प्रशांत भूषण का सपना, मोदी नहीं राहुल बने प्रधानमंत्री
अपने ट्वीट से जेठमलानी ने निशाना साधा है कि कांग्रेस, भाजपा को सत्ता में आने से रोंकने के लिए आम आदमी पार्टी का इस्तेमाल कर रही है, जिस पर 'आप' की सहमति हैं।
गौर हो कि 'आप' ने 2014 के लोकसभा चुनाव में 200 सीटों पर उतरने का फैसला किया है, उम्मीद की जा रही है कि 'आप' अगर 20- 25 सीटें भी जीतने में कामयाब रहती है तो पूर्ण बहुमत पाने का भाजपा का सपना टूट जाएगा। ऐसे कई कारण है जिससे 'आप' को कांग्रेस का समर्थक माना जा रहा है, देखें वह क्या कारण हैं-
कांग्रेस से गठबंधन
दिल्ली में सरकार बनाने के लिए 'आप' ने कांग्रेस से समर्थन लिया, जिसके बाद अनुमान लगाये जा रहे हैं कि कांग्रेस दिल्ली में 'आप' को समर्थन देकर जनता के बीच अपनी भ्रष्ट छवि को फिर से साफ करना चाहती है, वहीं अपने कॉमनवेल्थ घोटालों की भी जांच नहीं होने देना चाहती है। अरविंद केजरीवाल ने भी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने पर कहा था कि हम दिल्ली में अब कोई घोटाले नहीं होने देंगे, उन्होने जल बोर्ड और बिजली कंपनियों द्वारा की गई हेराफेरी पर नरम रूख अपनाया। ऐसे में उन्होने सत्ता में बने रहने का मार्ग निकाल लिया जैसा कांग्रेस ने कई बार किया।
कार्यकर्ता, विचारधारा से नहीं जुड़ा
भाजपा में जहां कार्यकर्ता हिंदुत्व और विकास के नाम पर जुड़ा हुआ है, वहीं 'आप' का आधार एक आंदोलन है। इस आंदोलन का असर कब तक रहेगा, कहा नहीं जा सकता है। वहीं नरेंद्र मोदी देश के सर्वमान्य नेता बनने के लिए अपनी हिंदुत्ववादी छवि बदलने का प्रयास कर रहे हैं। 'आप' की तरह कांग्रेस ने अवसरवादी राजनीति को प्रमुखता दी और किसी एक विचारधारा पर कायम नहीं रह सके हैं।
कांग्रेस और 'आप' की रणनीति एक
कांग्रेस ने खुद को सत्ता में बनाये रखने के लिए जहां गरीब आदमी को उत्थान का सपना दिखाया और उनके सशक्तिकरण का वादा किया, जबकि आम आदमी पार्टी के नेताओं ने आम जनता के बीच जाकर और उन्हीं की तरह जीवन स्तर गुजारने का वादा कर दिल्ली के सिंहासन तक का रास्ता तय किया है।