देश और दिल्ली के सबसे खास कालेज में जारी पंगा
नई दिल्ली(विवेक शुक्ला) देश और दिल्ली के सबसे खासमखास कालेज यानी सेंट स्टीफंस कालेज में हंगामा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कभी पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति जिया उल हक का कालेज रहे सेंट स्टीफंस कालेज में ताजा विवाद इसलिए हो रहा है क्योंकि प्रिंसिपल वाल्सन थंपू ने यहां के छात्रों की तरफ से छापी जा रही ई-मैगजीन के संपादक देवांश मेहता को कालेज से निलंबित कर दिया है। इसके चलते देवांश कालेज परिसर में नहीं घुस सकेगा।
आगे बढ़ने से पहले बता दें कि जिया-उल -हक स्टीफंस कालेज में 1945 में पढ़ते थे। अब वर्तमान पर लौटते हैं। दरअसल इन दिनों यहां के प्रिंसिपल वाल्सन थंपू और स्टुडेंट आमने -सामने हैं।
तमाम दिग्गज पढ़े
बता दें इस कालेज ने बीसियों केन्द्रीय मंत्री से लेकर सांसद और दूसरी हस्तियां दी। इनमें हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, पूर्व केन्द्रीय कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद,राहुल गांधी, कबीर बेदी,अरुण शौरी, चंदन मित्रा, कीर्ति आजाद,अरुण लाल, स्वपन दास गुप्ता समेत चोटी के लोग शामिल हैं।
थंपू छात्रों से नाराज
प्रिंसिपल वाल्सन थंपू अपने छात्रों से नाराज हैं। उन्होंने छात्रों की तरफ से चलाई जा रही आन लाइन मैगजीन स्टीफंसवीकली पर रोक लगा दी है। उनका कहना है कि इस पर कंटेट उनसे पूछ कर नहीं डल रहा।हालांकि थंपू के फैसले से छात्र और कालेज की टीचर बिरादरी नाराज है। इनका कहना है कि थंपू के आरोप गलत हैं।
स्टुडेंट भी कम नहीं
अब इस विवाद में सेंट स्टीफंस कालेज पूर्व छात्र संघ भी कूद पड़ा है। उसने प्रिंसिपल थंपू पर आरोप लगाया है कि वे कालेजके स्टुडेंट्स की जुबान पर ताला लगान चाहते हैं। वे कालेज में स्वस्थ माहौल का निर्माण नहीं होने देना चाहते। इसका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आई एक्ट की धारा 66ए को खत्म करने के बावजूद थंपू अपने को सुधारने के लिए तैयार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने उक्त कदम इसलिए उठाया ताकि सूचनाएं का प्रवाह बिना किसी अवरोधके होता रहे।
उधर, कुछ छात्रों का कहना है कि थंपू का आचरण और व्यवहार डेमोक्रिटिक नहीं रहा। वे बात-बात पर नाराज हो जाते हैं। वे दूसरे की बात सुनने के लिए तैयार नहीं होते। इस बीच, सेंट स्टीफंस कालेज के छात्र रहे पी. भूटानी ने कहा कि दोनों पक्षों को अपने मसले मिल-जुलकर हल करने चाहिए। विवाद बढ़ने से कालेज की इमेज पर बट्टा लगेगा।