यूपी में गठबंधन को लेकर दोराहे पर RLD, कांग्रेस के साथ जाए कि सपा-बसपा की तरफ?
Noida news, नोएडा। यूपी में सपा और बसपा के बीच गठबंधन को लेकर चल रही अटकलों के बीच एक बार फिर राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) दोराहे पर खड़ा हो गया है। अभी तक गठबंधन में सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस व रालोद भी साथ रहने की बात कही जा रही थी लेकिन अब रालोद की चिंता बढ़ गई है। कांग्रेस द्वारा अलग चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने की बात सामने आने के बाद अब रालोद किसके साथ गठबंधन करे यह उसके लिए चिंता का कारण बन गई है।
2014 के चुनाव में नहीं मिली एक भी सीट
वेस्ट यूपी की राजनीति में अभी तक रालोद बड़ी भूमिका निभाता था। यही कारण रहा कि केंद्र में सरकार वर्ष 2014 से पहले चाहे किसी दल की रही हो लेकिर रालोद मुखिया चौधरी अजित सिंह केंद्र में मंत्री मंडल में अपनी जगह बना ही लेते थे। लेकिन वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह से यूपी में उसे एक भी सीट नहीं मिली उससे पार्टी का पूरा अस्तिव ही समाप्त होता दिखा। हालांकि वर्ष 2018 में कैराना लोकसभा सीट पर बीजेपी सांसद चौधरी हुकुम सिंह की मृत्यु के बाद हुए उप चुनाव में रालोद प्रत्याशी को जीत मिली। उप चुनाव में इस सीट पर सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस ने अपना समर्थन रालोद प्रत्याशी को ही दिया था। इस जीत के बलबूते रालोद लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटा था। उसने महागबंधन का खाका भी तैयार किया। लेकिन अब जब सपा और बसपा ने एक साथ यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ने की बात कही तो सबसे अधिक चिंता रालोद की ही बढ़ी।
सपा-बसपा के साथ गठबंधन में हो सकते हैं शामिल
रालोद गठबंधन में यूपी में कम से कम पांच सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी जता रहा था। अब नए समीकरण के बीच रालोद के सामने यह समस्या आ गए है कि वह अब गठबंधन में किसके साथ जाए। सपा और बसपा के गठबंधन में शामिल हो या फिर कांग्रेस के साथ रहकर उसके गठबंधन में चुनाव लड़े। हाल ही में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनाने से कांग्रेस को भी संजीवनी मिली है। इसलिए वह भी यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान लीडर की भूमिका में रहना चाहती है। कांग्रेस गठबंधन अपनी शर्तों पर चाहती है। बसपा और सपा के बीच यूपी में सीटों के बंटवारे को लेकर कल स्थिति स्पष्ट होने की बात कही जा रही है। मीडिया गलियारे में चर्चा है कि ये दोनों दलों के मुखिया कल संयुक्त प्रेसवार्ता कर इस संबंध में घोषणा करेंगे। अभी तक जो चर्चा है उसके मुताबिक ये दोनों दल 37-37 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने पर सहमति बना चुके हैं। शेष सीटों पर सहयोगी दलों के लिए टिकट दिये जाएंगे।
कांग्रेस के साथ भी जा सकती है आरएलडी?
इस सबके बीच शुक्रवार को कांग्रेस की ओर से बयान आया है कि वह अकेले दम पर चुनाव लड़ने को तैयार है। कांग्रेस के मीडिया समन्वयक राजीव बख्शी ने यह बयान एक न्यूज एजेंसी को दिया है। राजीव बख्शी ने कहा है कि हम एक राजनीतिक दल हैं और उत्तर प्रदेश में अकेले दम पर चुनाव लड़ने को तैयार है। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है। इसलिए गठबंधन में उसकी भूमिका अधिक महत्वपूर्ण होनी चाहिए। नए समीकरण के बीच रालोद नेता अभी पार्टी के मुखिया के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। रालोद नेताओं का कहना है कि चौधरी अजित सिंह जो भी तय करेंगे कार्यकर्ता उसी के अनुसार चुनाव लड़ेंगे। इनका कहना हैकि रालोद पहले की तरह यूपी की सियासत में निर्णायक भूमिका निभाएगी।
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