क्विक अलर्ट के लिए
अभी सब्सक्राइव करें  
क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

Madhav Gitte : खेत-मकान सब गिरवी रखकर IAS बने माधव, दोस्तों ने उठाया UPSC की तैयारी का खर्च

Google Oneindia News

नई दिल्ली। माधव गिट्टे की जगह कोई और होता तो शायद हार मान जाता, क्योंकि हालात इतने विपरीत थे कि घर-खेत तक गिरवी रखना पड़ा। पढ़ाई बीच में छूटी। खेतों में मजदूरी की। इन सबके बावजूद माधव ने अपने ना सपनों को गिरवी रखा और ना ही मेहनत करनी छोड़ी।

ये हैं इतिहास रचने वाले 3 युवक, IAS अंसार शेख, IPS हसन सफीन और जज मयंक प्रता​प सिंहये हैं इतिहास रचने वाले 3 युवक, IAS अंसार शेख, IPS हसन सफीन और जज मयंक प्रता​प सिंह

Recommended Video

IAS Madhav Gitte: खेत-मकान सब रखा गिरवी, UPSC की तैयारी का खर्च उठाया Friends ने | वनइंडिया हिंदी
माधव गिट्टे, 210वीं रैंक यूपीएससी 2019

माधव गिट्टे, 210वीं रैंक यूपीएससी 2019

बेइंतहा गरीबी में पले बढ़े माधव गिट्टे महाराष्ट्र के नांदेड़ से 70 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव के रहने वाले हैं। माधव यूपीएसपी परीक्षा 2019 में 210वीं रैंक हासिल कर आईएएस अफसर बने हैं। माधव के संघर्ष और सफलता की पूरी कहानी युवाओं को प्रेरित करने वाली है।

जानिए कौन हैं Aishwarya Sheoran, जो मॉडलिंग छोड़ पहले ही प्रयास में बन गई IAS<br/>जानिए कौन हैं Aishwarya Sheoran, जो मॉडलिंग छोड़ पहले ही प्रयास में बन गई IAS

 आईएएस माधव गिट्टे का परिवार

आईएएस माधव गिट्टे का परिवार

माधव गिट्टे किसान परिवार से हैं। माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं हैं। पांच भाई बहन हैं। तीन बहन व दो भाई। माधव चौथे नंबर के हैं। अपने परिवार में सबसे ज्यादा पढ़े लिखे हैं। इनके पास चार एकड़ खेत है। परिवार उसी पर खेती करता है। साथ ही दूसरे के खेतों में मजदूरी भी। खुद माधव भी मजदूरी करते थे।

Vijay Singh Gurjar : दिल्ली पुलिस कांस्टेबल से बने IPS, कभी सुबह 4 बजे उठकर खेत में करते थे लावणीVijay Singh Gurjar : दिल्ली पुलिस कांस्टेबल से बने IPS, कभी सुबह 4 बजे उठकर खेत में करते थे लावणी

स्कूल पढ़ाई के लिए रोज साइकिल से 22 किमी का सफर

स्कूल पढ़ाई के लिए रोज साइकिल से 22 किमी का सफर

मीडिया से बातचीत में माधव बताते हैं कि वर्ष 2004 में मां को कैंसर हो गया था। तब मैं दसवीं कक्षा में था। 11 किलोमीटर दूर ​स्कूल रोजाना साइकिल से आया-जाया करते थे। 22 किलोमीटर में सफर के बाद खेतों में मजदूरी भी करते। मां का पुणे में ऑपरेशन करवाया, मगर सालभर बाद उनका निधन हो गया।

UPSC Result : ये 5 युवा 22 की उम्र में बने IAS, ऑटो रिक्शा चालक का बेटा सबसे यंगेस्ट अफसरUPSC Result : ये 5 युवा 22 की उम्र में बने IAS, ऑटो रिक्शा चालक का बेटा सबसे यंगेस्ट अफसर

