कॉम्बिफ्लेम और डी कोल्ड टोटल खरीदने से पहले सावधान,ये आपकी सेहत बिगाड़ सकती है
कॉम्बिफ्लेम और कोल्ड मेडिसिन डी कोल्ड टोटल सीडीएससीओ की जांच में खरी नहीं उतर पाई हैं।
नई दिल्ली। पूरे देश में दर्दनाशक के तौर पर बिक रही प्रसिद्ध दवा कॉम्बिफ्लेम तंदरुस्त करने के बजाय बीमार कर सकती है। कुछ ऐसा ही हाल कोल्ड मेडिसिन डी कोल्ड टोटल का भी है। ये दोनों दवाएं सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन सीडीएससीओ की जांच में खरी नहीं उतर पाई है। सीडीएससीओ ने ये जांच पिछले महीने की थी जिसमे इन दोनों दवाओं को निम्न स्तर का पाया गया है।इसके अलावा, सिप्ला के ऑफलाक्स -100 डीटी टैबलेट्स और थियो अस्थिलिन टैबलेट्स, साथ ही कैडिला की कैडिलोज भी जांच में खरी नहीं उतरी है।
60 दवाओं को लेकर अलर्ट
सीडीएससीओ ने कॉम्बिफ्लेम, ऑफलॉक्स, कैडिलोज समेत 60 दवाओं को लेकर चेतावनी जारी की है। जो तय मानकों पर खरे नहीं उतर पाएं है। सीडीएससीओ ने ये परीक्षण मार्च, 2017 में किया था। कॉम्बिफ्लेम के बैच नंबर A151195 को जांच में निम्न स्तर का पाया गया है। पिछले साल भी सीडीएससीओ ने कॉम्बिफ्लेम के कई बैचों को निम्न क्वालिटी का माना था। वो दवाएं जून, 2015 और जुलाई, 2015 में तैयार किए गए थे और इन पर मई, 2018 और जून, 2018 की एक्सपायरी डेट अंकित है। जिसके बाद सनोफी इंडिया ने इन बैचों की दवाओं को बाजार से वापस मंगवा लिया था।
कौन
बनाता
है
ये
मेडिसिन?
सनोफी
इंडिया
के
प्रवक्ता
के
मुताबिक
अधिकारिक
सूचना
मिलने
के
बाद
कंपनी
उचित
कार्रवाई
करेगी।
पिछले
साल
जब
सनोफी
इंडिया
के
सामने
ऐसा
मामला
आया
था
तो
कंपनी
ने
दवा
को
मार्केट
से
हटा
लिया
था।आपको
बता
दें
कि
कॉम्बिफ्लेम
को
सनोफी
इंडिया
बनाती
है
तो
वही
डी
कोल्ड
टोटल
की
निर्माण
रेकिट
बेंसकिसर
हेल्थ
केयर
इंडिया
करती
है।टेक्नोलॉजी
ड्रिवेन
हेल्थ
केयर
सर्विस
प्रोवाइडर
क्विटिल्स
आईएमएस
के
मुताबिक
कॉम्बिफ्लेम
की
सालाना
सेल
169.2
करोड़
रुपए
की
है।
जबकि
सिप्ला
ऑफ्लॉक्स
की
सालाना
सेल
20.7
करोड़
रुपए
की
है।
क्या
है
इस
दवा
का
साइड
इफेक्ट?
डिसइंटिग्रेशन
टेस्ट
में
फेल
होना
मानव
स्वास्थ्य
के
लिए
बड़ा
खतरा
हो
सकता
है
क्योंकि
इस
टेस्ट
में
यह
जानने
की
कोशिश
की
जाती
है
कि
कितने
समय
में
कोई
टैबलेट
या
कैप्सूल
शरीर
के
अंदर
टूटकर
घुलमिल
जाती
है.
कॉन्बिफ्लेम
दवा
इसी
मानक
पर
टेस्ट
में
फेल
हुई
है
और
दवाइयों
की
बड़ी
खेप
सब-स्टैंडर्ड
पाई
गई
हैं.
इनके
इस्तेमाल
से
मरीज
को
कई
तरह
के
साइड
इफेक्ट
हो
सकते
हैं.
ऐसी
दवा
से
पेट
में
ब्लीडिंग
हो
सकती
है.
गैस्ट्रो-इन्टेस्टाइनल
की
दिक्कतें
और
दस्त
की
समस्या
भी
देखी
जा
सकती
हैं।