दिल्ली में रहते हैं आप तो कीजिये किन्नरों का धन्यवाद
नयी दिल्ली (विवेक शुक्ला)। दंगों से झुलसे त्रिलोकपुरी में किन्नरों ने सिर्फ दंगों के बाद सड़कों पर बिखरे पत्थरों और ईंटों को ही नहीं साफ किया बल्कि एक ब्लाक में दंगा नहीं होने दिया। ताजा जानकारी के अनुसार किन्नरों ने दंगे और हिंसा की आग में झुलसते त्रिलोकपुरी में जोखिम और साहस से दंगा होने नहीं दिया। इस तरह उन्होंने लोगों की जानें बचाईं।
जब दंगाइयों को किन्नरों ने रोका
त्रिलोकपुरी में हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान जब एक गुस्साई भीड़ ब्लॉक-35 की ओर बढ़ने की कोशिश कर रही थी, तो इस ब्लॉक के प्रवेश द्वार पर खड़े 15 किन्नरों के समूह ने उन्हें रोका। वे जब नहीं माने तो इनने कहा कि आप लोग नहीं वापस हुये तो हम कपड़े उतार देंगे।
किन्नर लोगों से पैसे लेने के लिए कपडे उतारने का भय दिखाते हैं। त्रिलोकपुरी में उन्होंने दंगाइयों के खिलाफ किया और इसका असर हुआ एवं दंगाइयों को वापस लौटना पड़ा। ये किन्नर यहीं नहीं रुके, बल्कि उन्होंने हिंसा के कारण पत्थरों और टूटे हुए कांच के ढेर में दबी सड़कों की सफाई का भी बीड़ा उठाया।
उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों दोनों को झाड़ू दिया और साथ मिलकर सफाई की। इलाके की सड़कों की हालत इतनी खराब थी कि लोग इस पर चल भी नहीं पा रहे थे। दंगे के कारण सफाई कर्मी नहीं आए। इसलिए जरूरी था कि कोई इनकी सफाई करे। किन्नरों का कहना था कि इसलिए हमने यह किया क्योंकि हमें रहना तो यहीं है।'
जबकि त्रिलोकपुरी के कई ब्लॉकों में तनाव दिख रहा है, इन किन्नरों ने सुनिश्चित किया कि ब्लॉक-35 में शांति बनी रहे। 1976 से यहां रह रही इन किन्नरों ने पहरेदारी शु्रू कर दी है। दूसरे नागरिक ब्लॉक के प्रवेश द्वार पर रात में बेंच लगाकर पहरा देते हैं और वहां लोहे के गेट लगाए गए हैं जो एक ब्लॉक को दूसरे से अलग करते हैं।