Himanshu Gupta : जनरल स्टोर संचालक का बेटा पहले IPS फिर IAS बना, कभी ठेले पर बेचते थे चाय
नई दिल्ली, 18 जनवरी। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को कई लोग अपनी कामयाबी की राह में रोड़ा मानते हैं। ऐसे लोगों के लिए 27 वर्षीय हिमांशु गुप्ता की कहानी प्रेरणादायी है। IAS हिमांशु गुप्ता ने वो दिन भी देखे हैं, जब इन्हें ठेले पर चाय बेचनी पड़ी थी।
हिमांशु गुप्ता की सक्सेस स्टोरी
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में हिमांशु गुप्ता ने अपनी सक्सेस स्टोरी शेयर की और बताया कि तरह से इन्होंने संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास करने की हैट्रिक बनाई। आर्थिक दिक्कतों का समाधान भी खुद ने ही निकाला।
पिता करते थे दिहाड़ी मजदूरी
आईएएस अधिकारी हिमांशु गुप्ता मूलरूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं। उत्तराखंड के सितारगंज में 14 अप्रैल 1994 को संतोष गुप्ता के घर में इनका जन्म हुआ। तब इनके पिता दिहाड़ी मजदूरी कर के परिवार पालते थे। वर्तमान में इनका परिवार उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के सिरौली में रहता है।
आईएएस हिंमाशु गुप्ता का परिवार
पिता-संतोष गुप्ता, जनरल स्टोर संचालक
माता-चंचल
गुप्ता,
गृहिणी
बहन
दीक्षा
गुप्ता,
एमए
बहन
मुस्कान
गुप्ता,
बीए
फाइनल
12 साल की उम्र में बेची चाय
हिमांशु गुप्ता बताते हैं कि जब वे 12 साल के थे तब पिता ने दो साल के लिए ठेले पर चाय बेचने का काम किया था। पिता के साथ-साथ हिमांशु भी स्कूल टाइम के बाद ठेले पर चाय बेचा करते थे। साल 2005 में बरेली के सिरौली आने के बाद पिता ने यहीं पर जनरल स्टोर खोल लिया, जो आज भी है।
Vijay Singh Gurjar : दिल्ली पुलिस कांस्टेबल से बने IPS, कभी सुबह 4 बजे उठकर खेत में करते थे लावणी
35 किमी दूर जाते थे पढ़ने
हिमांशु कहते हैं कि दसवीं तक तो उन्होंने हिंदी माध्यम से पढ़ाई की। कक्षा नौवीं से 12वीं तक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल में पढ़े। स्कूल 35 किलोमीटर दूर था। माता-पिता ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं होने के बावजूद उन्होंने बेटे हिमांशु व बेटी मुस्कान व दीक्षा के स्कूल की ओर बढ़ते कदम कभी नहीं रोके। नतीजा सबके सामने है।
हिमांशु गुप्ता रहे दिल्ली विवि टॉपर
12वीं की पढ़ाई के बाद हिमांशु गुप्ता साल 2011 में दिल्ली आ गए। यहीं से बीएससी और एमएससी की। दिल्ली विश्वविद्यालय से एमएससी में टॉपर रहे। इसके अलावा ग्वालियर स्थित जीवाजी विवि से एमफिल किया। उच्च शिक्षा का खर्च हिमांशु ने खुद उठाया। बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया। पेड ब्लॉग भी लिखे और छात्रवृत्ति से भी मदद मिली।
विदेश जाने की बजाय UPSC की तैयारियां शुरू की
हिमांशु गुप्ता कहते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय टॉप करने के बाद उन्हें विदेश में PHD करने के लिए छात्रवृत्ति मिली था। छात्रवृत्ति लेकर पीएचडी करने विदेश जाने की बजाय यूपीएससी की तैयारियों में जुट गए। बिना कोचिंग के यूपीएससी के पहले प्रयास में सफल नहीं हो पाए, मगर हिम्मत नहीं हारी।
तीन बार लगातार पास की यूपीएससी
शुरुआती अफसलता के बावजूद हिमांशु गुप्ता ने अपने इरादे नहीं बदले। ना ही मेहनत करना छोड़ा। फिर साल 2018, 2019 और 2020 में सिविल सेवा परीक्षा (UPSC CSE) पास की। पहली बार में इन्हें भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) कैडर मिला। दूसरे प्रयास में ये आईपीएस बने और आखिर में आईएएस बनकर ही माने।
अभी प्रशिक्षण पर हैं हिमांशु गुप्ता
UPSC की CSE 2020 में AIR 139वीं रैंक पाकर भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में अफसर बने हिमांशु गुप्ता फिलहाल ये उत्तराखंड के मंसूरी स्थित LBSNAA में प्रशिक्षण पर हैं। इससे पहले SVPNPA में बतौर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) भी ट्रेनिंग की थी।
किसान की 5 बेटियां बनीं IAS, इंजीनियर, SI, असिस्टेंट प्रोफेसर व सुपर मॉडल, 2 दामाद भी आईएएस