यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी ने दिया जोर का झटका,टेंशन में बिल्डर-होम बायर्स परेशान
यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने कड़ा फैसला लेते हुए 12 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बिल्डिंग प्लान कैंसल कर दिए हैं।
नई दिल्ली। अगर आपने यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के तहत बन रही 17 परियोजनाओं में पैसा लगाया है तो आपके लिए बुरी खबर है। यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी ने कड़ा फैसला लेते हुए 12 ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के बिल्डिंग प्लान कैंसल कर दिए हैं। इनमें जेपी ग्रुप के 7 प्रोजेक्ट, गौरसंस के 2 और अजनारा, ऑरिस ग्रुप और वीजीए डेवलपर्स के 1-1 प्रोजेक्ट शामिल हैं। इतना ही नहीं, अथॉरिटी इससे पहले भी जेपी एसोसिएटस के 5 प्रोजेक्ट कैंसल कर चुकी है। अथॉरिटी की इस कार्रवाई ने उन होम बायर्स को सकते में डाल दिया है, जिन्होंने इन प्रोजेक्ट्स में पैसा लगा रखा है।
अथॉरिटी
ने
क्यों
की
कार्रवाई?
अथॉरिटी
के
सीइओ
अरुण
वीर
सिंह
के
मुताबिक
डेवलपर्स
ने
साल
2015-16
में
अपने
प्रोजेक्ट्स
के
मैप
जमा
कराए
थे,
लेकिन
इन
डेवलपर्स
ने
अथॉरिटी
के
ऑब्जेक्शन
का
अब
तक
कोई
जवाब
नहीं
दिया
है।
इसके
चलते
उनके
नक्शे
पास
नहीं
किए
गए
थे,
बावजूद
इसके
डेवलपर्स
ने
इन
प्रोजेक्ट्स
के
फ्लैट
बेचने
शुरू
कर
दिए।
अब
अथॉरिटी
ने
इन
डेवलपर्स
को
नोटिस
जारी
कर
कहा
है
कि
वे
इन
प्रोजेक्ट्स
के
होम
बायर्स
की
पूरी
डिटेल
प्रोवाइड
कराएं।
बिना
क्लीयरेंस
के
डेवलपर्स
फ्लैट्स
बेचने
की
इजाजत
नहीं
है।
कहां
पर
है
ये
प्रोजेक्ट्स
?
जेपी
एसोसिएट्स
के
सभी
12
प्रोजेक्ट्स
यमुना
एक्सप्रेस-वे
से
लगे
सेक्टर-19,
25
और
22बी
में
हैं।
वहीं
गौरसंस
का
एक
प्रोजेक्ट
करीब
87756
वर्ग
मीटर
में
फैला
है।
ये
दोनों
प्रोजेक्ट
250
एकड़
में
प्रस्तावित
यमुना
सिटी
मेगा
टाउनशिप
का
हिस्सा
हैं।
वहीं
वीजीए
डेवलपर
सेक्टर
25
में
20071
वर्ग
मीटर
जमीन
पर
अपार्टमेंट
बना
रहा
है।
वहीं
ऑरिस
ग्रुप
द्वारा
सेक्टर
22
डी
में
819105
वर्ग
मीटर
और
अजनारा
द्वारा
85391
वर्ग
मीटर
एरिया
में
ग्रुप
हाउसिंग
रेजिडेंशियल
प्रोजेक्ट
बनाया
जा
रहा
है।
आगे
क्या
है
रास्ता
?
बिल्डरों
को
नए
सिरे
से
बिल्डिंग
प्लान
का
नक्शा
मंजूर
करने
के
लिए
आवदेन
करना
होगा.
इनमें
से
कुछ
बिल्डरों
ने
तो
बुकिंग
कर
ली
थी
जबकि
निर्माण
कार्य
नहीं
हुआ
था।
जेपी इंफ्राटेक को यमुना एक्सप्रेस वे का निर्माण करने के बदले यूपी सरकार से हुए समझौते के तहत एक्सप्रेस वे के किनारे 500 हेक्टेयर जमीन आवंटित किया गया था.