लोकसभा चुनावों के एग्जिट पोल के बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान ने शुरू की NSA की तलाश
इस्लामाबाद। 14 पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में और ज्यादा तनाव आ गया है। दोनों के बीच रिश्ते सामान्य होंगे, इस बारे में कहना भी मुश्किल हो गया है। दिल्ली के करीब होने और रिश्तों को पटरी पर लाने के लिए अब पाकिस्तान की सरकार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर्ज पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की नियुक्ति पर विचार कर रहे हैं। इमरान सरकार के सूत्रों के हवाले से पाकिस्तान के अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने कहा है कि भारत में चुनाव खत्म हो चुके हैं और पाकिस्तान ने रिश्तों को सामान्य करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। एनएसए की नियुक्ति इसी दिशा में एक कदम होने वाला है।
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एग्टिज पोल के बाद एक्शन मोड में इमरान
अखबार ने लिखा है कि भारत में चाहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दूसरा कार्यकाल मिले या फिर चौंकाते हुए कांग्रेस देश का सत्ता पर काबिज हो जाए, इमरान की सरकार तेजी से एनएसए की नियुक्ति पर विचार कर रही है। एनएसए की नियुक्ति का भारत के साथ पर्दे के पीछे की कूटनीति की बहाली करना है। अखबार की माने तो एनएसए की संभावित नियुक्ति का मतलब भारत के साथ पर्दे के पीछे की कूटनीति को बहाल करना है ताकि परमाणु शक्ति संपन्न दोनों पड़ोसियों के बीच अहम मुद्दों पर कोई बात बने।
कई नाम सुझाए गए लेकिन फैसला बाकी
साल 2018 अगस्त में देश की बागडोर संभालने के बाद से पीएम इमरान ने सभी लंबित मुद्दों पर शांति वार्ता की बहाली के लिए भारत से संपर्क साधने की बार-बार कोशिश की, लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चलेंगे। इसलिए अब इमरान एनएसए के जरिए बातचीत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इस संबंध में एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि पाकिस्तान सरकार किसी सेवानिवृत अधिकारी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त कर सकती है। कुछ नामों पर गौर किया जा रहा है लेकिन अब तक अंतिम फैसला नहीं किया गया है।
साल 2015 में हुई थी पाक और भारत के एनएसए की मीटिंग
साल 2015 में जब नवाज शरीफ देश के प्रधानमंत्री थे तो लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) नसीर जंजुआ उनके एनएसए थे। जंजुआ ने भारत के एनएसए अजित डोवाल से मुलाकात की थी। दोनों के बीच हुई मीटिंग के बाद देशों के बीच रिश्ते सामान्य होने की उम्मीदें बंधी थीं। जंजुआ और डोवाल दोनों ने बैंकॉक में मीटिंग की थी। दोनो की मुलाकात के बाद भारत और पकिस्तान के विदेश मंत्रियों के बीच एक एग्रीमेंट भी साइन हुआ था। दोनों देशों के नेतृत्व की ओर से अक्सर ही एनएसए की मदद से कई मुद्दों को सुलझाने की कोशिशें की जा चुकी हैं।
वाजपेयी ने शुरू किया था एनएसए का ट्रेंड
भारत में अब तक पांच एनएसए हो चुके हैं। देश में नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर या एनएसए, पद की शुरुआत नवंबर 1998 में हुई जब अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने थे। उन्होंने उस समय ब्रजेश मिश्रा को अपना एनएसए नियुक्त किया था। मिज्ञा 22 मई 2004 तक देश के एनएसए रहे। इसके बाद 23 मई 2004 को जेएन दीक्षित को यूपीए की सरकार में एनएसए नियुक्त किया गया जो जनवरी 2005 तक इस पद पर रहे। उनके बाद जनवरी 2005 में एमके नारायणन को एनएसए नियुक्त किया और वह 23 जनवरी 2010 को रिटायर हो गए। नारायणन के बाद 24 जनवरी 2010 को शिवशंकर मेनन को एनएसए बनाया गया और वह 28 मई 2014 तक एनएसए के पद पर रहे। 30 मई 2014 को डोवाल ने यह पद संभाला था।