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वोट मांगने वाले फिल्मी हीरो को जीरो बनाते दिल्लीवाले

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नई दिल्ली (विवेक शुक्ला)। दिल्ली वाले इस विधानसभा चुनावों में अपने इलाकों में आकर उनसे वोट मांगने वाले हिन्दी सिनेमा के सितारों को घास नहीं डाल रहे। उनकी सभाओं में गिनती के 100 लोग भी नहीं मिल रहे। कुल मिलाकर उन्हें दिल्लीवाले अपना रास्ता नापने के लिए कह रहे हैं।

Delhi Elections: Film stars getting raw from voters

आज गुल पनाग आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवारों के पक्ष में ईस्ट दिल्ली के कई इलाकों में जा रही हैं। वो सूरजमूल विहार में आप के उम्मीदवार डा. अतुल गुप्ता के पक्ष में भाषण देती रहीं। पर लोग सुनने के लिए तैयार नहीं थे।

कौन झेले इन्हें

इस क्षेत्र के निवासी अवतार सिंह कहने लगे कि इन लोगों को कौन झेले। बहुत देख लिया, झेल लिया इन्हें। पनाग ने बीता लोकसभा चुनाव चंडीगढ़ से लड़ा था। पर वो चुनाव हार गई थीं भाजपा की किरण खेर के मुकाबले। इसी तरह से हेराफेरी और नायक वाले परेश रावल भी मतदाताओं पर असर नहीं छोड़ पा रहे हैं। वे परसों नई दिल्ली सीट में घूमे। उनके साथ भाजपा की उम्मीदवार नुपूर शर्मा भी थीं। पर रावल की लच्छेदार भाषण शैली भी लोगों को पसंद नहीं। वे हर जगह पांच मिनट से ज्यादा नहीं बोले।

नाराज रावल

कुछ लोगों का कहना है कि वे स्थानीय भाजपा नेताओं से नाराज थे, क्योंकि उनकी सभाओं में बेहद कम लोग जुटे। उधर, भाजपा के सांसद और भोजपुरी फिल्मों के नायक मनोज तिवारी दिल्ली की गलियों की खाक छान रहे हैं, पर उन्हें सुनने वाले नहीं मिल रहे। यमुना विहार निवासी शाहिद ने कहा कि तिवारी जब आते हैं तो अपने बालों को संवारते ही रहते हैं। वे उन्हें लोगों से बात करते हैं जो उनसे आटोग्राफ मांगते हैं।

हालांकि वे कहे रहे हैं कि पिछली बार दिल्ली में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। इस बार केंद्र में सरकार बना चुकी भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों दिल्ली में सरकार बना लेगी।

इस बीच, कुछ लग रहा है कि इस बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में कलाकारों अथवा कला संगठन से जुड़े लोगों ने अपनी आवाज उठाने के लिए गरीब आदमी पार्टी गठित की है। पार्टी ने नौ स्थान से अपने प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। पार्टी ने अपने एजेंडे में कलाकारों और गरीबों की समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिलाया है।

महासचिव संजय शर्मा ने बताया कि एनएसडी जैसी नामी संस्था होने के बाद भी यहां कलाकारों के हितों के लिए कोई पार्टी अपने एजेंडे में स्थान नहीं देती है। ऐसे में थियेटर आर्टिस्ट ग्रुप के सदस्यों ने पार्टी बनाई है।

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English summary
This assembly elections again film stars getting raw from Delhi voters. They are not keen to listen them.
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