एक साल के लिए छोड़ दी थी पढ़ाई

एक साल के लिए छोड़ दी थी पढ़ाई

मां की मौत के बाद प​रिवार की आर्थिक स्थिति अधिक खराब हो गई थी। फीस के पैसे नहीं थे तो माधव ने 11वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी और पिता के साथ खेतों में मजदूरी करना शुरू कर दिया। पिता चाहते थे कि बेटा पढ़ाई फिर से शुरू करें। एक साल बाद माधव ने 12वीं कक्षा में दाखिल लिया और वर्ष 2007 में 56 फीसदी अंकों से पास की। अब कॉलेज फीस की नौबत आ गई।

सरकारी नौकरियों की खान है चौधरी बसंत सिंह का परिवार, IAS मां-बेटा, IPS पोती समेत 11 सदस्य अफसरसरकारी नौकरियों की खान है चौधरी बसंत सिंह का परिवार, IAS मां-बेटा, IPS पोती समेत 11 सदस्य अफसर

जब हर मोड़ पर मिली निराशा

12वीं में कम प्रतिशत होने के कारण माधव को सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में दाखिल नहीं मिला। आईटीआई के लिए आवेदन किया तो उसमें भी नंबर नहीं आया। ऐसे में फिर से खेतों में मजदूरी करने लगे, मगर उसी साल अकाल पड़ गया तो मजदूरी भी नहीं मिली। इस बीच पुणे जाकर एक कम्पनी में बतौर हैल्पर काम करने लगे। वहां पर फीवर हो गया तो गांव लौट आए।

रोमन सैनी ने IAS, गौरव ने MNC की नौकरी छोड़ शुरू की Unacademy, 5 साल में 11 हजार करोड़ का टर्नओवररोमन सैनी ने IAS, गौरव ने MNC की नौकरी छोड़ शुरू की Unacademy, 5 साल में 11 हजार करोड़ का टर्नओवर

 कॉलेज में दाखिले के लिए ब्याज पर लिए रुपए

कॉलेज में दाखिले के लिए ब्याज पर लिए रुपए

हर तरफ निराशा हाथ लगने के दौरान अगस्त 2008 में माधव के पास एक डिप्लोमा कॉलेज से सामान्य फीस में पॉलिटेक्निक करने का कॉल लैटर आया। छात्रावास फीस 5 हजार और ए​डमिशन फीस 2 हजार रुपए थे। यह पैसे भी ब्याज पर जुटाए थे। पहला साल तो जैसे तैसे निकल गया, मगर दूसरे-तीसरे साल के लिए फिर पैसे ब्याज पर लेने पड़े। आखिर वर्ष 2011 में माधव ने 87 फीसदी अंकों के साथ कॉलेज टॉप किया।

IAS Success Story : BPL परिवार का बेटा बना IAS, पिता की मौत के बाद मां ने मजदूरी करके पढ़ायाIAS Success Story : BPL परिवार का बेटा बना IAS, पिता की मौत के बाद मां ने मजदूरी करके पढ़ाया

 इस बार खेत गिरवी रखना पड़ा

इस बार खेत गिरवी रखना पड़ा

माधव बताते हैं कि पॉलिटेक्निक के बाद मैं जॉब करना चाहता था, ताकि ब्याज पर लिए रुपए चुका सकूं, मगर पिता आगे और पढ़ाना चाहते थे। पिता ने हौसला बढ़ाया तो पुणे के इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिया। 30 हजार रुपए एडमिशन व 45 हजार छात्रावास की फीस थी। इस बार हमने खेत गिरवी रखकर पैसे जुटाए। एजुकेशन लॉन के लिए काफी प्रयास किया, मगर वो नहीं मिला।

 तीसरे साल घर भी गिरवी रख दिया

तीसरे साल घर भी गिरवी रख दिया

खेत गिरवी रखकर जुटाए पैसों से इंजीनियरिंग कॉलेज में दो साल तो निकल गए, मगर तीसरे साल फिर आर्थिक दिक्कत आई तो इस बार पिता ने घर गिरवी रख दिया। फिर जब ग्रामीणों को पता चला कि माधव इंजीनियरिंग कर रहा है और पढ़ाई में भी अव्वल है। जल्द ही कहीं अच्छी नौकरी लग सकता है। ऐसे में चौथे साल बिना कुछ गिरवी रखे ब्याज पर पैसे मिल गए थे।

