मोईन कुरैशी ने आलोक वर्मा को सीबीआई पद से हटाकर अपनी हैट्रिक पूरी की
नई दिल्ली: केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) के चीफ आलोक वर्मा को गुरुवार को तीन सदस्यों की उच्च स्तरीय समिति ने 2-1 से उनके पद से हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी बहाली के आदेश दिए थे। लेकिन उनकी बहाली 48 घंटे में खत्म कर दी गई। सीवीसी की रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ फैसला लिया लिया गया। इस समिति में जस्टिस एके सीकरी और लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे। खड़गे ने आलोक वर्मा को हटाने का विरोध किया।
सरकार बनाम सीबीआई मामले में एक बार फिर से मीट व्यापारी मोईन कुरैशी का नाम सामने आया। इससे पहले उनकी वजह से भूतपूर्व सीबीआई चीफ रंजीत सिन्हा और एपी सिंह को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। मोईन कुरैशी की वजह से ही आलोक वर्मा और उनके जूनियर राकेश अस्थाना के बीच टकराव शुरू हुआ था।
मोईन कुरैशी के उत्तर प्रदेश के कानपुर का बड़ा मीट कारोबारी है। मोईन के खिलाफ हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के कई मामलों में जांच चल रही है। कुरैशी ने साल 1993 में रामपुर के एक छोटे से बूचड़खाने से अपने मीट के कारोबार की शुरुआत की थी। कुछ सालों में मोईन का व्यापार व्यापक स्तर पर फैल गया और वो गिनती मीट के सबसे बड़े कारोबारियों में होने लगी। मीट कारोबार के अलावा कुरैशी ने हवाला के जरिए लंदन, दुबई और यूरोप में पैर पसारे। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक हवाला के जरिए कई ट्रांजेक्शन की। उस पर सीबीआई अफसरों, राजनेताओं समेत कई अधिकारियों को रिश्वत देने के भी आरोप भी हैं।
राकेश अस्थाना और आलोक वर्मा के बीच विवाद मोईन कुरैशी केस की वजह से हुआ। राकेश अस्थाना ने आरोप लगाए कि हैदराबाद के बिजनसमैन सतीश बाबू सना ने आलोक वर्मा को 2 करोड़ घूस दी ताकि मोईन कुरैशी को राहत मिल सके। इसके बाद सीबीआई चीफ रहते हुए आलोक वर्मा ने राकेश अस्थाना के खिलाफ 3 करोड़ रुपये लेने के आरोप में एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए।
साल
2014
में
पहली
बार
सामने
आया
नाम
मोईन
अख्तर
का
नाम
पहली
बार
साल
2014
में
सुर्खियों
में
आया
,
जब
ये
पाया
गया
कि
15
महीनों
में
करीब
70
बार
कुरैशी
तत्कालीन
सीबीआई
चीफ
रंजीत
सिन्हा
से
उनके
आवास
पर
मिले।
सना
ने
पिछले
साल
ED
को
कथित
तौर
पर
बताया
था
कि
उसने
सिन्हा
के
जरिए
एक
सीबीआई
केस
में
फंसे
अपने
दोस्त
को
जमानत
दिलाने
के
लिए
1
करोड़
रुपये
कुरैशी
को
दिए
थे।
सिन्हा
ने
इन
आरोपों
का
खंडन
किया
था।
एपी
सिंह
के
साथ
भी
जुड़ा
नाम
साल
2014
में
जांच
मे
पता
चला
कि
कुरैशी
और
सीबीआई
के
भूतपूर्व
डायरेक्टर
एपी
सिंह
के
बीच
संदेशो
का
आदान-प्रदान
हुआ
था.
आयकर
विभाग
और
ED
ने
इस
मामले
की
जांच
की
और
पिछले
साल
फरवरी
में
सीबीआई
ने
सिंह
के
खिलाफ
केस
दर्ज
किया,
जिससे
कुरैशी
के
साथ
उनके
संबंधों
की
जांच
हो
सके.
उन
पर
लगे
इन
आरोपों
की
वजह
से
सिंह
को
संघ
लोक
सेवा
आयोग
में
सदस्य
की
अपनी
पोस्ट
छोड़नी
पड़ी
थी।
वो
साल
2010
से
2012
तक
सीबीआई
के
चीफ
थे।