सवर्ण आरक्षण देने के बाद 29 लाख खाली सरकारी पद कब भरेगी सरकार
नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों में दो तिहाई बहुमत से सवर्ण आरक्षण बिल पास कराने के बाद केंद्र में शासित भाजपा सरकार के सामने एक और बड़ी चुनौती है। सामान्य वर्ग के आर्थिक आधार पर पिछड़े लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के बाद केंद्र सरकार के पास खाली पड़े सरकारी पदों पर भर्ती कराने की चुनौती है।
29 लाख सरकारी पद खाली
इस समय केंद्र और राज्य सरकारों में 29 लाख सरकारी पद खाली हैं। ये जानकारी बिजनेस टुडे द्रारा कलेक्ट डॉटा से मिली है जो उसने संसद में पूछे गए सवालों से इकठ्ठा किया है। सवर्ण आरक्षण देने के फैसले के बाद केंद्र सरकार नई आरक्षण नीति से सामान्य वर्ग के 3 लाख लोगों को तत्काल नौकरी दे सकती है। हाल ही के विधानसभा चुनाव में भाजपा को सवर्ण वोटरों ने झटका दिया था। इस मास्टर स्ट्रोक से उसके छिटके वोटरों के वापस आने की संभावना जताई जा रही है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार ये खाली पद भर पाएगी, जब सालों से इन सरकारी पोस्टों को नहीं भरा गया है।
कहां
कितने
खाली
पद?
इस
समय
शिक्षा
विभाग
में
13
लाख
से
अधिक
पद
खाली
हैं।
इसमें
से
9
लाख
प्राथमिक
शिक्षक
और
4.17
लाख
सर्व
शिक्षा
अभियान
के
तहत
शिक्षकों
के
पद
हैं।
वहीं
दूसरी
तरफ
माध्यमिक
स्तर
के
एक
लाख
शिक्षकों
की
पोस्ट
खाली
हैं।
अगस्त
2018
तक
केंद्रीय
विद्यालय
में
भी
7885
शिक्षकों
के
लिए
खाली
जगह
हैं।
देश भर में पुलिस विभाग में इस समय 4.43 लाख पद खाली हैं. इसके अलावा अगस्त 2018 तक केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और असम राइफल्स में भी 61578 पद खाली हैं। देश भर में सभी मंत्रालयों और विभागों में 4.12 लाख पद खाली हैं. ये पद मौजूद 36.3 लाख नौकरियों में से हैं। इनमें से रेलवे में 2.53 लाख पद भरे जाने हैं।
नॉन गैजेट कैडर में भी 17 फीसदी नौकरियों में भर्ती होनी हैं। इनमें में से आंगनबाड़ी में 14 लाख पद खाली है। इनमें से 12.82 लाख पद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 1.16 लाख पद आंगनबाड़ी हेल्पर के हैं। इसी तरह उच्च प्रशासनिक सेवाओं में भी कई पद खाली हैं। इनमें 1449 आईएएस, 970 आईपीएस और 30 आईएफएस के पद खाली हैं। भारत के कोर्ट भी स्टॉफ की कमी से जूझ रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस समय नौ जजों के पद खाली हैं। इसके अलावा देश के कई हाईकोर्ट में 417, इसके अलावा अतिरिक्त कोर्ट में भी 5436 पद खाली पड़े हैं।
दिल्ली के एम्स में 304 फेक्लटी मेंबर के पद अभी भी भरे जाने बाकी हैं। इसके अलावा एम्स के अन्य शहरों में नॉन फैक्लटी एम्स में 75 प्रतिशत स्टॉफ की भारी कमी है। IIT, IIM और NIT जैसे उच्च शैक्षणिक संस्थानों में क्रमशः 2,612, 191 और 3,552 फैकल्टी के पद खाली हैं.
गौरतलब है कि सरकार की वित्तीय हालत बेहतर नहीं है.इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने करीब 1.68 लाख करोड़ रुपये सैलरी देने में खर्च किए. इसके अलावा केंद्र सरकार ने लोकसभा पटल पर बताया कि साल 2018 में पेंशन देने में सरकार ने 10,000 हजार करोड़ रुपये खर्च किए. वहीं राज्य सरकारों में उत्तर प्रदेश और बिहार ने सैलरी में 12 प्रतिशत बजट खर्च किया जो कि केरल और राजस्थान की अपेक्षा कम है. राजस्थान ने 26 प्रतिशत और केरल ने 25 प्रतिशत खर्च किया. वहीं रक्षा बजट में से करीब आधा सैलरी और पेंशन में खर्च हुआ है.