 प्लेसमेंट में मिली पहली नौकरी

प्लेसमेंट में मिली पहली नौकरी

इंजीनियरिंग की डिग्री मिलती उससे ही कॉलेज प्लेसमेंट के जरिए माधव को बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी मिल चुकी थी। माधव ने पुणे में वर्ष 2014 में एक कम्पनी ज्वाइन की। यहां दो साल तक जॉब किया, मगर माधव ने कुछ बड़ा करने के अपने सपने को नहीं छोड़ा। माधव अपने जैसे परिवारों के लिए कुछ करना चाहते थे।

दोस्त ने बताया यूपीएससी के बारे में

दोस्त ने बताया यूपीएससी के बारे में

पुणे में बतौर इंजीनियर जॉब करने के दौरान माधव के दोस्त ने उन्हें एक यूपीएससी टॉपर का मॉटिवेशनल वीडियो दिखाया तो माधव ने अफसर बनने की ठानी और दो माह तक यूपीएसपी की परीक्षा और पाठ्यक्रम संबंधी जानकारी जुटाई। फिर सुबह पांच से छह बजे तक लाइब्रेरी जाना शुरू किया। सुबह दस से शाम पांच बजे तक ऑफिस में काम और उसके बाद रात दस बजे तक लाइब्रेरी में पढ़ाई।

Rajendra Bharud : गर्भ में थे तब पिता की मौत, मां ने शराब बेचकर पढ़ाया, बेटा पहले IPS फिर बना IASRajendra Bharud : गर्भ में थे तब पिता की मौत, मां ने शराब बेचकर पढ़ाया, बेटा पहले IPS फिर बना IAS

 दोस्त बोले- 'हम हैं ना, तुम तैयारी करो'

दोस्त बोले- 'हम हैं ना, तुम तैयारी करो'

दिन में काम और सुबह-शाम लाइब्रेरी का रूटीन पांच माह तक चला। ऐसे में माधव को लगा कि जॉब करते हुए यूपीएससी की तैयारी करना मुश्किल है। नौकरी छोड़ना चाहा तो पिता का जवाब था कि बड़ी मुश्किल से नौकरी मिली है। कर्ज भी उतारना है। दोनों को साथ करते रहो, मगर माधव के दोस्त मदद को आगे आए। दोस्त अक्षय ने रूम रेंट की जिम्मेदारी उठाई। दिलीप ने मेस का खर्च दिया। तेजस रविराज ने यूपीएससी परीक्षा की टेस्ट सीरीज उपलब्ध करवाई। दोस्त आशीष व आजिक्य ने भी मदद की।

 डेढ़ साल का वक्त मांगा और वर्ष 2020 में आईएएस बने

डेढ़ साल का वक्त मांगा और वर्ष 2020 में आईएएस बने

दोस्तों से इतनी मदद मिलने के बाद माधव ने उनसे सफल होने के लिए डेढ़ साल का वक्त मांगा और वर्ष मार्च 2017 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर यूपीएससी की तैयारियों में जुट गए। 18 जून को पहली यूपीएससी की परीक्षा दी। पहली बार में प्रारम्भिक भी पास नहीं कर पाए, मगर दोस्तों और परिवार ने हिम्मत नहीं टूटने दी। फिर 2018 में दुबारा कोशिश की। इस बार 567रैंक हासिल हुई, मगर आईएएस कैडर नहीं मिला। माधव ने वर्ष 2019 में तीसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार मेहनत रंग लाई और माधव ने 210वीं रैंक हासिल कर आईएएस बन गए।

Comments
English summary
Madhav Gitte IAS Rank 210 CSE 2019 From Nanded Maharashtra Know His Life Struggle
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X