पंजाबियों के गढ़ में कैलाश सत्यार्थी का बोलबाला
नई दिल्ली (ब्यूरो)। साउथ दिल्ली में नेहरु प्लेस से जब आप थोड़ा और आगे बढ़ते हैं तब आप कालका जी पहुंचते हैं। यहां पर एक दौर में पंजाबी समुदाय के लोग मुख्य रूप से रहते थे। ये सब देश के विभाजन के वक्त भारत आए थे। इन्हें ही इधर प्लाट दिए गए थे। पर अब इधर रहने वाले एक गैर-पंजाबी ने पूरी दुनिया में देश और कालका जी का नाम रोशन कर दिया है। हम बात कर रहे हैं नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की।
जश्न का मंजर
वे एल-6 में रहते हैं। बीते कई दिनों से इधर जश्न का मंजर देखा जा सकता है। कल जब सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिला तो इधर उनके चाहने वाले आते रहे। घर के बाहर बजते ढोल नगाड़े भी बजे। पत्रकार भी खूब पहुंचे। इधर से ही चलता है सत्यार्थी जी के बचपन बचाओ आंदोलन का दफ्तर। कालका जी के निवासी डा. निखिल पाल कहते हैं कि सत्यार्थी बेहद निनम्र शख्स हैं। सब से प्रेम से मिलते-जुलते हैं।
मैं हूं कैलाश
कैलाश सत्यार्थी के घर के बाहर उनकी एक बड़ी सी तस्वीर लगी, जिस पर लिखा हुआ है, ‘मैं हूं कैलाश'। इस स्लोगन के बारे में उनके साथी कहते हैं कि हर एक बच्चा कैलाश सत्यार्थी है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं जब आप इन बच्चों से बात करेंगे तो आपको खुद ही पता चल जाएगा। इस बीच, अब कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि कैलाश सत्यार्थी के नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद इधर संपत्ति के दामों में तगड़ा उछाल आ जाएगा।