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Gupteshwar Pandey : घर में चोरी हुई तो बने IPS, हत्या के सबूत खोजने के लिए नदी में कूदे बिहार DGP

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नई दिल्ली। 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर पांडेय कई दिन से सुर्खियों में हैं। पहले फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच और अब बिहार पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के चलते। जनवरी 2019 को बिहार डीजीपी पद की कमान संभालने वाले गुप्तेश्वर पांडेय ने राज्यपाल फागू चौहान से वीआरएस के लिए आग्रह किया था, जिसे उन्होंने मंगलवार को स्वीकार कर लिया। हालांकि बतौर डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय का अभी पांच माह कार्यकाल बाकी था।

कई बार किया लीक से हटकर काम

कई बार किया लीक से हटकर काम

बिहार डीजीपी रहते हुए वीआरएस लेने वाले गुप्तेश्वर पांडे के आईपीएस बनने की कहानी प्रेरित करने वाली है। साथ ही पुलिस सेवा में रहते हुए गुप्तेश्वर पांडे ने कई बार लीक से हटकर काम किया है। एक दफा तो डीजीपी रहते हुए मर्डर के सबूत तलाशने के लिए गमछा बांधकर नदी में छलांग तक लगा दी थी। गुप्तेश्वर पांडे के वीआरएस लिए जाने के मौके पर आइए जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें।

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 11 साल पहले भी लिया था वीआरएस

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बता दें कि यह पहला मौका नहीं जब बिहार कैडर के आईपीएस गुप्तेश्वर पांडेय ने वीआरएस लिया है। इससे पहले वर्ष 2009 में भी गुप्तेश्वर पांडे ​वीआरएस ले चुके हैं। खबरों की मानें तो लोकसभा चुनाव 2009 में आईजी गुप्तेश्वर पांडे ने बिहार की बक्सर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए वीआरएस लिया था। उस वक्त भाजपा की टिकट लालमुनि चौबे को मिली तो उन्होंने वीआरएस के नौ माह बाद बिहार सरकार से फिर पुलिस सेवा में लेने का आग्रह किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया था और वे फिर से पुलिस सेवा में लौट आए थे।

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गुप्तेश्वर पांडेय के आईपीएस बनने की कहानी

गुप्तेश्वर पांडेय के आईपीएस बनने की कहानी

मीडिया से बातचीत में गुप्तेश्वर पांडेय बताते हैं कि जब वे दस साल के थे तब उनके घर में चोरी हो गई थी। मामले की जांच करने आए पुलिसकर्मियों ने उनके माता-पिता से बदतमीजी की। यही नहीं बल्कि चोरी की रिपोर्ट तक दर्ज नहीं की। बचपन की उस घटना को देख गुप्तेश्वर ने ठान लिया था कि वे बड़े होकर आईपीएस बनेंगे ताकि पुलिस व्यवस्था को दुरुस्त करने में अपना योगदान दे सकें।

गुप्तेश्वर पांडेय ने क्यों लगाई थी नदी में छलांग?

गुप्तेश्वर पांडेय ने क्यों लगाई थी नदी में छलांग?

लीक से हटकर पुलिसिंग करने का गुप्तेश्वर पांडेय का यह वाक्या मई 2020 का है। बिहार के गोपालगंज के कटेया पुलिस थाना इलाके के गांव बेलही डीह गांव में 15 वर्षीय रोहित जायसवाल का शव 29 मार्च को खनुआ नदी में मिला था। गोपालगंज के बहुचर्चित रोहित हत्याकांड में धार्मिक स्थल के निर्माण बलि देने की अफवाह उड़ी थी। ऐसे में पुलिस अधिकारियों के साथ खुद तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय मौके पर पहुंचे। रोहित के परिजनों ने नदी के पानी में शव मिलने को लेकर सवाल उठाए। ऐसे में खुद डीजीपी पांडेय ने वर्दी उतारी और हत्या के सबूत तलाशने के लिए नदी में छलांग लगा दी थी। करीब 40 मिनट तक नदी के पानी में रहे।

बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय आईपीएस की जीवनी

बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडेय आईपीएस की जीवनी

गुप्तेश्वर पांडेय का जन्म 1961 में बिहार के बक्सर जिले के गांव गेरुआबंध में हुआ। गेरुआबंध बेहद पिछड़ा इलाका है। 12वीं कक्षा प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण करने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय ने पटना विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। वर्ष 1986 में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण कर गुप्तेश्वर पांडे आईआरएस बने। फिर दुबारा भाग्य आजमाया और इस बार आईपीएस बनने में सफल रहे। गुप्तेश्वर पांडे बिहार पुलिस में विभिन्न पदों पर 26 जिलों में काम कर चुके हैं। 1993 में बेगूसराय और 1996 में बिहार के जहानाबाद में अपराध रोकने में इनकी अहम भूमिका रही थी।

गुप्तेश्वर पांडे की पोस्ट-'मेरी कहानी मेरी जुबानी'

गुप्तेश्वर पांडे के वीआरएस की खबरों के बीच चर्चा है कि वे बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाग्य आजमाएंगे। गुप्तेश्वर पांडे चुनाव लड़ेंगे या नहीं। इसका जवाब वे खुद देंगे। इसके लिए वे 23 सितम्बर को शाम छह बजे अपने फेसबुक पेज पर लाइव आएंगे। इसकी जानकारी देते हुए गुप्तेश्वर पांडे ने अपने फेसबुक पेज पर सूचना डाली है कि 'मेरी कहानी मेरी जुबानी'

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English summary
Gupteshwar Pandey IPS Biography of in Hindi VRS from Bihar DGP post
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