमंत्री
रह
चुके
हैं।
पाकिस्तान
तहरीक-ए-इंसाफ
यानी
पीटीआई
जिससे
इमरान
खान
चुनाव
लड़
रहे
हैं।
पाकिस्तान
पीपुल्स
पार्टी
यानी
पीपीपी,
इस
पार्टी
से
बेनजीर
भुट्टो
के
बेटे
बिलावल
भुट्टो
चुनावी
मैदान
में
अपनी
किस्मत
आजमा
रहे
हैं।
इन पार्टियों के अलावा मुताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान, मुताहिदा मजलिस-ए-अमाल, पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी, अवामी नेशनल पार्टी, पाक सरजमीं पार्टी, तहरी लाबायक पाकिस्तान और बलूचिस्तान आवामी पार्टी भी इस बार चुनावों में अपनी किस्मत आजमा रही हैं।