ये हैं इतिहास रचने वाले 3 युवक, IAS अंसार शेख, IPS हसन सफीन और जज मयंक प्रताप सिंह
नई दिल्ली। 21-22 साल की उम्र में अधिकांश युवक तो यह फैसला ही नहीं कर पाते हैं कि उन्हें जिंदगी में क्या और कैसे करना है? ऐसे युवाओं को मोटिवेट करवाने के मकसद से हम आपको मिलवा रहे हैं उन तीन युवाओं से, जिन्होंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी करते ही न केवल कामयाबी की ऊंचाइयों को छूआ बल्कि इतिहास ही रच डाला। तीनों के नाम देश में सबसे कम उम्र का आईएएस, आईपीएस और जज बनने का रिकॉर्ड है।
हम बात कर रहे हैं कि महाराष्ट्र के जालना निवासी अंसार शेख, गुजरात के राजकोट निवासी हसन सफीन और राजस्थान के जयपुर निवासी मयंक प्रताप सिंह की। तीनों की जिंदगी संघर्ष, मेहनत और कामयाबी की मिसाल है।
1. अंसार अहमद शेख आईएएस ( India's youngest ias officer Ansar Ahmad Shaikh )
सबसे कम उम्र के आईएएस अंसार अहमद शेख की जीवनी
अंसार अहमद शेख का जन्म 1 जून 1995 को महाराष्ट्र के जालना जिले के शेलगांव में हुआ। अंसार जब चौथी कक्षा में थे तो उनके आटो चालक पिता मुफलीसी का हवाला देते हुए स्कूल से उनका नाम कटवाने पहुंच गए थे, मगर टीचर की समझाइश से पढ़ाई जारी रही। अंसार ने 12वीं कक्षा में 91 फीसदी अंक लाकर सबको चौंका दिया था। इसके बाद पुणे के फर्गुसन कॉलेज से राजनीति विज्ञान में बीए किया। ये अपने पूरे खानदान में पहले ग्रेजुएट हैं।
अंसार शेख आईएएस के परिवार का संघर्ष
अंसार शेख का परिवार कभी बीपीएल श्रेणी में हुआ करता था। इन्हें अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए एक होटल में वैटर का काम करना पड़ा। इनके पिता अहमद शेख ऑटो रिक्शा चलाते थे। मां अजामत शेख खेती में मजदूरी करती थी। अंसार शेख यूपीएससी परीक्षा 2015 में 361वीं रैंक हासिल कर 21 साल की उम्र में आईएएस बने।
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दिल्ली के एनजीओ ने उठाया खर्च
अंसार अहमद शेख पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस हैं। वर्ष 2016 में इनके पहली पोस्टिंग पश्चिम बंगाल के कूच बिहार में बतौर एसडीओ के रूप में मिली। वर्तमान में ये एमएसएमई और टेक्सटाइल विभाग में ओएसडी हैं। अंसार शेख पुणे के कॉलेज में ग्रेजुशन कर रहे थे तब इनका पूरा खर्च छोटे भाई अनीस शेख ने उठाया। इसके अलावा अंसार के मददगारों में इनके खास दोस्त मुकुंद और दिल्ली के एनजीओ जकात फाउंडेशन आफ का का नाम भी शामिल है। अंसार साक्षात्कार व उसकी तैयारी के लिए 40 दिन दिल्ली में रहे। तब उस एनजीओ ने अंसार का पूरा खर्च उठाया।
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2. हसन सफीन, आईपीएस ( India's youngest IPS officer Hasan Safin )
सबसे
कम
उम्र
के
आईपीएस
हसन
सफीन
की
जीवनी
सफीन
हसन
गुजरात
के
बनासकांठा
जिले
के
पालनुपर
तहसील
के
गांव
कणोदर
में
21
जुलाई
1995
को
पैदा
हुए।
सफीन
हसन
ने
अपने
गांव
कणोदर
के
सरकारी
स्कूल
से
गुजराती
मीडियम
से
दसवीं
तक
की
पढ़ाई
की।
11वीं
व
12वीं
कक्षा
इन्होंने
पालनपुर
के
प्राइवेट
स्कूल
से
की।
इनकी
गरीबी
व
पढ़ाई
के
प्रति
लगनको
देखने
हुए
प्रींसिपल
ने
फीस
माफ
कर
दी
थी।
10वीं
कक्षा
में
92
फीसदी
अंक
प्राप्त
किए।
फिर
नेशनल
इंस्टीट्यूट
ऑफ
इंजीनियरिंग
(एनआईटी)
से
इंजीनियरिंग
की।
पिता के साथ लगाते थे अंडे का ठेला
सफीन हसन के माता-पिता डायमंड यूनिट में श्रमिक थे। फिर मजदूरी छूटी तो पिता मुस्तफा इलेक्ट्रिशियन का काम करने लगे। अंडे का ठेले भी लगाते थे जिस पर कई बार पिता के साथ हसन भी काम करते थे। मां नसीम बानो रेस्टोरेंट व विवाह समारोह में रोटी बेलने का काम करती थीं। सफीन हसन यूपीएससी परीक्षा 2017 में 570रैंक कर आईपीएस बने। तब इनकी उम्र महज 22 साल थी।
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गांव के हुसैन भाई ने उठाया पढ़ाई का खर्च
गुजरात कैडर के आईपीएस सफीन हसन को पहली पोस्टिंग दिसम्बर 2019 में मिली। इन्होंने जामनगर एएसपी के रूप में ज्वाइन किया है। सफीन हसन जब कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद यूपीएससी की तैयार करने के लिए दिल्ली आना चाहा तो उनके गांव के हुसैन भाई और उनकी पत्नी जरीना बेन ने आने-जाने से लेकर दिल्ली में कोचिंग व रहने-खाने का पूरा खर्चा उठाया।
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सबसे कम उम्र के जज मयंक प्रताप सिंह की जीवनी
भारत में सबसे कम उम्र में जज बनने वाले मयंक प्रताप सिंह राजस्थान के जयपुर के रहने वाले हैं। सरकारी स्कूल में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत राजकुमार सिंह व सरकारी शिक्षिका मां के घर 1998 को जन्मे मयंक ने राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा 2018 में यह सफलता हासिल की है। खास बात यह है कि बिना किसी कोचिंग के मयंक ने महज 21 साल की उम्र में जज बनकर दिखाया है।
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उस समय मीडिया से बातचीत में मयंक ने कहा था कि उन्होंने कभी सोशल मीडिया जैसे फेसबुक या व्हाट्सएप का उपयोग नहीं किया। इनसे दूरी रखने का उद्देश्य अपने लक्ष्य पर पूरी तरह से फोकस रखना था। हालांकि मयंक इंटरनेट का इस्तेमाल करता था, मगर सिर्फ राजस्थान न्यायिक सेवा परीक्षा व कानून संबंधी नई जानकारियां लेने, सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के कुछ नए और रोचक निर्णयों के बारे में जानने के लिए।
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